PhD के बिना भी बन सकेंगे असिस्टेंट प्रोफेसर; अब चाहिए होगी ये योग्यता
नईदिल्ली, असिस्टेंट प्रोफेसर (Assistant Professor) की नौकरी (Sarkari Naukri) की तैयारी में लगे उम्मीदवारों के लिए एक अहम सूचना है. इसके लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने नोटिस भी जारी किया है. इस नोटिस के तहत कहा गया है कि अब असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी (Assistant Professor Bharti) के लिए PhD जरूरी नहीं है. अब जो उम्मीदवार PhD नहीं भी किए हैं, वे असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं. लेकिन इसके लिए PhD की जगह उम्मीदवारों के पास NET, SET या SLET की परीक्षा को पास करने का सर्टिफिकेट होना चाहिए. तभी आप असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने घोषणा की है कि नेशनल एलिजिबिलटी टेस्ट (NET), स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट (SET) और स्टेट लेवल एलिजिबिलिटी टेस्ट (SLET) सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर सीधी भर्ती के लिए न्यूनतम मानदंड होंगे. शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता पर 30 जून को की गई संशोधित नियमों की घोषणा 1 जुलाई, 2023 से लागू हो गई है.
वर्ष 2018 में UGC ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में एंट्री लेवल के पदों पर भर्ती के लिए मानदंड निर्धारित किए थे. इसके तहत उम्मीदवारों को अपनी PhD पूरी करने के लिए तीन साल का समय दिया और सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को वर्ष 2021-22 शैक्षणिक सेशन से भर्ती के लिए मानदंड लागू करना शुरू करने के लिए कहा गया था. हालांकि UGC ने वर्ष 2021 में विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती के लिए न्यूनतम योग्यता के रूप में PhD की एप्लीकेबल की तारीख जुलाई 2021 से बढ़ाकर जुलाई 2023 कर दी गई थी. यह निर्णय कोविड महामारी के बीच आया, जिसके कारण शैक्षणिक संस्थानों के लंबे समय तक बंद रहने के कारण PhD छात्रों का शोध कार्य रुक गया था.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी वर्ष 2021 में कहा था कि विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए PhD डिग्री अनिवार्य करना वर्तमान शिक्षा प्रणाली में “अनुकूल नहीं” है. उन्होंने कहा था, “हमारा मानना है कि असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए PhD की आवश्यकता नहीं है. यदि अच्छी प्रतिभा को टीचिंग के लिए आकर्षित करना है तो यह शर्त नहीं रखी जा सकती है. हां, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के लेवल पर इसकी आवश्यकता होती है. लेकिन एक असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए PhD शायद हमारे सिस्टम के अनुकूल नहीं हैं और इसीलिए हमने इसे सुधार किया है.”