
रवि भोई
क्या साय मंत्रिमडल का विस्तार अगले महीने होगा ?
माना जा रहा है कि विष्णुदेव साय मंत्रिमंडल अप्रैल में हो जाएगा। चर्चा है कि इस विस्तार में कुछ नए चेहरे आएंगे तो कुछ पुराने की विदाई हो सकती है। साय मंत्रिमंडल में अभी मंत्री के दो पद खाली हैं और हरियाणा फार्मूला लागू हुआ तो तीन की गुंजाइश है। साय मंत्रिमंडल के विस्तार की अटकलें कई महीनों से चल रही हैं। लोकसभा के बाद नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव भी निपट गया, लगता है अब मंत्रिमंडल विस्तार का मुहूर्त निकल जाएगा। चर्चा है कि ख़राब परफॉर्मेंस और विवादों में घिरे कुछ मंत्रियों को ड्राप किया जा सकता है। भाजपा विधायकों में मंत्री बनने के लिए एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चल रही है। कई नए और पुराने विधायक मंत्री बनना चाहते हैं। रायपुर जिले से मंत्री बनने की दौड़ में राजेश मूणत,पुरंदर मिश्रा और सुनील सोनी हैं तो बिलासपुर से अमर अग्रवाल और धरमलाल कौशिक का नाम चर्चा में है। दुर्ग से गजेंद्र यादव का नाम सुर्ख़ियों में है। बस्तर से विक्रम उसेंडी का नाम कुछ लोग उछाल रहे हैं। सरगुजा संभाग से पुराने और नए विधायक मंत्री बनने के इच्छुक बताए जाते हैं। अब देखते हैं किसकी किस्मत चमकती है। कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार के साथ कुछ नेताओं को अगले माह निगम-मंडल की कुर्सी मिल जाएगी। चर्चा है कि संगठन के कुछ पदाधिकारियों को सरकारी पद मिल सकता है। इसके बाद प्रदेश संगठन में भी कुछ बदलाव होगा। खबर है कि अगले कुछ महीनों में प्रदेश अध्यक्ष किरणदेव की नई टीम बन जाएगी।
रायपुर जिला पंचायत पर अंततः भाजपा का कब्जा
रायपुर जिला पंचायत पर भाजपा ने आखिरकार कब्जा कर लिया। बताते हैं रायपुर जिला पंचायत में भाजपा का स्पष्ट बहुमत नहीं था, पर साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाकर अपना अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनवा लिया और कांग्रेसी देखते रह गए। भाजपा ने जोगी कांग्रेस से जुड़े संदीप यदु को अपने साथ शामिल कर लिया और बाकी पर दबाव बना दिया। रायपुर जिला पंचायत में गणित नहीं बैठने के कारण दो बार चुनाव को टालना भी पड़ा और जब गणित फिट बैठ गया और केमेस्ट्री मिल गई तो भाजपा ने चाल चल दी। कहते हैं एक सदस्य ना-नुकुर कर रहा था, पर अतिक्रमण दस्ता को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर उन्हें सरेंडर करा दिया गया। वैसे सुकमा में भाजपा का गणित काम नहीं आया और कांग्रेस की प्रत्याशी जिला पंचायत अध्यक्ष बन गईं ।
वन विभाग की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट जाएगी
खबर है कि पीसीसीएफ वी श्रीनिवास राव की नियुक्ति के खिलाफ अब आईएफएस सुधीर अग्रवाल सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। 1988 बैच के आईएफएस सुधीर अग्रवाल 1990 बैच के आईएफएस श्रीनिवास राव को पीसीसीएफ बनाए जाने के खिलाफ पहले कैट गए, फिर बिलासपुर हाईकोर्ट। हाईकोर्ट ने इसी महीने सुधीर अग्रवाल की याचिका को ख़ारिज कर अपैक्स स्केल पद पर श्रीनिवास राव की नियुक्ति को वैध ठहराया। याचिकाकर्ता सुधीर अग्रवाल ने श्रीनिवास राव की नियुक्ति पर आपत्ति करते हुए कहा था कि वे वरिष्ठता के आधार पर इस पद के अधिक पात्र थे। श्रीनिवास राव को भूपेश बघेल के राज में पीसीसीएफ बनाया गया। विष्णुदेव साय की सरकार में भी उन्हें बनाए रखा गया। सरकार बदलने के बाद पीसीसीएफ बदलने की कयास लगी थी,पर बदलाव हुआ नहीं और हाईकोर्ट ने श्रीनिवास राव की नियुक्ति पर मुहर लगा दी। हवा है कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुधीर अग्रवाल सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले हैं। कहते हैं श्रीनिवास राव की नियुक्ति के खिलाफ कुछ और वरिष्ठ अफसर कैट गए थे, पर वह मामला अभी कैट में ही पेंडिग है।
रेत से तेल निकालने के फेर में विधायक जी
कहते हैं राज्य के एक भाजपा विधायक रेत से तेल निकालने के चक्कर में हैं। इसके लिए अपने जिले में अपनी पसंद के अफसर को हाल ही में माइनिंग अफसर बना कर लाए हैं। बताते हैं विधायक बनने से पहले नेताजी कई रेत ठेका चलाते थे। इस कारण रेत ठेका में उन्हें मुनाफा नजर आता है। विधायक जी जिसे जिले का प्रतिनिधित्व करते हैं, उस जिले में अभी रेत खनन का काम शुरू नहीं हुआ है,पर विधायक जी काम शुरू होने से पहले गोटियां बिछाना शुरू कर दिया है। कहते हैं जिले के कलेक्टर साहब भी विधायक जी की मंशा को भांप गए हैं और बर्रे छत में हाथ डालने की जगह अपने को कोसो दूर कर लिया है। अब देखते हैं विधायक जी की रणनीति कितनी कारगर होती है।
डीजीपी के लिए यूपीएससी को गया पैनल
खबर है कि छत्तीसगढ़ के परमानेंट डीजीपी के लिए राज्य सरकार ने शुक्रवार को यूपीएससी को पैनल भेज दिया। पैनल में प्रभारी डीजीपी अरुणदेव गौतम के अलावा पवनदेव, जीपी सिंह और हिमांशु गुप्ता का नाम है। गौतम के साथ ये अधिकारी भी डीजी स्तर के हैं। अशोक जुनेजा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राज्य सरकार ने चार फ़रवरी को अरुणदेव गौतम को प्रभारी डीजीपी बनाया है। यूपीएससी की अनुशंसा के बाद छत्तीसगढ़ को स्थायी डीजीपी मिलेगा। परमानेंट डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो साल होगा। प्रभारी डीजीपी के नाते परमानेंट डीजीपी के मजबूत दावेदार अरुणदेव गौतम हैं, पैनल में शामिल तीनों भी सशक्त दावेदार हैं। अब देखते हैं यूपीएससी किसके नाम पर टिक लगाता है।
कुलदीप जुनेजा हुए मजबूत
कहा जा रहा है कि पार्षद आकाश तिवारी की कांग्रेस में वापसी से पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा के हाथ मजबूत हुए हैं। नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने आकाश तिवारी को टिकट नहीं दिया था। चर्चा है कि कुलदीप जुनेजा के समर्थक होने के कारण कांग्रेस ने आकाश तिवारी को टिकट नहीं दिया, जबकि आकाश पिछली बार उसी वार्ड से पार्षद थे। आकाश तिवारी निर्दलीय चुनाव लड़े और विजयी रहे। कुलदीप जुनेजा प्रदेश अध्यक्ष के खिलाफ बयान देकर संगठन के निशाने में हैं और उन पर निलंबन की तलवार लटक रही है, ऐसे में आकाश तिवारी की कांग्रेस में वापसी से कुलदीप जुनेजा का पलड़ा भारी हो गया है। बताते हैं कुलदीप जुनेजा पिता-पुत्र (आनंद कुकरेजा और अजीत कुकरेजा) की कांग्रेस में वापसी से मुखर हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में अजीत कुकरेजा कांग्रेस से बगावत कर रायपुर उत्तर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़े थे। कुलदीप जुनेजा कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी थे। चर्चा है कि कुलदीप अपनी हार का बड़ा कारण अजीत को मानते हैं।
विपक्ष की भूमिका में रहे भाजपा के कुछ विधायक
छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 21 मार्च को समाप्त हो गया। सदन तय कार्यक्रम के अनुसार ही चला,लेकिन इस बार सदन में विपक्षी सदस्यों के मुकाबले भाजपा के कुछ सदस्यों को ज्यादा आक्रामक देखा गया। भाजपा के कई सदस्य मंत्रियों को घेरने में परहेज नहीं किया। कई मौकों पर भाजपा सदस्यों और मंत्रियों के बीच गर्मागर्म बहस भी देखी गई। नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत ने भारतमाला प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार के मुद्दे को उछालकर सदन का माहौल दो दिन गर्म रखा। बजट सत्र में विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह की भूमिका हेडमास्टर जैसी रही। कई मौकों पर उन्होंने मंत्रियों को सवालों में घिरने से बचाया, तो कई मौकों पर जवाब न आने पर सख्त रुख भी अपनाया। कुछ विधायकों को नसीहत भी दी।
मातहत लेंगे वरिष्ठों का इंटरव्यू
खबर है कि 26 मार्च को मुख्य सूचना आयुक्त के पद के लिए मातहत अपने वरिष्ठों का इंटरव्यू लेंगे। मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए वर्तमान मुख्य सचिव अमिताभ जैन, पूर्व डीजीपी डी एम अवस्थी व अशोक जुनेजा के अलावा कई रिटायर्ड आईएएस ने आवेदन किया है। मुख्य सूचना आयुक्त के दावेदारों को 26 मार्च को सर्च कमेटी के सामने उपस्थित होना है। सर्च कमेटी एसीएस मनोज पिंगुआ की अध्यक्षता में बनाई गई है। इसमें कुछ प्रमुख सचिव भी हैं। बताते हैं दावेदारों का इंटरव्यू लेकर सर्च कमेटी पैनल बनाएगी। फिर इस पैनल के नामों पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी करेगी।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)