राज्यशासन

HELMET; नो हेलमेट, यस पेट्रोल…

छत्तीसगढ़ में एक सितंबर से “नो हेलमेट नो पेट्रोल”योजना की शुरूआत छत्तीसगढ़ पेट्रोल पंप एसोसिएशन की पहल पर शुरू हुआ ये एक प्रकार की सामाजिक पहल थी। उद्देश्य था दो पहियाँ वाहन चालकों के जान की सुरक्षा  के लिए हेलमेट का उपयोग कराना। बिना किसी  जुर्माना के ,सामाजिक बहिष्कार कर के।

वैसे परिवहन विभाग का स्पष्ट नियम है कि बिना हेलमेट पहने  ऐसे दो पहियां वाहन जो  ईंधन से चलते है को चलाने के लिए हेलमेट अनिवार्य है। यातायात पुलिस इस प्रकार के उल्लंघन के लिए जुर्माना करने के लिए अधिकृत है। 2022के मोटर यान अधिनियम के अंतर्गत 1000रुपए तक का जुर्माना और  ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड किया जा सकता है ।
रायपुर सहित छत्तीसगढ़  के दो पहियां वाहन चालकों को  विधिक रूप से मजबूर करने के बजाय सामाजिक पहल क्यों की गई ,इस बात को समझने की जरूरत है। कहा जाता है कि कानून अंतिम  हथियार होता है बात मनवाने का, इसके पहले सजगता की पहल कर लेने में कोई बुराई नहीं है।
सालों पहले एक विज्ञापन  दूरदर्शन पर आया करता था जिसमें एक नारियल को हथौड़े से फोड़ने और हेलमेट रखकर हथौड़े से वार कर नारियल के बचने का दृश्य था। अंत में एक संदेश था” मर्जी है आपकी आखिर सर है आपका”।
छत्तीसगढ़ में भी ये संदेश सार्वजनिक रूप से मान्य हो चुका है कि हममें से हर साल  हजार दो हजार लोग  दो पहियां वाहन दुर्घटना में मरेंगे लेकिन हेलमेट नहीं पहनेंगे। हमारे बीच के हजार दो हजार परिवार के मुखिया या सदस्य अकाल मृत्यु के शिकार होंगे लेकिन हम हेलमेट नहीं पहनेंगे। सड़क दुर्घटना में  बुरी कदर दुर्घटना ग्रस्त होंगे लेकिन हेलमेट नहीं पहनेंगे। ऐसी सोच के पीछे हमारी धारणा है कि हम हेलमेट नहीं पहने तो भी किसी प्रकार की दुर्घटना नहीं हुई।
हाल ही में मुझे बेंगलुरु और भुवनेश्वर जाने का मौका मिला। दोनों शहर में दो पहियां वाहन चालक तो हेलमेट पहनता ही है, पीछे बैठने वाला भी अनिवार्य रूप से हेलमेट पहनता है। बेंगलुरु तो आधुनिक शहर है सजगता समझ में आती है लेकिन भुवनेश्वर? एक ऐसे राज्य की राजधानी है जो मूलतः पिछड़ा हुआ राज्य है, रायपुर, छत्तीसगढ़ की चेतनापूर्ण शहर है लेकिन यातायात विभाग के नियम पालन के नाम पर पूर्णतः गैर जिम्मेदार शहर है। यहां हेलमेट पहने बिना दो पहियां वाहन चालन फैशन है, दुस्साहस है, कानून को खुले आम चैलेंज है। वाहन रोकते ही मोबाइल  में नेता जी का नंबर मिलता है और छोड़ने का आदेश हो जाता है।
छत्तीसगढ़ सहित समस्त ऐसे राज्य जहां हेलमेट लगाने में  लोगो को शर्म आती है। उनका केश विन्यास बिगड़ता है,आम लोग उनके चेहरे को देख नहीं पाते है, उनके साथ कानूनी रूप से सख्ती के साथ पेश आना जरूरी है। एक माह में चार पांच बार एक एक हजार रुपए का जुर्माना होगा तो खुद ही सर पर हेलमेट लगाएंगे। पेट्रोल पंप पर पेट्रोल भराने के लिए किराए से भी हेलमेट का धंधा भी पेट्रोल पंप के आसपास उपलब्ध है। 

स्तंभकार-संजय दुबे

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