JORA NALA; जल विवाद को लेकर नाराज किसान पहुंचे जोरा नाला, स्ट्रक्चर पर जमा रेत -पत्थर के ढेर को हटाया
जल विवाद

0 सरकार का दावा- जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर से इंद्रावती नदी में जल प्रवाह सुनिश्चित
जगदलपुर, इंद्रावती नदी पर जल विवाद का अभी तक कोई स्थायी हल नहीं निकला है। गाहें बगाहें जब तब विवाद खडा हो जाता है। जोरा नाला पर स्ट्रक्चर पर पानी के बहाव को लेकर विवाद फिर खडा हो गया है। इससे किसानों को फिर जोरा नाला विवाद पर उतरना पडा है। किसानों ने जोरा नाला ज्वाइंट पाइंट पर रेती -पत्थर कंकड़ को हटाकर जल बहाव सुनिश्चित किया।
छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच में वर्ष 2003 और इसके बाद कई बार यह समझौता हुआ था कि जोरा नाला से आने वाले पानी को दोनों राज्य 50-50 प्रतिशत की हिस्सेदारी में बांटेंगे और दोनों के ज्वाइंट पाइंट पर रेग्युलेटर लगाए गए ताकि पानी बराबर-बराबर दोनों राज्यों को मिल सके, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। इसको जानने के लिए किसानों के द्वारा 8 सदस्य जांच कमेटी गठित किया गया।
इंद्रावती नदी बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित किया गया। मंगलवार को वहां देखा गया कि लेकिन जिला प्रशासन का दावा फेल हो चुका हैं। जोरा नाला में जाकर जमाव रेत -पत्थर के ढेर मजदूर लगाकर हटाया गया। लेकिन जिला प्रशासन के द्वारा इस पर कोई सहयोग नहीं किया गया है। बस्तर जिले के ग्राम पंचायत आड़ावाल,नारायणपाल ,भौंड , लामकेर सालेमेटा , झारतराई , नदी सागर ,बड़े चकवा , बोड़नपाल , पराली, , कोंडालूर , घाट धनोरा ,टिकरा धनोरा , तारागांव, तोतर , सिंघनपुर के नाराज किसानों ने उड़ीसा जोरा नाला में जाकर फावड़ा , गैती, शाबल , तगाड़ी लेकर पहुंचे। इसमें जमाव रेती -पत्थर के ढेर को हटाया गया। दोनों के ज्वाइंट पाइंट किसानों ने लगभग छ: घंटे मेहनत कर रेती -पत्थर कंकड़ को हटाया गया।
किसानों ने खुद दाल चावल लाकर सामूहिक रूप से भोजन बनाया। इंद्रावती नदी ज्वाइंट पाइंट से पानी का बहाव अब तेज हो गया है। इसके चलते इंद्रावती नदी के प्रभावित किसानों खुशी जाहिर की। इस दौरान इंद्रावती नदी बचाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष लखेश्वर कश्यप, सुभाष कश्यप ,हेमराज बघेल , पूरन सिंह कश्यप, कृपालु कश्यप आदि अन्य किसान उपस्थित थे।
0 सरकार का दावा- जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर से इंद्रावती नदी में जल प्रवाह सुनिश्चित
इधर सरकार ने दावा किया है कि मुख्यमंत्री की पहल पर जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर में जल प्रवाह को नियंत्रित कर इंद्रावती नदी की मुख्य धारा में पानी छोड़ा गया है। ओडिशा सरकार की सहमति के बाद स्ट्रक्चर में रेत की बोरियां डालकर पानी का प्रवाह सुनिश्चित किया गया, जिससे इंद्रावती नदी में जल स्तर में वृद्धि हुई है।
बताया गया है कि जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल से इंद्रावती नदी के जल संकट के समाधान हेतु चर्चा की। इस पर केंद्रीय मंत्री ने छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा के मुख्यमंत्रियों को समस्या के निराकरण हेतु आवश्यक निर्देश दिए। जिसके परिणामस्वरूप उड़ीसा राज्य की सहमति से जोरा नाला कंट्रोल स्ट्रक्चर को अस्थायी रूप से एक फीट ऊंचा किया गया, जिससे इंद्रावती नदी के जल प्रवाह में सुधार हुआ।
इसके अतिरिक्त, इंद्रावती नदी के अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम में जमा रेत को हटाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है, जिसे अप्रैल के पहले सप्ताह तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस संबंध में कलेक्टर हरिस एस के मार्गदर्शन में अपर कलेक्टर सी.पी. बघेल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक महेश्वर नाग और जल संसाधन विभाग के ईई वेद पांडेय ने स्थानीय किसानों को जिला कार्यालय के प्रेरणा सभा कक्ष में पूरी जानकारी दी।
0 इंद्रावती नदी और जोरा नाला की पुरानी समस्या
इंद्रावती नदी का उद्गम ओडिशा राज्य के कालाहांडी जिले के रामपुर धुमाल गांव से हुआ है। यह नदी 534 किलोमीटर की यात्रा के बाद गोदावरी नदी में मिलती है। नदी का कैचमेंट एरिया 41,665 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें ओडिशा में 7,435 वर्ग किमी, छत्तीसगढ़ में 33,735 वर्ग किमी और महाराष्ट्र में 495 वर्ग किमी शामिल हैं। ओडिशा राज्य की सीमा पर ग्राम सूतपदर में इंद्रावती नदी दो भागों में बंट जाती है। एक भाग इंद्रावती नदी के रूप में 5 किमी बहकर ग्राम भेजापदर के पास छत्तीसगढ़ में प्रवेश करता है, जबकि दूसरा भाग जोरा नाला के रूप में 12 किमी बहते हुए शबरी (कोलाब) नदी में मिल जाता है। पहले जोरा नाला का पानी इंद्रावती में आता था, लेकिन धीरे-धीरे इसका बहाव बढ़ने से इंद्रावती का जल प्रवाह कम हो गया।
समस्या गंभीर होने पर दिसंबर 2003 में ओडिशा और छत्तीसगढ़ के प्रमुख अभियंताओं की बैठक में जोरा नाला के मुहाने पर जल विभाजन के लिए कंट्रोल स्ट्रक्चर बनाने का निर्णय लिया गया। यह स्ट्रक्चर ओडिशा सरकार द्वारा बनाया गया, जिसकी डिज़ाइन केंद्रीय जल आयोग (CWC) ने तैयार की। निर्माण के बाद भी जोरा नाला में अधिक पानी जाने से छत्तीसगढ़ को ग्रीष्म ऋतु में औसतन 40.71% और ओडिशा को 59.29% जल प्रवाह मिला।
0 वर्ष 2018 के बाद इंद्रावती नदी में सतत जल प्रवाह कम होने की समस्या
इंद्रावती नदी में न्यूनतम जल प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने कई प्रयास किए। 6 जनवरी 2021 को ओडिशा और छत्तीसगढ़ के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने संयुक्त निरीक्षण किया। इस निरीक्षण में कंट्रोल स्ट्रक्चर के अपस्ट्रीम में जलभराव रोकने के लिए रेत और बोल्डर हटाने तथा जोरा नाला के घुमाव को सीधा करने का अनुरोध किया गया। वर्ष 2018 के बाद इंद्रावती नदी में सतत जल प्रवाह कम होने की समस्या बनी हुई थी। अब राज्य सरकार के प्रयासों से ओडिशा सरकार का सहयोग प्राप्त हुआ है, जिससे नदी के जल प्रवाह को संतुलित करने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। इससे इंद्रावती नदी में जल प्रवाह बढ़ेगा और किसानों को सिंचाई के लिए पानी की बेहतर उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
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