DY चंद्रचूड़ के CJI बनने के बाद वो 5 ‘सुप्रीम’ फैसले, जिनमें एजेंसियों को पड़ी जमकर फटकार
नईदिल्ली, वाई चंद्रचूड़ ने जबसे भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) की कमान संभाली है, सुप्रीम कोर्ट ने कई लैंडमार्क जजमेंट दिए हैं. कई फैसले ऐसे भी दिए हैं, जिनमें एजेंसियों को कड़ी फटकार भी लगाई गई है. गंभीर मामलों में लापरवाही या फिर कानून सम्मत कदम न उठाने पर एजेंसियों को सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख का सामना करना पड़ा है.डीवाई चंद्रचूड़ के CJI बनने के बाद कई ऐसे फैसले दिए गए हैं, जिनमें जांच एजेंसी को कड़ी फटकार लगाई गई है.
दिल्ली के कथित शराब घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए अक्टूबर 2023 को सीबीआई और ईडी को लताड़ लगाते हुए कहा था कि आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया को अनिश्चित काल तक के लिए जेल में नहीं रखा जा सकता है.
दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी पर भी सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी ED को आड़े हाथ लिया. दो जजों की पीठ ने केंद्रीय जांच एजेंसी की उस दलील को ठुकरा दिया था कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने से ऐसे नेताओं की भीड़ लग जाएगी. शीर्ष अदालत ने एजेंसी की दलीलों को ठुकराते हुए कहा कि सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी मामले की सुनवाई चल रही है. उसमें अभी फैसला नहीं आया है. साथ ही कहा था कि उनसे समाज को कोई खतरा भी नहीं है. कोर्ट ने सीएम केजरीवाल को अंतरिम जमानत दे दी थी.
मणिपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी. जुलाई 2023 में इस गंभीर मामले पर सुनवाई करते हुए सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुलिस से पूछा था कि महिलाओं को निर्वस्त्र कर उनका परेड कराने की घटना में एएफआईआर दर्ज करने में 14 दिन क्यों लग गए? सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पुलिस और जांच एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा था कि 4 मई को घटना हुई और 18 मई को जीरो एफआईआर दर्ज की गई
यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने पुरकायस्थ की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी गिरफ्तारी के तौर तरीकों से ऐतराज जताते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया. प्रबीर पुरकायस्थ को UAPA की गंभीर धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यूजक्लिक के संपादक को गिरफ्तार करने के बाद उनके वकील को सूचित किए बिना ही उन्हें मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश कर दिया गया.
अक्टूबर 2023 में मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कड़ी फटकार लगाते हुए हिदायत भी दी थी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि ED को प्रतिशोध में नहीं, बल्कि पूरी निष्पक्षता से मामले की जांच करनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरोपी बसंत बंसल और पंकज बंसल की गिरफ्तारी को भी रद्द कर दिया था.