
ज्ञान पीठ पुरस्कार ,भारतीय भाषाओं में अनुकरणीय लेखन के लिए दिया जाने वाला सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है। संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज 22 भाषाओं में 1967 के बाद शामिल सिंधी(1967), कोंकणी, मणिपुरी नेपाली (1992), बोडो, डोंगरी, मैथिली, संथाली (2004) भाषाओ में से केवल कोंकणी भाषा के साहित्यकार ज्ञान पीठ पुरस्कार से सम्मानित हुए है।
इस साल का ज्ञानपीठ पुरस्कार छत्तीसगढ़ के साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल को देने की घोषणा हो चुकी है। हिंदी भाषा में ज्ञान पीठ पुरस्कार पाने वाले विनोद कुमार शुक्ल बारहवें साहित्यकार है। हिंदी भाषा की सेवा करने वालो में सुमित्रानंदन पंत1968, रामधारी सिंह दिनकर1972, सच्चिदानंद वात्स्यायन1978,महादेवी वर्मा1982, नरेश मेहता1992, निर्मल वर्मा1999, कुंवरनायण2005 ,अमरकांत2009, श्रीलाल शुक्ल2009, केदार नाथ सिंह2013, और कृष्णा सोबती2017 का नाम शामिल है।
हिंदी के बाद सर्वाधिक आठ बार ज्ञानपीठ पुरस्कार कन्नड़ भाषा के साहित्यकारों को मिला है। के. वी. पुट्टप्पा, दत्तात्रेय रामचंद्र बेंद्रे, के शिवराम कारंत, एम. वेंकटेश अय्यर, विनायक कृष्ण गोकाक, यू आर अनंतमूर्ति, गिरीश कर्नाड, चंद्र शेखर कांबरा, कन्नड़ भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार है।
मलयालम भाषा के छह साहित्यकारों जी.शंकर कुरूप, एस. के. पोटेकट्ट , टी.शिव शंकर पिल्लई, एम. टी. वासुदेवनायर, ओ.एन.वी. कुरूप, ए.ए.नंबूदरी, को ज्ञान पीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। बंगाली, मराठी और ऊर्दू भाषा के पांच पांच साहित्यकारों को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। बंगाली भाषा के सेवा के लिए ताराशंकर बंदोपाध्याय, विष्णुदेव, आशापूर्णा देवी, सुभाष मुखोपाध्याय, महाश्वेता देवी सम्मानित हुई है।
मराठी भाषा के लिए विष्णु सखाराम खांडेकर, विष्णु वामन श्रीवाडकर कुसुमाग्रज, विंदा करणकर, बालचंद्र नेमादे, को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। उर्दू भाषा के लिए फिराक गोरखपुरी, कुर्तुल एन हैदर, असीरदार जाफरी, अख़्लाख मोहम्मद खान शायर और गुलज़ार को ये सम्मान मिला है।
उड़िया भाषा के चार साहित्यकार गोपीनाथ मोहंती,सचिदानंद राउत्रे,सीताराम महापात्र और प्रतिभा रेखा भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। गुजराती और असमिया भाषा के लिए तीन तीन साहित्यकारों को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है
गुजराती भाषा के उमाशंकर जोशी, पन्नालाल पटेल और राजेंद्र शाह को सम्मान मिला है। असमिया भाषा के लिए वीरेंद्र कुमार भट्टाचार्य, माओनी राइसो गोस्वामी और नीलमणि फूकन को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।
तेलुगु,तमिल,पंजाबी,कश्मीरी कोंकणी और संस्कृत भाषा के दो दो साहित्यकार भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हुए हैं। तेलुगु के विश्वनाथ सत्यनारायण, सी.नारायण रेड्डी, तमिल के अकिलानंदन , दंडपति जयकांथन और पंजाबी भाषा की सेवा के लिए अमृता प्रीतम और गुरुदयाल सिंह, कोंकणी भाषा के लिए रविन्द्र केलेकर और दामोदर माउजो को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।
संस्कृत भाषा को देवभाषा माना गया है। भारत के चार वेद सहित अठारह पुराण इसी भाषा में लिखा गया है। माना जाता है कि तमिल, तेलुगु, मलयालम भाषा की उत्पत्ति भी देवभाषा से हुई है। इस भाषा के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार सत्यव्रत शास्त्री और रामभद्राचार्य (जिनकी गवाही के चलते सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्म भूमि के अस्तित्व को स्वीकार किया) को दिया गया है।
कश्मीरी और अंग्रेजी भाषा (संविधान की भाषा सूची में शामिल नहीं ) के लिए क्रमशः रहमान राही और अमितव घोष को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। आठ महिलाओं आशापूर्णा देवी,अमृता प्रीतम, महादेवी वर्मा, कुर्तुल एन हैदर, महाश्वेता देवी, माओमी खाईसाम गोस्वामी, प्रतिभा राय और कृष्णा सोबती ज्ञान पीठ पुरस्कार से सम्मानित हुई है। 1967,1973, 2006, 2009और 2023 में दो दो साहित्यकारों को ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है। यह पुरस्कार 1965 से लेकर 2024 के सालों में दिया गया। केवल 2020 में कोरोना काल में स्थगित किया गया था।
स्तंभकार-संजयदुबे