जगन्नाथ मंदिर का बजट पारित; सालभर में खर्च होंगे 262 करोड़ रुपये, भक्तों की सुविधाएंं बढाने कोई खर्च नहीं
भुबनेश्वर, पुरी जगन्नाथ धाम में होने वाली विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के लिए महज एक सप्ताह का समय बचा है। ऐसे में नीलाद्री भक्त निवास में गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव की अध्यक्षता में सोमवार को प्रबंध समिति की हुई बैठक में वित्त वर्ष 2023-24 का पूर्णकालिक बजट पारित किया गया है। बैठक में रथयात्रा के व्यवस्थित संचालन और परिक्रमा मार्ग का काम 15 जून तक पूरा होने को लेकर भी विस्तृत चर्चा हुई है।
प्रबंध समिति की बैठक में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कुल 271.07 करोड़ रुपये की आय और 262.16 करोड़ रुपये व्यय होने का अनुमान लगाया गया है। इस तरह 8.91 करोड़ रुपये बचत होने का अनुमान है। यूनिफॉर्म पॉलिसी में जगन्नाथ मंदिर की जमीन बेचकर आय बढ़ाने, प्रदेश में मौजूद 258 से अधिक पत्थर खदानों से आय बढ़ाने, क्यूआर कोड स्कैन कर दान स्वीकार करने के लिए फोन पे के साथ अनुबंध करने पर चर्चा की गई है। इसके अलावा अधिक दानपेटी लगाकर पुरी जगन्नाथ मंदिर की आय को बढ़ाने आदि विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई है।
मंदिर के मुख्य प्रशासक रंजन कुमार दास ने बताया कि मंदिर की बाहरी परिक्रमा परियोजना का काम अगले दो दिनों में पूरा कर 15 तारीख को प्रभारी कंपनी को सौंप दिया जाएगा। श्रीमंदिर परिक्रमा परियोजना के 6 मीटर के दायरे में श्रद्धालुओं और सेवादारों के आवागमन की व्यवस्था की जाएगी। श्रद्धालुओं के लिए न्यूनतम सुविधाएं पूरी कर सौंपी जाएंगी। इसी तरह, पिछले साल की रथयात्रा में त्रुटियों को सुधारने और इस साल अराजकता से बचने के लिए कदम उठाए गए हैं।
पेश किए गए बजट में सेवादारों के परिवार के सदस्यों के लिए 5 करोड़ रुपये का स्वास्थ्य बीमा, सेवादार कल्याण के लिए 5 करोड़ रुपये, सेवक आवास योजना में 3.50 करोड़ रुपये और श्रीमंदिर आदर्श गुरुकुल के लिए 5 करोड़ 51 लाख रुपये खर्च किया जाएगा। 58.96 करोड़ रुपये कॉर्पस फंड में और 21.50 करोड़ रुपये फाउंडेशन फंड में जमा किए जाएंगे।
विभिन्न जिलों में मौजूद पत्थर खदानों से 30 करोड़ रुपये, दानपेटी और दान से 36.39 करोड़ रुपये, कॉर्पस फंड ब्याज से 60.28 करोड़ रुपये, भूमि अधिग्रहण और भूमि की बिक्री से 50 करोड़ रुपये, सरकारी अनुदान से 65.72 करोड़ रुपये, भक्त निवास से 10.30 करोड़ रुपये और विभिन्न स्रोतों से 9.85 करोड़ रुपये की आय करने लक्ष्य रखा गया है।
रथयात्रा और सोना वेश में 16.62 करोड़ रुपये खर्च होगा। इसी तरह वेतन के रूप में 18 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। सेवादारों को 7 करोड़ रुपये पिंडिका, परमाणिक और गर्भगृह के पास दर्शन शुल्क के रूप में दिए जाएंगे। अन्य नीतियों पर 8.89 करोड़ रुपये, प्रशासनिक खर्चों पर 28.05 करोड़ रुपये, वेतन पर 45.93 करोड़ रुपये, भक्त निवास के रखरखाव पर 4.55 करोड़ रुपये, मंदिर में विभिन्न मरम्मत और उन्नयन के लिए 26.08 करोड़ रुपये, संस्कृति के प्रचार के लिए 1.04 करोड़ रुपये, परिक्रमा मार्ग के लिए प्राप्त दान से 17 लाख रुपये और अन्य 1.19 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
बैठक में पुरी जिला कलेक्टर, एसपी, प्रबंध समिति के सभी सदस्य और मंदिर प्रशासन के अधिकारी उपस्थित थे।
मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य माधव पूजापांडा ने कहा कि अगर श्रीमंदिर परिक्रमा परियोजना अधूरी रहती है तो रथ यात्रा के दौरान समस्याएं आ सकती हैं। उन्होंने कहा कि मंदिर के पश्चिमी, दक्षिणी और उत्तरी द्वारों पर परिक्रमा मार्गों का निर्माण पूरा करने का वादा किया गया है, लेकिन इसे लेकर संदेह है।