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GUNMAN; अब और शोषण नहीं सहेंगे गनमैन, छत्तीसगढ़ में हक के लिए हो रहे लामबंद

0 नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से जारी हो रहे शस्त्र लाइसेंस पर रोक लगाने की मांग

रायपुर,छत्तीसगढ़ के सुरक्षा तंत्र की रीढ़ कहे जाने वाले गनमैन और प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड अब अपने हक और सम्मान की लड़ाई के लिए एकजुट हो रहे हैं। राजधानी रायपुर के प्रेस क्लब, मोतीबाग में छत्तीसगढ़ गनमैन प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड वेलफेयर सोसायटी और पूर्व सैनिक कल्याण संघ के संयुक्त तत्वावधान में एक सम्मेलन का नेतृत्व संरक्षक नायब सूबेदार मणि शंकर साहू (रिटायर्ड आर्मी) और सोसायटी के प्रदेश अध्यक्ष नंदकिशोर डड़सेना ने किया। यह सम्मेलन केवल एक सभा नहीं, बल्कि हजारों गनमैनों की दबी आवाज को बुलंद करने का एक ऐतिहासिक प्रयास था।

सम्मेलन में गनमैनों की समस्याओं वेतन विसंगतियों, असुरक्षित कार्य परिस्थितियों, सामाजिक सुरक्षा की कमी और शोषण पर गहन चर्चा हुई। आयोजकों ने बताया कि गनमैन अक्सर अपने अधिकारों से वंचित रहते हैं। सिक्योरिटी एजेंसियां भर्ती शुल्क, वर्दी शुल्क और मासिक वेतन से अवैध कटौती के जरिए उनका शोषण करती हैं। भविष्य निधि (पीएफ), मेडिकल बीमा और आपातकालीन छुट्टियों जैसे बुनियादी अधिकार भी उन्हें नहीं मिलते।

नंदकिशोर डड़सेना ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में भावुक अपील करते हुए कहा, हम गनमैन समाज की सुरक्षा के लिए दिन-रात डटकर काम करते हैं, लेकिन हमारी अपनी सुरक्षा और सम्मान की कोई गारंटी नहीं। सिक्योरिटी एजेंसियां हमारी मजबूरी का फायदा उठाती हैं। यह सम्मेलन हमारी एकता और शक्ति का प्रतीक है।

उन्होंने बताया कि संगठन ने पहले भी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष को 28 बिंदुओं वाला ज्ञापन सौंपा था। इसमें सिक्योरिटी मॉनिटरिंग कमेटी गठन, सिक्योरिटी पोर्टल, समान वेतनमान, एकसमान वर्दी, पीएफ, ईएसआईसी, बीमा और सुरक्षा प्रहरी योजना के तहत पुत्री विवाह व संतानों के लिए सैनिक स्कूल व उच्च शिक्षा हेतु पैकेज की मांग शामिल थी। इसके अलावा, कुछ जिलों में नियमों को ताक पर रखकर धड़ल्ले से जारी हो रहे शस्त्र लाइसेंस पर रोक लगाने की मांग भी उठाई गई।

आयोजन में शामिल वरिष्ठ सदस्यों जैसे विजय प्रकाश गुप्ता, संतोष शर्मा, शेख नईम खान, उपाध्यक्ष दिनेश कुमार टंडन, चोलामगन कौशिक, रूपेश साहू, सुरेंद्र जायसवाल, गोविंदा साहू, विकास यादव, घासीराम साहू, लवन साहू, भूपेंद्र साहू, रेवतराम साहू और शेषनारायण सिंह चौहान ने इस संकल्प को और मजबूती दी।

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