कलेक्ट्रेट में चपरासी थे दादा और पिता हैं बाबू; अब बेटा बनने चला कलेक्टर
भोपाल, मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले के कलेक्ट्रेट में सहायक ग्रेड-3 के पद पर कार्यरत बाबू सुरेंद्र यादव के 23 वर्षीय बेटे शुभम का यूपीएससी (UPSC Result 2022) में चयन हो गया है. शुभम ने बचपन में दादा और फिर पिता की अंगुली पकड़ कर कलेक्टर बनने का जो सपना देखा था, अब वह साकार होने जा रहा है. क्योंकि सोमवार की देर शाम जारी यूपीएससी के रिजल्ट में शुभम ने आल इंडिया में 263वीं रैंक हासिल की है.
शुभम और उनके पिता को उम्मीद है कि इस रैंक पर उन्हें आईएएस मिल जाएगा. शुभम ने बातचीत में बताया कि उनके दादा स्व.संग्राम सिंह यादव कलेक्ट्रेट में चपरासी थे. तब वह बहुत छोटे थे और कभी-कभी उनके साथ कलेक्ट्रेट जाते थे. इसके बाद पिता सुरेंद्र यादव कलेक्ट्रेट में सहायक ग्रेड-3 बने, तब भी वह कलेक्ट्रेट जाते थे. बकौल शुभम यादव तभी से आंखों में कलेक्टर बनने सपना संजोया हुआ था. इसी चाह ने आज शुभम को यह सफलता दिलाई है.
शुभम के पिता सुरेंद्र यादव वर्तमान में कलेक्ट्रेट में बाबू हैं. उनकी इच्छा थी कि जहां वह नौकरी करते हैं, बेट वहां अधिकारी बने. आज बेटे ने अधिकारी बन उनके सपने को पूरा किया है. बेटे की सफलता पर पिता सुरेंद्र यादव ने कहा कि पिता के सपने को पूरा करना, इससे बढ़कर क्या खुश हो सकती है. आज मेरे बेटे ने यह सपना पूरा कर दिया है.
शुभम के अनुसार अक्सर उन्होंने देखा है कि दिल्ली जैसे महानगरों में ट्रांसपोर्टेशन की अच्छी व्यवस्था है. इस कारण वहां ज्यादातर महिलाएं काम करती हैं, क्योंकि यातायात सुगम और सुरक्षित है. यदि वह किसी जिले में बतौर IAS पदस्थ होंगे, तो वहां भी ऐसी व्यवस्था करने का प्रयास करेंगे. ताकि महिलाएं अधिक से अधिक काम कर सकें और अपने पैरों पर खड़ी हो सकें.
शुभम के अनुसार उनकी दूसरी प्राथमिकता इस बात पर निर्भर करती है कि उन्हें कौन सा कैडर मिलता है. उनके अनुसार अगर उन्हें मप्र मिला तो वह सबसे पहले कृषि के लिए सिंचाई व्यवस्था को दुरूस्त करने का प्रयास करेंगे और कृषि व सिंचाई दोनों में तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकता होगी.
दूसरे प्रयास में मिली सफलता
शुभम का कहना है कि उन्होंने बारहवीं शिवपुरी से ही पास की थी. इसके बाद स्नातक की उपाधि गणित विषय में हंसराज कालेज दिल्ली से हासिल की. फिर कोविड काल के दौरान शुभम ने दिल्ली से ऑनलाइन कोचिंग की. शुभम का कहना है कि वह कोविड के बाद भोपाल शिफ्ट हो गए, क्योंकि शिवपुरी में यूपीएससी परीक्षा का सेंटर नहीं पड़ता है. यहां उन्होंने तैयारी की. प्रथम प्रयास में वह प्री-एग्जाम में ही बाहर हो गए थे. दूसरे प्रयास में उन्होंने यह सफलता हासिल की है.