छत्तीसगढ में पहली बार 7 छात्रों की मॉस्टर ऑफ डेंटल सर्जरी की डिग्री रद्द, नहीं कर पाएंगे प्रैक्टिस
रायपुर, दीनदयाल उपाध्याय हेल्थ साइंस एंड आयुष विवि ने बिना नीट पास किए डेंटल कॉलेजों में एडमिशन लेने वाले सात छात्र-छात्राओं की मॉस्टर ऑफ डेंटल सर्जरी की डिग्री रद्द कर दी है। प्रदेश में मेडिकल एजुकेशन तथा दूसरे कोर्स में पहली बार किसी छात्र की डिग्री रद्द की गई है। विवि के प्रबंधन बोर्ड डिग्री रद्द करने का प्रस्ताव पास कर दिया है। डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया व छत्तीसगढ़ को इसकी सूचना भेज दी गई हैं ।
इसके बाद छात्रों का पंजीयन हटा दिया जाएगा। बिना पंजीयन वे छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों में एमडीएस डिग्री के आधार पर प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे। ऐसा करते पाए जाने पर सख्त कानूनी कार्रवाई का भी प्रावधान है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सप्ताहभर पहले हेल्थ साइंस विवि को 7 छात्रों की डिग्री रद्द करने संबंधी पत्र भेजा था। दरअसल इन छात्रों को प्रदेश के तीन निजी डेंटल कॉलेजों ने 2018 में मनमर्जी से एडमिशन दे दिया था। ये छात्र नीट एमडीएस क्वालफािइड भी नहीं थे। सुप्रीम कोर्ट ने इनके एडमिशन को गैरकानूनी बताया था।
इसके बाद डीएमई कार्यालय ने डिग्री प्रदान करने वाले विवि को पत्र लिखा। डिग्री रद्द करने के बाद निजी कॉलेज ही नहीं छात्रों में भी हड़कंप है। दरअसल तीन साल एमडीएस की पढ़ाई के बाद विवि ने डिग्री प्रदान किया था। इसमें निजी कॉलेजों ने एडमिशन नियम का पालन नहीं किया। इनमें न्यू हॉरीजन डेंटल कॉलेज बिला सपुर के तीन, रूंगटा कॉलेज भिलाई व मैत्री कॉलेज अंजोरा दुर्ग के दो-दो छात्र शामिल है। कॉलेजों ने मापअप राउंड में डीएमई कार्यालय द्वारा भेजी गई नीट पात्र छात्रों की सूची के बजाय अपनी मर्जी से एडमिशन दे दिया था। चर्चा है कि मोटा डोनेशन लेकर ऐसा किया गया।
इन छात्रों की डिग्री रद्द
1. शैलेंद्र शर्मा पिता शिवजी शर्मा, छपरा
2. मौमिता खटुआ पिता नित्यानार खटुआ, हल्दिया पश्चिम बंगाल 3. आंचल प्रधान पिता अशोक प्रधान बिलासपुर
4. पायल रमेश बोरकर पिता रमेश रामजी बोरकर नागपुर
5. राजलक्ष्मी अशोक अग्रवाल पिता अशोक राधाकृष्णन अग्रवाल यवतमाल महाराष्ट्र
6. संघमित्रा घोष पिता रतन घोष, बिलासपुर
7. शेफाली कदम पिता अशोक कदम, गरखा छपरा बिहार
2018 में ही डीएमई से नोटिस , हाईकोर्ट से राहत
एडमिशन की गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर डीएमई कार्यालय ने 2018 में ही छात्रांे को एडमिशन रद्द करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ तीनों कॉलेज प्रबंधन हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने छात्रों की पढ़ाई जारी रखने का आदेश दिया। यही कारण है कि छात्र पढ़ाई करते रहे। वहीं डेंटल कोर्स संचालन करने वाला डेंटल काउंसिल आफ इंडिया डीसीआई ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने डीसीआई के पक्ष में फैसला दिया और हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया।