राजनीति

POLITICS; इमरान की Ex ने किया सियासी धमाका,रेहम खान की नई पार्टी से पाकिस्तानी राजनीति में भूचाल

पीआरपी

इस्लामाबाद, पाकिस्तान की सियासत में एक नई और चौंकाने वाली एंट्री ने सबका ध्यान खींचा है. लंबे समय तक पीटीआई, पीएमएल-एन और पीपीपी जैसी बड़ी पार्टियों के इर्द-गिर्द घूमती रही राजनीति में अब एक नया नाम शामिल हो गया है- रेहम खान. इमरान खान की पूर्व पत्नी, बीबीसी की पूर्व पत्रकार और फिल्म प्रोड्यूसर रेहम ने अब पाकिस्तान रिपब्लिक पार्टी (PRP) के नाम से अपनी खुद की सियासी पार्टी लॉन्च कर दी है.

रेहम खान ब्रिटिश-पाकिस्तानी पत्रकार और फिल्म प्रोड्यूसर हैं. पाकिस्तान में उनकी पहचान 2015 में इमरान खान से शादी के बाद तेजी से बनी. यह शादी महज 10 महीनों में टूट गई, लेकिन उसके बाद उनकी छवि हमेशा विवादों में रही.रेहम ने 2018 में एक विवादास्पद किताब लिखी, जिसमें इमरान पर बेवफाई और निजी जीवन से जुड़े कई सनसनीखेज आरोप लगाए. खासकर बुशरा बीबी के साथ रिश्ते को लेकर किए गए दावे ने पाकिस्तान की राजनीति में हलचल मचा दी थी. हालांकि उन्होंने 2022 में अमेरिकी मूल के पाकिस्तानी अभिनेता मिर्ज़ा बिलाल से तीसरी शादी की, लेकिन सोशल मीडिया पर अपनी राजनीतिक टिप्पणियों और सक्रियता के जरिए वह लगातार सुर्खियों में बनी रहीं.

15 जुलाई 2025 को कराची प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेहम खान ने पाकिस्तान रिपब्लिक पार्टी की घोषणा की. उन्होंने कहा, ‘पहले मैं राजनीति में किसी एक शख्स के लिए आई थी, अब अपने लिए और जनता के लिए आई हूं.’ यह बयान इमरान खान पर तंज समझा जा रहा है.

15 जुलाई 2025 को कराची प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रेहम खान ने पाकिस्तान रिपब्लिक पार्टी की घोषणा की. उन्होंने कहा, ‘पहले मैं राजनीति में किसी एक शख्स के लिए आई थी, अब अपने लिए और जनता के लिए आई हूं.’ यह बयान इमरान खान पर तंज समझा जा रहा है.

क्या PRP इलेक्शन में सफल हो सकती है? PRP के पास न तो पीटीआई जैसा जनाधार है, न ही पीएमएल-एन और पीपीपी जैसी जमीनी पकड़. पाकिस्तान की राजनीति बिरादरी सिस्टम और लोकल नेटवर्क से चलती है जो रातोंरात नहीं बनता. पाकिस्तान में सेना की मूक सहमति के बिना सियासत लंबी नहीं चलती. फिलहाल ऐसा कोई संकेत नहीं है कि रेहम को सेना या इंटेलिजेंस का समर्थन मिल रहा है.

रेहम खान की छवि खासकर PTI समर्थकों के बीच विवादास्पद है. उन्हें कई लोग “इमरान विरोधी एजेंडे” का चेहरा मानते हैं. उनका पश्चिमी लाइफस्टाइल और खुले विचार रूढ़िवादी वर्ग में लोकप्रियता नहीं दिला पाते. रेहम का “आम आदमी बनाम सत्ता” वाला नैरेटिव जनता के बीच अपील कर सकता है, खासकर मौजूदा आर्थिक संकट और महंगाई के दौर में. लेकिन उनके पास न तो संसाधन हैं, न संगठन.

देश में पीटीआई कमजोर हो चुकी है, पीएमएल-एन और पीपीपी में जनता का भरोसा गिरा है. ऐसे में रेहम खान उस “फ्रस्ट्रेशन” को भुना सकती हैं, जो लोग मौजूदा सियासी व्यवस्था से महसूस कर रहे हैं. रेहम खान ने एक साहसिक कदम उठाया है, लेकिन पाकिस्तान की राजनीति महज नारों से नहीं चलती. उन्हें अगले एक-दो साल में संगठन, गठजोड़ और ग्राउंड कनेक्शन पर काम करना होगा. अगर वे अपनी छवि को ईमानदार और जनहितकारी नेता के रूप में स्थापित कर पाईं, तो पाकिस्तान की सियासत में असली भूचाल आ सकता है.

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