राजनीति

POLITICS;घोड़े पे हो के सवार चला है दूल्हा यार…

कांग्रेस

भारत के लोकतांत्रिक पद्धति में कांग्रेस एक ऐसा दल है जिसने देश में 1947 से लेकर 1977, 1980 से 1989,1991 से 1996, 2004 से 2014 तक कुल 56 साल राज किया है। इन सालों में पण्डित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी,राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री रहे। पिछले 11 साल से भारतीय जनता पार्टी का शासन है और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री है। नरेंद्र मोदी का ये तीसरा कार्यकाल है।
बीते तीन लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की लोकप्रियता  कमोबेश वैसी नहीं रही है जैसे एक राष्ट्रीय दल का होना चाहिए। 2014 में 44,सीट 2019 में 52सीट और 2024 लोकसभा चुनाव में 99 सीट मिली है। 2014 और 2019 में  नेता प्रतिपक्ष के लिए आवश्यक दस फीसदी सीट नहीं मिली थी। 2024 में कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का संवैधानिक दर्जा मिला। राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। कांग्रेस में परिवारवाद की जड़े मजबूत है।इसके विशाल छत्र में कोई और पेड़ लग भी जाए तो उसका अस्तित्व विशाल नहीं हो पाता है।
नेता प्रतिपक्ष, बनने के बाद राहुल गांधी का कद उनकी पार्टी में अन्य की तुलना में  बढ़ना स्वाभाविक था और हुआ भी ऐसा ही। कांग्रेस के सदस्य ये स्वीकारते है कि गांधी शब्द ही कांग्रेस में प्राण वायु फूंक सकता है।राहुल गांधी भी प्राण फूंकने में लगे है।
राहुल गांधी की दिक्कत ये है कि वे सत्ता पक्ष के मीडिया टारगेट में रहते है। राहुल के हर बयान का छिद्रान्वेषण तबियत से  किया जाता है।इसका एक पहलू ये भी है कि राहुल गांधी मौका भी दे देते है।
हाल ही में राहुल गांधी मध्य प्रदेश के दौरे में गए।  इस राज्य में कांग्रेस  पिछले  20सालों में केवल एक साल कमलनाथ के मुख्यमंत्रित्व के काल देख सका है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस से विद्रोह ने कमलनाथ को अनाथ कर दिया। इस राज्य में राहुल गांधी ने कांग्रेस में आराम पसंद नेताओं की क्लास लेते हुए कहा कि  सवारी गाड़ी में शादी का घोड़ा  बंधेगा तो हाल बुरा रहेगा ही। ऐसे ही शादी में सवारी घोड़ा बांधने  में रेसिप्रोकल  परिणाम आएंगे।राहुल गांधी जानते है कि जिन राज्यों में भाजपा या दीगर दल काबिज हो रहे है उन राज्यों में कांग्रेस का संगठन दिन ब दिन कमजोर  होते जा रहा है। उत्तर प्रदेश,बिहार, गुजरात, पश्चिम बंगाल,उड़ीसा, में कांग्रेस के पास संगठन केवल नाम का है।महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार का साथ लाभदायक नहीं रहा।  दक्षिण के राज्यों में  तमिलनाडु,केरल, आंध्र प्रदेश, में विपक्षी पार्टी सत्ता में है।अपने बलबूते पर केवल हिमाचल और कर्नाटक सहित  तेलंगाना में कांग्रेस  सरकार चला रही है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस को मजबूत बनाने के लिए कांग्रेस को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से ज्यादा जरूरत राहुल गांधी की ही है।
मध्य प्रदेश के पहले भी गुजरात में राहुल गांधी स्वीकार कर चुके है कि आराम पसंद पदाधिकारियों के चलते कांग्रेस को नुकसान हो रहा है। जो पदाधिकारी सक्षम है  दरअसल वे ही सवारी के घोड़े है, जिनमें दूर तक जाने की संभावना है लेकिन उनको  आगे बढ़ाने के बजाय पीछे रखा जा रहा है। जो शादी के घोड़े है अर्थात सज  संवर कर आराम से ब्रेक फास्ट, लंच लेकर  शिरकत करने वाले पदाधिकारी है।जिनको आराम के साथ अपना दबदबा बनाए रखना है। मध्य प्रदेश में किन नेताओं को राहुल गांधी ने शादी और सवारी घोड़े के रूप में इंगित किया है ,ये देखना कांग्रेस सहित दीगर राजनैतिक दलों  का काम है।संगठन की कमजोरी को अगर बीमारी के रूप में देख कर इलाज किया जाए तो परिणाम अच्छे आते है।शीघ्र ही राहुल गांधी छत्तीसगढ़ के दौरे में भी आयेंगे। कांग्रेस में अगर सही के सवारी घोड़े मिल जाए तो  सत्ता से केवल ग्यारह सीट पीछे है कांग्रेस, साढ़े तीन साल का समय भी है।

स्तंभकार-संजयदुबे

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