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KIIT;किसने बनाई कीट यूनिवर्सिटी, 5000 रुपये, दो कमरे से बना 100 अरब का साम्राज्य

कीट यूनिवर्सिटी

* KIIT में 65 देशों के 40,000 छात्र पढ़ते हैं, इसकी स्थापना 1992 में प्रोफेसर अच्युत सामंत ने की थी

भुबनेश्वर, ओडिशा के जिस कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) में एक नेपाली छात्रा की मौत के बाद काफी बवाल मच गया है, इस घटना के बाद प्रदर्शन करने वाले नेपाली स्टूडेंट्स से यूनिवर्सिटी स्टाफ के बीच बहस भी हुई, जिसका वीडियो वायरल होने लगा. मामला इतना तूल पकड़ चुका कि बात नेपाल तक पहुंच गई और वहां के पीएम ने दूतावास के दो अधिकारियों को ओडिशा भेज दिया. हालांकि इस मामले में 3 डायरेक्टर समेत कुल 6 लोगों को अरेस्ट किया गया है. इस विवाद के बाद कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) सुर्खियों में है.

तो आपको बता दें कि ओडिशा के भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) की स्थापना 1992 में इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के रूप में हुई थी. उस समय सिर्फ 12 स्टूडेंट्स और दो फैकल्टी मेंबर्स के साथ इसकी शुरुआत की गई थी. 2017 में इसे UGC ने ‘डीम्ड यूनिवर्सिटी’ का दर्जा दिया. आज इस यूनिवर्सिटी में तकरीबन 65 देशों के 40,000 स्टूडेंट्स पढ़ते हैं. इनमें 2,000 से अधिक स्टूडेंट्स दूसरे देशों से हैं, जबकि बाकी भारत के अलग-अलग राज्यों से आते हैं. इसमें 40 फीसदी स्टूडेंट्स नेपाल से हैं. इसी तरह कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) 80000 आदिवासी छात्रों को मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, खेल, और व्यावसायिक प्रशिक्षण उपलब्‍ध कराता है. .financemostly.com के मुताबिक कभी 5000 रुपये से शुरू हुआ कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) और कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) की नेटवर्थ 10000 करोड़ रुपये है.

किसने रखी कलिंगा यूनिवर्सिटी की नींव?
कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) की नींव प्रोफेसर अच्युत सामंत ने रखी थी. अच्युत सामंत का जन्म ओडिशा के एक गांव में हुआ था. उनके पिता का बचपन में ही निधन हो गया था और महज चार साल की उम्र में वह अनाथ हो गए. 15 वर्षों तक उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और 22 वर्ष की उम्र में शिक्षक बन गए. 25 साल की उम्र में अच्युत सामंत ने महज 5000 रुपये से दो किराए के कमरों में एक इंस्टीट्यूट की नींव रखी, जो आगे चलकर कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (KIIT) और कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (KISS) के नाम से जाना जाने लगा. प्रो.अच्युत सामंत ने कलिंगा इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, डेंटल साइंसेज और नर्सिंग साइंसेज की भी स्थापना की, जिसमें 2600 बिस्तरों वाला आधुनिक अस्पताल और सुपर स्पेशियलिटी सेंटर भी शामिल है.इसके अलावा उन्होंने एशिया का पहला स्मार्ट गांव ‘कलाराबांका’ विकसित किया, जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होता है.

60 से अधिक डॉक्‍टरेट उपाधियां 
अच्युत सामंत ने 1987 में केमिस्ट्री में मास्टर डिग्री हासिल की और उसके बाद सोशल साइंसेज में पीएचडी की. वह बाद में ओडिशा के कंधमाल से बीजू जनता दल (BJD) के टिकट पर सांसद चुने गए. 2018 में वह राज्‍यसभा सदस्‍य रहे और 2019 से 2024 तक लोकसभा सदस्य भी रहे. अच्युत सामंत को उनकी समाज सेवा के लिए उन्हें 60 से अधिक मानद डॉक्टरेट की उपाधियां मिली हैं. उन्हें मंगोलिया और बहरीन के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.

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