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ELEPHANT DAY;छत्तीसगढ में हाथी नहीं बन पा रहे है साथी,मानव-हाथी द्वंद बढा,बिजली करंट से खतरा

रायपुर, अविभाजित मध्यप्रदेश में 1990 के दशक में जब हाथियों का छात्तीसगढ में आगमन हुआ तो उनका काफी स्वागत हुआ,हाथी भी यहां के वातावरण में रच बस गए, अब इनकी संख्या 350 से भी अधिक हो गई है।चारा -पानी की कमी के चलते अब स्थिति प्रतिकूल होने लगी है। मानव-हाथी द्वंद लगातार बढ रहा है। फसल के साथ ही सम्पत्तियों को भी हाथी नुकसान पहुंचा रहे है। 12 अगस्त को आज विश्व हाथी दिवस है। माना जा रहा है कि इस दिशा में सरकार कुछ प्रयास करेगी।

उत्तर छत्तीसगढ़ हाथियों से सर्वाधिक प्रभावित इलाका है। हाथियों को जंगल के भीतर ही रोकने के लिए चारा व पानी का प्रबंध भी समुचित ढंग से नहीं किया जा रहा है। जंगल के रास्ते बिजली आपूर्ति में भी हाथियों की मौजूदगी का ध्यान नहीं रखा गया। वन क्षेत्र में बढ़ता अतिक्रमण भी हाथियों के साथी बनने में बाधक रहा है। हाथियों से होने वाले जान माल के नुकसान को कम करने वर्तमान समय में सारी गतिविधियां बंद हो चुकी है। हाथियों की निगरानी हो रही है लेकिन इससे जानमाल का नुकसान कम नहीं किया जा सकता।

वन कर्मचारियों की निगरानी के दौरान भी हाथियों द्वारा मकानों को क्षतिग्रस्त करने के साथ ही इंसानों की जान भी ली जा रही है। हाथी-मानव द्वंद्व में भी दोनों ओर से नुकसान हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस समस्या के लिए दीर्घकालिक योजनाएं ही कारगर हो सकती हैं। अन्यथा आने वाले दिनों में हाथी -मानव द्वंद पर नियंत्रण और मुश्किल होगा।

वर्तमान समय में 350 से अधिक हाथियों का अलग-अलग समूह छत्तीसगढ़ में विचरण कर रहा है।उत्तर छत्तीसगढ़ से निकलकर हाथी आज मध्य और दक्षिण छत्तीसगढ़ तक पहुंच चुके हैं। उत्तर छत्तीसगढ़ में तो फसलों की सुरक्षा के लिए खेतों के आसपास जीआई तार का बाड़ा बनाकर उसमें करंट प्रवाहित कर सुनियोजित तरीके से जंगली हाथियों को मारने की घटनाएं भी हुई है।फसलों में कीटनाशकों के अत्यधिक छिड़काव और योजनाबद्ध तरीके से भी खाद्य सामग्री में कीटनाशक मिलाकर देने से भी हाथियों की मौत हो चुकी है।

हाथियों की मौत का बड़ा कारण है बिजली करंट

छत्तीसगढ़ में जंगली हाथियों की मौतों का मुख्य कारण बिजली करंट ही है। पहले के वर्षों में प्रभावित क्षेत्र में योजनाबद्ध तरीके से करंट से हाथियों को मारने की घटनाओं को छोड़ दें तो शेष घटनाएं लापरवाही का परिणाम हैं।वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या हाथी विचरण क्षेत्रों में कम ऊंचाई की बिजली लाइन हैं। स्थिति यह है कि जंगली हाथियों के सूड़ ऊपर उठते ही बिजली तार के संपर्क में भी आ रहे है। करंट लगने से तंदुरुस्त हाथी की भी तत्काल मौत हो रही है। विश्व हाथी दिवस 12 अगस्त को, केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव होंगे मुख्य आतिथि

विश्व हाथी दिवस का आयोजन छ.ग. राज्य की राजधानी रायपुर में 12 अगस्त को शाम 7.30 बजे लाभांडी स्थित स्थानीय होटल में किया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग भूपेन्द्र यादव के मुख्य आतिथ्य और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में वन मंत्री केदार कश्यप, केन्द्रीय वन महानिदेशक विशेष सचिव जितेन्द्र कुमार के साथ ही प्रधान मुख्य वन सरंक्षक व्ही.श्रीनिवास राव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) सुधीर कुमार अग्रवाल, भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी, एलीफेंट एक्सपर्ट उपस्थित रहेंगे।

प्रोजेक्ट एलीफेंट की स्टीयरिंग कमेटी की 20वीं मीटिंग होगी

राज्य में मानव-हाथी द्वंद की समस्या के कारण हाथियों द्वारा फसल नुकसान, जनहानि तथा सम्पति की हानि की जाती है। इन सारी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए विशेष कर वनवासियों के हित में कार्य करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ राज्य की राजधानी रायपुर में विश्व हाथी दिवस के परिपेक्ष में प्रोजेक्ट एलीफेंट की स्टीयरिंग कमेटी की 20वीं मीटिंग का आयोजन किया जा रहा है।  कमेटी से छत्तीसगढ़ राज्य में मानव-हाथी द्वंद की रोकथाम, हाथियों से होने वाले जन-धन के नुकसान के बेहतर प्रबंधन के संबंध में सुझाव प्राप्ति हेतु स्टीयरिंग कमेटी में भारत सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर उच्च अधिकारी, साथ ही वन्यप्राणी विशेषज्ञ, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, भारतीय प्राणी सर्वेक्षण, कृषि, विद्युत एवं रेल्वे विभाग के अधिकारी सदस्य हैं।

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