पडोसी राज्य का यह जिला बनता जा रहा है गांजे की अंतरराज्यीय तस्करी का हब, बड़े पैमाने पर हो रही है खेती
जगदलपुर, एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार ओडिशा के रायगड़ा जिला गांजे की अवैध खेती में अंतरराज्यीय तस्करी का केंद्र बनता जा रहा है। बड़े पैमाने पर यहां गांजे की खेती हो रही है। किसान और जमीन मालिक अन्य फसलों की खेती को छोड़कर इसे बड़े पैमाने पर अपना रहे हैं। रायगड़ा जिले के मुनिगुड़ा, चंद्रपुर, पद्मपुर और काशीपुर ब्लॉक में बड़े पैमाने पर गांजे की अवैध खेती देखी जा सकती है।
पर्यवेक्षकों ने कहा कि प्रतिबंधित पदार्थ गांजा की खेती और तस्करी के पीछे एक बड़ा गिरोह काम कर रहा है, जिसका नेटवर्क देश के विभिन्न हिस्सों और यहां तक कि बाहर भी फैला हुआ है। अधिक लाभ के कारण किसानों और भूस्वामियों को खेती की ओर तेजी से आकर्षित होते देखा जा रहा है। एक ओर अन्य फसलों की खेती में जहां काफी कमी दर्ज की गई है, वहीं जिले में गांजा की खेती में अच्छी खासी तेजी आई है।
कैसे होता है मुनाफा
एक किसान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अन्य फसलें उगाकर जितना मुनाफा होता है, उससे पांच गुना ज्यादा मुनाफा वहं गांजा की खेती से कमाता है। हालात ऐसे हो गए हैं कि लोगों ने गांजा किसानों को अपनी जमीनें भी पट्टे पर देनी शुरू कर दी हैं। उसने कहा कि अन्य फसलों की बजाय गांजे की खेती के लिए जमीन पट्टे पर देने से उनकी कमाई कई गुना बढ़ जाती है। यह प्रवृत्ति जिले के विभिन्न हिस्सों में फैल गई है, जबकि जिला उत्पाद शुल्क कर्मी और पुलिस अवैध पौधे की खेती और व्यापार पर सख्त कार्रवाई करने में विफल रहे हैं।
क्यों लाभकारी है गांजे की खेती
सूत्रों ने बताया कि गांजे की खेती खासतौर पर मुनिगुड़ा, काशीपुर, पद्मपुर और चंद्रपुर ब्लॉक में की जाती है। बड़े पैमाने पर खेती न केवल उच्च-लाभ से जुड़ी है, बल्कि किसानों को फसल के लिए मिलने वाली वित्तीय और अन्य सहायता से भी जुड़ी है।
खेती के लिए पैसे की कोई कमी नहीं है क्योंकि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ से गांजा व्यापारी अक्सर क्षेत्रों का दौरा करते हैं और किसानों और भूमि मालिकों को वित्तीय सहायता प्रदान करके इसकी खेती करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
वे उन्हें बीज, उर्वरक भी मुहैया कराते हैं और खेती के लिए पानी निकालने के लिए मोटर पंपों की व्यवस्था भी करते हैं। सुदूर रघुबाड़ी के विभिन्न पहाड़ी गांव, मुनिगुड़ा ब्लॉक के दिमिरिगुडा पंचायतें, पद्मपुर ब्लॉक के सुंदरपदर, कांचरागुड़ा, जंबागुड़ा पंचायतें और चंद्रपुर ब्लॉक के सुदूर बीजापुर गांव गांजा की खेती के हॉटस्पॉट हैं।
इन इलाकों में होती है खेती
काशीपुर ब्लॉक में, कपुगुडा, तलाडेस्का, जुबापदर, तुरेइघाटी, किचिखाल और पिताजोड़ी गांवों के पहाड़ी खेतों पर खेती की जाती है। इसके अलावा, काशीपुर और अन्य ब्लॉकों के दुर्गम और निर्जन इलाकों में स्थानीय लोगों से छिपाकर भी खेती की जाती है। फसल पकने के बाद के बाद, भुवनेश्वर, बरहमपुर, पुरी और केंद्रापाड़ा के गांजा व्यापारी बस, ट्रेन और विभिन्न मालवाहक वाहनों के माध्यम से सूटकेस और बैग में तस्करी के लिए खेती के संबंधित क्षेत्रों में जाते हैं।
बाद में, पुलिस और उत्पाद शुल्क कर्मियों की नजरों से बचते हुए इसे गुप्त तरीके से तस्करी कर राज्य के बाहर पहुंचा दिया जाता है। इस विषय पर संपर्क करने पर जिला उत्पाद अधीक्षक अभिराम बेहरा ने कहा कि उत्पाद शुल्क, पुलिस और वन कर्मी अक्सर संयुक्त छापेमारी कर गांजा की खेती को नष्ट कर रहे हैं।
लोगों को किया जा रहा प्रोत्साहित
वे लोगों को नकदी फसलों की खेती करने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं, जिससे उनकी कमाई बढ़ेगी और उन्हें अपनी उपज बेचने में कोई समस्या नहीं होगी। उन्होंने कहा कि नवंबर और दिसंबर में जब गांजा की कटाई होती है तो उत्पाद शुल्क और पुलिस कर्मी संयुक्त छापेमारी करते हैं।
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से हस्तक्षेप करने और अवैध तरीके से गांजे की खेती के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है। हालांकि, यह आश्चर्य की बात है कि उत्पाद शुल्क अधीक्षक के बड़े दावों के बावजूद, जिले में गांजे की अवैध खेती और तस्करी बढ़ती ही जा रही है।