राज्यशासन

SIC; आईएफएस अफसर की लापरवाही पर गिरी गाज, सूचना आयोग के आदेश पर अब देना होगा जवाब

रायपुर, छत्तीसगढ़ के वन विभाग में सूचना आयोग के आदेशों की अनदेखी अब अधिकारियों पर भारी पड़ने लगी है। मंत्रालय वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने IFS अधिकारी पंकज राजपूत (वर्तमान डीएफओ खैरागढ़) को सूचना देने में लापरवाही के चलते अखिल भारतीय सेवा (अनुशासन एवं अपील) नियम 1969 के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्हें 15 दिनों में जवाब देने के लिए शो-कॉज नोटिस जारी किया गया है।

पूरा मामला –

जनवरी 2020 में रायपुर निवासी नितिन सिंघवी ने महासमुंद वनमंडल से हाथी जनहानि-धनहानि से जुड़ी जानकारी मांगी थी। उस समय के DFO मयंक पांडे ने जवाब में दस्तावेज विशालकाय बताते हुए व्यक्तिगत अवलोकन के लिए बुलाया था। मामला सूचना आयोग पहुँचा, जहाँ आदेश हुआ कि अवलोकन के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, बल्कि निशुल्क सूचना दी जाए।

आयोग ने P.C.C.F. को निर्देश दिए कि दस्तावेजों की लागत संबंधित अधिकारी से वसूल की जाए। इसके बाद मयंक पांडे का तबादला हो गया और नए DFO पंकज राजपूत बने। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में अपील की अनुशंसा की गई है और 15 दिन का समय मांगा, लेकिन बाद की दो सुनवाइयों में कोर्ट का स्थगन आदेश नहीं दिया। इस पर आयोग ने इसे अनावश्यक विलंब मानते हुए अगस्त 2022 में शासन से अनुशासनात्मक कार्यवाही की सिफारिश की।

अब हुई सख्त कार्रवाई –

आयोग के आदेश के 3 साल बाद, मंत्रालय ने 11 जुलाई 2025 को पंकज राजपूत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। आरोप है कि उन्होंने सूचना देने में लापरवाही बरती, जो अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968 के नियम 3 का उल्लंघन है। अब 15 दिनों में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जा सकती है।

एक और आईएफएस पर कार्यवाही लंबित

विधानसभा में गलत जानकारी देने के मामले में रायपुर वनमंडलाधिकारी एचएल पटेल के खिलाफ भी कार्यवाही की अनुशंसा की गई थी जो अभी तक लंबित है। इस मामले में रायपुर रेंजर सतीश मिश्रा समेत पांच कर्मचरियों को निलंबित किया गया है। वन मंत्री के पास फाइल विचारार्थ भेजा जाना बताया गया है।

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