
0 बस्तर से सरगुजा तक फेडरेशन ने सरकार को याद दिलाया कर्मचारियों एवं पेंशनरों से किये गये वादे-कमल वर्मा 0 0 फेडरेशन ने कहा मोदी की गारंटी-गारंटी की गारंटी है, छत्तीसगढ़ सरकार अनादर न करे
रायपुर, कर्मचारियों के लिए मोदी की गारंटी लागू करने के मुद्दे पर रैली- प्रदर्शन के साथ फेडरेशन ने राज्य के सभी जिला कलेक्टर तथा ब्लॉक में एस.डी.एम के माध्यम से सरकार को आज 16 जुलाई को 11 सूत्रीय मांगपत्र के साथ अल्टीमेटम दिया है।
फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा,बी पी शर्मा,राजेश चटर्जी, जी आर चंद्रा,रोहित तिवारी एवं संजय सिंह ठाकुर ने बताया कि विधानसभा चुनाव-2023 के समय प्रदेश के कर्मचारियों के लिये प्रमुख वादे को मोदी की गारंटी के रूप में प्रचार-प्रसार किया गया था। यह प्रचारित किया गया था कि यदि सरकार बनती है तो प्रदेश के शासकीय सेवकों एवं पेंशनरों को केन्द्र के समान महँगाई भत्ता एवं राहत दिया जायेगा। देय तिथि से लंबित डी.ए.एरियर्स की राशि को कर्मचारियों के जी पी एफ खाते में समायोजित किया जायेगा।
अनियमित/संविदा/दैनिक वेतनभोगी/अतिथि शिक्षक इत्यादि संवर्ग का नियमितीकरण किया जायेगा।सहायक शिक्षकों का वेतन विसंगति दूर किया जायेगा।पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जायेगा। तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग के पुलिस कर्मचारियों के आवास हेतु पुलिस कल्याण कोष को सशक्त करेंगे।मितानिन,रसोईया तथा सफाई कर्मी के वेतन में 50 % की वृद्धि होगी। फेडरेशन के कहना है कि सरकार ने केवल कमेटियों का गठन किया है। उन्होंने प्रश्न किया कि क्या मोदी की गारंटी का परीक्षण सरकार द्वारा गठित कमेटी करेगी?
फेडरेशन का कहना है कि वेतन विसंगति तथा कर्मचारियों के ज्वलंत मुद्दों के निराकरण करने गठित पिंगुआ कमेटी का निष्कर्ष लंबित है।छत्तीसगढ़ के कर्मचारी-अधिकारी चार स्तरीय वेतनमान के सेवालाभ से वंचित हैं,जबकि मध्यप्रदेश में मिल रहा है।सहायक शिक्षक तथा सहायक पशु चिकित्सा अधिकारी त्रिस्तरीय समयमान की स्वीकृति का मामला लंबित है।अनुकंपा नियुक्ति में 10% सिलिंग के कारण हजारों प्रकरणों का निराकरण लंबित है।
अर्जित अवकाश नगदीकरण 300 दिवस पर निर्णय लंबित है। कर्मचारी का भविष्य *पेंशन लाभ* से जुड़ा बेहद संवेदनशील मामला एन.पी.एस एवं ओ.पी.एस पर सरकार की नीति गलत है।एन.पी.एस कटौती तिथि से ओ.पी.एस हेतु सेवाकाल गणना पर फेडरेशन के सुझाव पर अनिर्णय की स्थिति है।कार्यालयों में स्वीकृत वर्षो पुराने सेटअप पुनरीक्षित नहीं होने से कर्मचारियों पर अत्यधिक वर्कलोड है।सरकार कार्यभारित, संविदा,दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं होने से उनका भविष्य अंधकारमय है।
पंचायत सचिवों का शासकीयकरण मामले पर सरकार सिर्फ आश्वासन देकर चुप्पी साध लिया है। फेडरेशन ने तमाम मुद्दों को एकजाई कर 11 सूत्रीय माँगपत्र सरकार को दिया है।यदि सरकार ने समाधान कारक निर्णय नहीं लिया तो 22 अगस्त 25 को कलम बंद-काम बंद हड़ताल होगा।