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ASSEMBLY; RI परीक्षा घोटाले की जांच के लिए बनी कुंजाम कमेटी सवालों के घेरे में, विभाग ने विधानसभा को भी किया गुमराह, ईओडब्ल्यू ने शुरु की जांच

ईओडब्ल्यू जांच

रायपुर, राजस्व निरीक्षक विभागीय परीक्षा घोटाले की जांच के लिए बनाई गई के डी कुंजाम की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया था कि कुल 22 पारिवारिक सदस्यों को एक साथ बिठाया गया था, लेकिन विधानसभा के मानसून सत्र में लगे एक सवाल के जवाब में कुल 13 अभ्यर्थियों के रिश्तेदार होने का जिक्र है. कुंजाम कमेटी पर यह आरोप लग रहा है कि आनन-फानन में जांच कर रिपोर्ट बना दी गई. कमेटी की रिपोर्ट में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद विभाग ने सामान्य प्रशासन विभाग को चिट्ठी लिखकर ईओडब्ल्यू-एसीबी जांच की सिफारिश की, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने ईओडब्ल्यू-एसीबी जांच की अनुमति दी. 

ईओडब्ल्यू ने विभाग को पत्र लिखकर कई सवाल पूछे हैं. फिलहाल सरकार ने विधानसभा में यह बताया है कि इस मामले में ईओडब्ल्यू-एसीबी की जांच चल रही है कमेटी द्वारा जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद अभ्यर्थियों ने अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था, मगर कमेटी ने इन अभ्यावेदनों पर विचार तक नहीं किया. अभ्यावेदन देने वाले अभ्यर्थियों में से 4 अभ्यर्थियों ने तब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जबकि विधानसभा में दिए गए जवाब में राजस्व विभाग ने यह बताया है कि अभ्यावेदनों का निराकरण कर दिया गया. 

पड़ताल में यह बात सामने आई है कि राजस्व निरीक्षक की विभागीय परीक्षा में कुल 68 रिश्तेदार शामिल हुए थे, मगर इनमें से केवल 13 अभ्यर्थियों का ही चयन हुआ. जांच रिपोर्ट में यह कहा गया है कि चयनित हुए कुछ अभ्यर्थी आसपास बिठाए गए थे, लेकिन जांच रिपोर्ट तैयार करने में बरती गई लापरवाही का उदाहरण देखिए कि कमेटी ने बगैर किसी परीक्षण के केवल अनुक्रमांक के आधार पर ही यह निर्धारित कर दिया कि अभ्यर्थी आसपास बिठाए गए थे. उदाहरण के लिए अनुक्रमांक 241770 और 241771 दो सगे भाइयों आवंटित किया गया था. दोनों का अनुक्रमांक आगे-पीछे जरूर है, मगर जितेंद्र ध्रुव और निमेश ध्रुव की बैठक व्यवस्था में स्थान अलग-अलग रो में पाया गया है.

इसी तरह चयनित सूची में दो सगे भाइयों जयप्रकाश जैन और तपेश जैन का अनुक्रमांक क्रमशः 241377 तथा 241370 दर्ज है. जयप्रकाश जैन कमरा नंबर 14 और तपेश जैन को कमरा नंबर 13 में बिठाया गया था. जांच कमेटी ने चयनित सूची में तुकेश्वर भू आर्य और दरसबती भू आर्य को पारिवारिक रिश्तेदार होना बताया था, लेकिन दोनों के बीच किसी तरह की रिश्तेदारी नहीं पाई गई. विभागीय सूत्र बताते हैं कि के डी कुंजाम कमेटी ने जांच कमेटी गठित होने के बाद विभाग से मिली जानकारी को आधार बनाकर अपनी रिपोर्ट सौंप दी. इससे पहले कमेटी ने विस्तृत जांच के लिए गृह विभाग से जांच कराए जाने को लेकर एक पत्र लिखा था, लेकिन गृह विभाग ने यह कहते हुए खुद को इस जांच प्रक्रिया से अलग कर लिया था कि विभाग जांच एजेंसी नहीं है. चौंकाने वाली बात यह भी है कि जांच कमेटी पांच सदस्यीय इस जांच कमेटी की रिपोर्ट बनने के बाद रिपोर्ट पर केवल चार सदस्यों ने ही दस्तखत किए थे. एक सदस्यों से दस्तखत करने से इंकार कर दिया. ऐसे में पूरी जांच रिपोर्ट सवालों के घेरे में आ रही है. विधानसभा के मानसून सत्र में उठाए गए सवालों में विभाग ने विभागीय मंत्री टंकराम वर्मा से भी गलत जवाब सदन में प्रस्तुत करा दिया.

अभ्यावेदनों पर विचार नहीं !

लल्लूराम डॉट काम की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि कुंजाम कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद अभ्यर्थियों ने अभ्यावेदन प्रस्तुत किया था. अभ्यावेदन देने वाले अभ्यर्थियों में अमित सिन्हा, दरसबती भू आर्य, तुकेश्वर भू आर्य, महेंद्र जैन, भूपेंद्र नवरंग, कविता कुमारी और बालाराम जैन शामिल हैं. अभ्यावेदन देने वाले अभ्यर्थियों का आरोप है कि के डी कुंजाम कमेटी ने उनका पक्ष जानने की कोशिश भी नहीं की, जबकि विधानसभा के मानसून सत्र में एक सवाल के जवाब में यह बताया गया कि अभ्यावेदनों का निराकरण कर दिया गया है. अभ्यावेदन देने वाले अभ्यर्थियों ने यह स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका नाम पारिवारिक सदस्य बताए जाने वाली 22 लोगों की सूची में शामिल किया गया है, लेकिन उनके परिवार का कोई सदस्य राजस्व विभाग में कार्यरत नहीं है. इन अभ्यर्थियों में से चार अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किया जाए. 

महत्वपूर्ण सवाल जिन्हें कमेटी ने नजरअंदाज किया

पड़ताल कहती है कि कुंजाम कमेटी ने कई महत्वपूर्ण सवालों को अपनी जांच के दायरे से बाहर रखा. जिन 22 अभ्यर्थियों को पारिवारिक सदस्य बताया गया, कमेटी ने उनके बयान नहीं लिए. विभाग की ओर से भेजी गई जानकारी को आधार बनाकर अपनी रिपोर्ट तैयार कर दी. जांच कमेटी ने विभाग से अभ्यर्थियों की बैठक व्यवस्था की जानकारी नहीं मांगी. यही वजह है कि अनुक्रमांक के आधार पर चयन को संदेह के दायरे में ला दिया गया. जबकि चयनित हुए कुछ अभ्यर्थियों की बैठक व्यवस्था अलग-अलग थी. जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद अभ्यर्थियों द्वारा दिए गए अभ्यावेदन निराकृत नहीं किए गए. जबकि कई अभ्यर्थियों ने जांच रिपोर्ट में दिए उनमें चयन को लेकर उठाए गए सवालों पर आपत्ति दर्ज की है.

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