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WEATHER;मॉनसून पर गुड न्यूज,दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहने की संभावना

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नईदिल्ली, मौसम से जुड़ी प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट ने मॉनसून पर राहतभरी खबर दी है। इस एजेंसी का अनुमान है कि इस साल मॉनसून सामान्य रहेगा।स्काईमेट के मुताबिक, जून से सितंबर के बीच चार महीनों में औसतन 103% बारिश हो सकती है। अगर बारिश 96 से 104% के बीच हो तो उसे सामान्य माना जाता है।

स्काईमेट के एमडी जतिन जैन ने बताया कि शुरुआत में मानसून थोड़ा धीमा रह सकता है। जून में बारिश थोड़ी कम हो सकती है। फिर जुलाई और अगस्त में यह रफ्तार पकड़ेगा। अगस्त और सितंबर में ज्यादा बारिश होगी।

दक्षिण में ज्यादा, उत्तर में कम बारिश का अनुमान

स्काईमेट के अनुसार पश्चिम और दक्षिण भारत में अच्छी बारिश की उम्मीद है। महाराष्ट्र और एमपी जैसे कोर मॉनसून क्षेत्रों में पर्याप्त बारिश होगी। पश्चिमी घाट, केरल, तटीय कर्नाटक और गोवा में पर्याप्त बारिश हो सकती है। पूर्वोत्तर भारत और उत्तर भारत के पहाड़ी राज्य जैसे मेघालय, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल में सामान्य से कम बारिश देखने को मिल सकती है।

भारतीय तट पर मानसून कब दस्तक देगा?

स्काइमेट का अनुमान है कि 96 प्रतिशत से नीचे जाने का अनुमान बहुत ही कम है। देश के पश्चिमी तट एवं मध्य भागों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। उत्तर पूर्वी राज्यों के साथ जम्मू-कश्मीर और पहाड़ी इलाकों में सामान्य से कम बारिश हो सकती है। भारतीय तट पर मानसून कब दस्तक देगा, इसका आकलन अभी नहीं किया जा सका है। मगर मानसून का प्रवेश केरल के रास्ते होता है, जहां सामान्य तौर पर एक जून को सक्रिय होता है। फिर धीरे-धीरे दक्षिण भारत के राज्यों से आगे बढ़ते हुए बंगाल की खाड़ी के सहारे मध्य एवं उत्तर भारत की ओर बढ़ता है। सबसे अंत में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक फैलता है।

जुलाई, अगस्त एवं सितंबर में औसत से ज्यादा बारिश

स्काइमेट ने कोर मानसून मंथ के दौरान कुछ क्षेत्रों में औसत से कम बारिश की भी आशंका जताई है, लेकिन अधिकतर क्षेत्रों में मानसून सामान्य रहने वाला है। जून में मानसून की रफ्तार थोड़ी कम हो सकती है, क्योंकि ला-नीना का असर कुछ दिन तक रह सकता है। जून में औसत से चार प्रतिशत कम बारिश हो सकती है, लेकिन अगले महीने से बारिश रफ्तार पकड़ लेगी।जुलाई, अगस्त एवं सितंबर में औसत से ज्यादा बारिश होगी। अगस्त में आठ प्रतिशत ज्यादा वर्षा हो सकती है। खेती के लिहाज से यह महीना ज्यादा अनुकूल होता है।

दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहने की संभावना

इस साल जून से सितंबर के बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य रहने की संभावना है। यह अनुमान अल-नीनो प्रभाव के समाप्त होने और मौसम से जुड़ी वैश्विक भविष्यवाणियों के आधार पर लगाया गया है। यूनाइटेड किंगडम की यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग में राष्ट्रीय वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र के शोध वैज्ञानिक अक्षय डियोरस ने यह जानकारी दी। एफई की रिपोर्ट के अनुसार, डियोरस ने बताया कि यूके मेट ऑफिस, नेशनल सेंटर्स फॉर एनवायर्नमेंटल प्रेडिक्शन (NCEP) और यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम-रेंज वेदर फोरकास्ट (ECMWF)जैसी प्रतिष्ठित एजेंसियों की सम्मिलित भविष्यवाणी यह संकेत दे रही है कि भारत में मानसून बारिश औसत या उससे थोड़ी अधिक हो सकती है।

आईएमडी जल्द जारी करेगा मानसून का अनुमान
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) भी आने वाले दिनों में मानसून पर अपनी पहली भविष्यवाणी जारी करेगा। अगर विदेशी एजेंसियों की भविष्यवाणियां सही साबित होती हैं, तो यह लगातार दूसरा साल होगा जब देश में सामान्य मानसून देखने को मिलेगा। गौर करने वाली बात है कि साल 2023 में बारिश सामान्य से कम रही थी। वहीं, साल 2024 में बारिश सामान्य से 8 फीसदी अधिक रही थी।

इस साल अल-निनो का मानसून पर कोई नकारात्मक असर नहीं

डियोरस ने कहा कि इस साल अल-निनो का मानसून पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि मानसून पर अब उप-मौसमी कारक ज्यादा प्रभाव डालेंगे, लेकिन अभी यह कहना जल्दबाज़ी होगा कि मानसून केरल तट पर समय पर पहुंचेगा या नहीं। आईएमडी के महानिदेशकने भी पुष्टि की है कि इस साल मानसून के दौरान एल-निनो की स्थिति नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि अप्रैल 2025 तक एल-निनो साउदर्न ऑसीलेशन (ENSO) के न्यूट्रल स्थिति में जाने की 75% संभावना है और यह साल के अंत तक बनी रह सकती है। इसके साथ ही हिंद महासागर डाइपोल (IOD) की स्थिति भी सामान्य रहने की संभावना है, जिससे मानसून को स्थिरता मिलेगी।

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