राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई

नगरीय निकाय चुनाव तक टला मंत्रिमंडल विस्तार ?

लोकसभा चुनाव के बाद साय मंत्रिमडल के विस्तार को लेकर अटकलों का बाजार काफी गर्म था। अब माना जा रहा है कि अगले साल नगरीय निकाय चुनाव के बाद ही मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और निगम-मंडलों में नेताओं की नियुक्ति होगी। साय मंत्रिमडल में दो मंत्री पद रिक्त हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद शिक्षा, पर्यटन और संस्कृति अपने पास रखकर संसदीय कार्य केदार कश्यप को सौंपकर फिलहाल मंत्रिमडल विस्तार को टाल दिया है। कहा जा रहा है मंत्री पद के कई दावेदार होने और नए -पुराने विधायकों के फेर में मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया। माना जा रहा है कि नगरीय निकाय चुनाव के बाद मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर रणनीति बनाई जाएगी। अटकलें लगाईं जा रही है कि कुछ मंत्रियों की छुट्टी कर नए और अनुभवी में तालमेल बैठाया जा सकता है। लोकसभा चुनाव में राज्य की 11 में से 10 सीटें जीतकर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने अपनी साख मजबूत कर ली है। अब साय सरकार की परीक्षा नगरीय निकाय चुनाव में होनी है। कहा जा रहा है कि अब सब कुछ नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम पर निर्भर करेगा।

राजेश टोप्पो प्रमोट, अब बारी पवनदेव की

2005 बैच के आईएएस राजेश टोप्पो का लिफाफा खुल गया और वे विशेष सचिव से सचिव बन गए। कांग्रेस की सरकार में राजेश टोप्पो का प्रमोशन अटक गया था। पदोन्नति समिति ने जाँच के चलते राजेश टोप्पो का लिफाफा बंद कर दिया था। राज्य की भाजपा सरकार ने राजेश टोप्पो को पिछली तिथि से प्रमोशन का फायदा दे दिया है। ऐसा ही प्रकरण 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी पवनदेव का है। जाँच के कारण पदोन्नति समिति ने पवनदेव का लिफाफा बंद रखा है। खबर है कि पवनदेव के खिलाफ जाँच रिपोर्ट को सरकार ने नस्तीबद्ध कर दिया है। इससे पवनदेव के लिए डीजी पद पर प्रमोशन का रास्ता साफ़ हो गया है। पवनदेव डीजी पद पर पदोन्नत हो जाते हैं तो डीजीपी की रेस में शामिल हो जाएंगे और वरिष्ठता सूची में अरुणदेव गौतम से ऊपर होने के कारण उनकी दावेदारी मजबूत हो जाएगी। वैसे अभी डीजीपी की दौड़ में अरुणदेव गौतम और 1994 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता शामिल हैं। चर्चा है कि पवनदेव को डीजीपी बनवाने में भाजपा के एक नेता और कुछ अफसर रूचि ले रहे हैं।

केदार कश्यप का कद बढ़ा

वैसे तो संसदीय कार्य बहुत बड़ा विभाग नहीं है, पर महत्वपूर्ण है। विधानसभा सत्र के दौरान तो संसदीय कार्य विभाग की भूमिका काफी अहम होती है। सदन का सुचारु संचालन और प्रबंधन की जिम्मेदारी संसदीय कार्य मंत्री की होती है। यह विभाग किसी वरिष्ठ और अनुभवी मंत्री को ही देने की परंपरा है। संसदीय कार्य विभाग मिलने से केदार कश्यप का कद बढ़ गया है। केदार कश्यप के पास पहले से ही जल संसाधन, वन और सहकारिता विभाग हैं। केदार कश्यप 15 साल डॉ रमन सिंह मंत्रिमंडल में भी मंत्री रहे। कहा जा रहा है कि पिछले वर्षों में प्रदेश संगठन में महामंत्री रहने और संगठन के करीब होने का फायदा केदार कश्यप को मिला और साय मंत्रिमंडल में उनका वजन बढ़ गया।

कलेक्टर को सांसद की खरी-खरी

कहते हैं एक सांसद जी ने एक जिले के कलेक्टर को खरी-खरी सुना दी। चर्चा है कि सांसद ने कलेक्टर साहब को कुछ काम के लिए कहा। कलेक्टर साहब दाएं-बाएं सुनाने लगे और एक नंबर बंगले से निर्देश दिलाने की बात करने लगे। इस पर सांसद जी ने कलेक्टर को खरी-खरी सुना दी। कहा जा रहा है कि सांसद जी के गुस्से के बाद कलेक्टर साहब ने उन्हें फोन लगाया, पर सांसद जी ने फोन नहीं उठाया और न ही उनके किसी प्रतिनिधि से बात की। खबर है कि कलेक्टर साहब सांसद जी से पैचअप करने में लग गए हैं । अब देखते हैं सांसद जी का गुस्सा शांत होता है या नहीं।

रमेश बैस का क्या होगा ?

महाराष्ट्र के राज्यपाल और छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ भाजपा नेता रमेश बैस को लेकर चर्चाएं तेज हैं। रमेश बैस को एक कार्यकाल और मिलेगा या नहीं, इस पर कयासबाजी चल रही है। बैस जी का पांच साल का कार्यकाल इस महीने समाप्त होने जा रहा है। रमेश बैस को 2019 में त्रिपुरा का राज्यपाल बनाया गया था। इसके बाद 2021 से 2023 तक झारखंड के राज्यपाल रहे। 13 फरवरी 2023 से महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। रमेश बैस लगातार सात बार रायपुर से सांसद रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया। केंद्र में भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद उन्हें त्रिपुरा का राज्यपाल बनाकर भेजा गया। माना जा रहा है कि रमेश बैस को एक कार्यकाल और मिल सकता है। रमेश बैस को फिर मौका नहीं मिला तो छत्तीसगढ़ के दूसरे किसी नेता को राज्यपाल बनाया जा सकता है।

क्या अमित अग्रवाल जल्दी आएंगे ?

चर्चा है कि 1993 बैच के आईएएस अमित अग्रवाल जल्दी छत्तीसगढ़ लौट सकते हैं। अमित अग्रवाल अभी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के सीईओ के रूप में कार्यरत हैं। वहां 2 नवंबर 2024 तक उनका कार्यकाल है। अमित अग्रवाल काफी सालों से भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर हैं। वे रमन सिंह सरकार में छत्तीसगढ़ लौटे थे और कुछ साल वित्त सचिव रहे, फिर दिल्ली चले गए। अब फिर उनकी वापसी की सुगबुगाहट चल रही है। अमित अग्रवाल छत्तीसगढ़ आते हैं तो अगले मुख्य सचिव की दौड़ में रहेंगे।

ऋतु सैन को पोस्टिंग का इंतजार

2003 बैच की आईएएस ऋतु सैन की छत्तीसगढ़ वापसी हो गई है। कहते हैं उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग में ज्वाइनिंग दे दी है। अब पोस्टिंग का इंतजार है। माना जा रहा है कि सरकार कुछ आईएएस अफसरों के विभागों में हेरफेर कर ऋतु सैन को कोई विभाग दे सकती है। वैसे साय सरकार में दिल्ली से वापसी करने वाले अफसरों को पोस्टिंग के लिए इंतजार ही करना पड़ा। पिछले छह -सात महीने में दिल्ली से कई अफसरों की राज्य में वापसी हुई है। भूपेश सरकार में केंद्र सरकार से प्रतिनियुक्ति पर गए कुछ अफसर समय से पहले ही वापस आ गए। इस कारण राज्य में आईएएस अफसरों की कमी खत्म हो गई है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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