MEDICAL; हृदय में छेद 58 दिन आइसीयू में रखने के बाद सफल सर्जरी , 20% कर रहा था काम
रायपुर , राजधानी के आंबेडकर अस्पताल के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डाक्टरों ने हार्ट अटैक के कारण दिल में हुए छेद के मरीज की सफल सर्जरी कर जान बचाई है। प्रदेश के शासकीय संस्थान में वेन्ट्रीकुलर सेप्टल रफ्चर (वीएसआर) की यह पहली सर्जरी है।
हार्ट अटैक के बाद कोरबा निवासी 57 वर्षीय व्यक्ति के हृदय की दीवाल फट गई थी, जिससे हार्ट केवल 20 प्रतिशत ही काम कर रहा था। मरीज की जान बचने और सर्जरी की सफलता की उम्मीद न के बराबर थी। आपरेशन के पहले मरीज के हीमोडायनामिक्स (शरीर के विभिन्न बायोलाजिकल पैरामीटर्स) को स्थिर करने के लिए 58 दिनों तक आइसीयू में रखा गया। हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग की ओपीडी में करीब ढाई माह पहले छाती में दर्द की शिकायत लेकर मरीज पहुंचा था।
ईसीजी व अन्य जांच में हार्ट अटैक की पुष्टि होने के बाद एंजियोग्राफी के लिए कार्डियोलाजी विभाग में भेज दिया गया। एंजियोग्राफी में हृदय की मुख्य कोरोनरी आर्टरी (धमनी) में ब्लाक (रुकावट) पाया गया। एन्जियोप्लास्टी (स्टेंट लगाने) के बाद एक से दो दिन तक मरीज ठीक रहा परंतु तीसरे दिन उसकी सांस फूलने, यूरीन बंद, बीपी बहुत कम होने तथा शरीर में पानी भरने की समस्या उत्पन्न हो गई। इकोकार्डियोग्राफी करने पर पता चला कि लेफ्ट और राइट वेन्ट्रीकल के बीच की दीवाल में हार्ट अटैक के कारण बड़ा सा छेद (वेन्ट्रीकुलर सेप्टल रफ्चर ) हो गया है।
यह इतना बड़ा था कि बंद करने वाली कोई डिवाइस नही लग सकती थी। मरीज की स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी। फेफड़ों में सूजन (पल्मोनरी एडीमा) हो गया था। हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डा. कृष्णकांत साहू ने बताया कि इस स्थिति को एक्युट कार्डियक फेल्योर विद पल्मोनरी एडीमा कहा जाता है। ऐसे मरीजों की बचने की संभावना बिल्कुल न के बराबर होती है।
मरीज को आइसीयू में रखकर वेंटिलेटर एवं दवाइयों के सपोर्ट से ब्लड प्रेशर एवं अन्य हीमोडायनेमिक्स को ठीक करने की कोशिश की गई। व्लड प्रेशर सामान्य और यूरिन आना शुरू हो गया। रक्त में क्रिएटिनिन लेवल 7.2 से 0.8 एमजी आने में 58 दिन दिन लग गए।
हृदय में छेद होने का कारण
डा. साहू ने बताया कि हृदय में छेद इसलिए होता है, क्योंकि हार्ट अटैक में हृदय की धमनी में थक्का बनने के कारण रक्त प्रवाह में रुकावट आ जाती है। इससे हृदय की मांसपेशियों में रक्त नहीं पहुंच पाने के कारण गलना प्रांरभ हो जाता है। गली हुई मांसपेशियां हृदय के ब्लड प्रेशर को झेल नहीं पातीं और उस स्थान पर छेद हो जाता है। यदि छेद हृदय की बाहरी दीवाल में होता है तो मरीज की मृत्यु कुछ ही मिनटों में हो जाती है।