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SUPREME COURT; ईव्हीएम-व्हीव्हीपेट से जुड़ी याचिकाओं पर 16 को सुप्रीम सुनवाई, एक फैसले से चुनाव परिणाम में हो सकती है 5-6 दिन की देरी

नई दिल्ली, लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर EVM के सभी वोटों की गिनती VVPAT की पर्चियों से कराने की मांग उठी है। अब वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के साथ डाले गए वोटों के सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर 16 अप्रैल को सुप्रीम सुनवाई होगी। वहीं 19 अप्रैल को पहवे चरण का मतदान होगा। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ मामले की सुनवाई कर सकती है। अगर सुप्रीम कोर्ट EVM के सभी वोटों का सत्यापान VVPAT की पर्चियों से कराने का निर्णय लेता है तो इससे चुनाव परिणाम आने में 5-6 दिन की देरी हो सकती है।

दरअसल मार्च 2023 में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने EVM वोटों और VVPAT की पर्चियों का मिलान करने की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच इस पर सुनवाई कर रही है। हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब EVM में दर्ज वोटों और VVPAT की पर्चियों के मिलान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई हो। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। याचिका में विपक्षी पार्टियों ने मांग की थी कि हर लोकसभा क्षेत्र के 50% EVM वोटों को VVPAT की पर्चियों से मिलान की जाए।

जानिए क्या होता है VVPAT ?

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) ने 2013 में VVPAT यानी वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनें डिजाइन की थीं। ये दोनों वही सरकारी कंपनियां हैं, जो EVM यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें भी बनाती हैं। VVPAT मशीनों का सबसे पहले इस्तेमाल 2013 के नागालैंड विधानसभा चुनाव के दौरान हुआ था। इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में कुछ सीटों पर भी इस मशीन को लगाया गया। बाद में 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में भी इनका इस्तेमाल हुआ था 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली बार VVPAT मशीनों का इस्तेमाल देशभर में किया गया था। उस चुनाव में 17.3 लाख से ज्यादा VVPAT मशीनों का इस्तेमाल किया गया था।

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