राजनीति

GOODBYE;पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का निधन, देश में सात दिन का राष्ट्रीय शोक

अलविदा

नई दिल्‍ली, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का गुरुवार को 92 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्‍हें गुरुवार शाम को तबीयत बिगड़ने के बाद गंभीर हालत में एम्स दिल्ली में भर्ती कराया गया था। मनमोहन सिंंह ने एम्स के आपातकालीन विभाग में अंतिम सांस ली। उनके निधन के बाद देश में सात दि के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर दिल्ली स्थित आवास पर लाया गया है।

दिल्ली एम्स ने आधिकारिक बयान जारी कर इसकी पुष्टि की। वह उम्र संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे और 26 दिसंबर को वह घर पर बेहोश हो गए थे। घर पर उन्हें तत्काल उपचार दिया गया। गुरुवार को ही शाम 8.06 बजे एम्स के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। बावजूद उनके स्वास्थ्य में सुधार नहीं हुआ। रात 9.51 बजे उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनके एम्‍स में भर्ती किए जाने की सूचना के बाद प्रियंका गांधी और पार्टी लाइन से अलग अन्य नेता भी शाम को एम्स दिल्ली पहुंच गए थे। सिंह इस साल की शुरुआत में राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुए थे। मनमोहन सिंह 1991-96 के दौरान पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली सरकार में देश के वित्त मंत्री के रूप में प्रमुखता से उभरे थे।

वे अर्थव्यवस्था को बदलने वाले व्यापक सुधार लाए थे। यूपीए के दो कार्यकाल के प्रधानमंत्री के रूप में, वह 2004 और 2014 तक शीर्ष पद पर रहे और इस साल की शुरुआत तक राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्य किया।

एक नज़र में देखें उनका जीवन सफर

राजीव गांधी के शासनकाल में मनमोहन सिंह को योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इस पद पर वह पांच वर्ष तक रहे।

मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत में हुआ था। देश के विभाजन के बाद उनका परिवार भारत चला आया था।

मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण के जरिये भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार से जोड़ दिया। पंजाब विश्वविद्यालय में शिक्षक के तौर पर उन्होंने अपना करियर शुरू किया।

बाद में दिल्ली स्कूल आफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर पद पर रहे। वह वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रहे।

वे 1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुने गए। अर्थशास्त्री से राजनेता बने मनमोहन सिंह 1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुने गए।

नरसिंह राव ने जिस समय उन्हें वित्त मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी थी, उस समय वह संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे।

1991-96 तक नरसिंह राव सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने तमाम आर्थिक सुधार किए और लालफीताशाही का अंत किया। मनमोहन लगातार पांच बार राज्यसभा सदस्य रहे।

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