तनख्वाह दस हजार…. घर में मिले 30 करोड़ रूपये
झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार भ्रष्ट्राचार में कितनी लिप्त थी इसका अंदाजा तो तभी लग गया था जब ईडी ने हेमंत सोरेन को ही जमीन घोटाले में गिरफ्तार कर लिया था।शुक्र था कि हेमंत सोरेन पानी वाले थे सो मुख्य मंत्री पद से इस्तीफा देकर जेल गए, अरविंद केजरीवाल जैसे बेशर्म नही थे जो भारत के इतिहास में पहले व्यक्ति बन गए जो मुख्य मंत्री पद को भी जेल ले गए।
आज झारखंड में ग्रामीण “विकास”(क्या कहने)मंत्री आलमगीर आलम( एक और मुसलमान निकल गया, अल्पसंख्यकों का देश की प्राकृतिक संसाधनों पर पहला अधिकार है)के निज सहायक(PA) के चपरासी के यहां जांच में 30करोड़ रूपये नगद मिले है। केंद्र सरकार के द्वारा दो हजार के नोट बंद कर देने के बाद नगद में रिश्वत केवल पांच सौ रुपए के रूप में ही लिए जा रहे है इस कारण जगह बहुत लगती है। पांच लाख रुपए रखने के लिए पहले तो पांच सौ के नोट के दस बंडल लगते है। पांच सौ का नोट 66मिली मीटर(2.59इंच) लंबा और 150 मिलीमीटर ( 5.9इंच) की चौड़ा होता है।
अर्थात बंडल दो हजार के नोट की तुलना में पांच गुना ज्यादा जगह घेरता है। 30करोड़ रूपये के लिए पांच सौ रूपये के छःसौ बंडल मिले है। ये रूपये भी आलमगीर आलम के यहां नहीं मिले है(वे तो नटेंगे ही कि उनको इस बात की जानकारी नहीं है)।आलमगीर के निज सचिव संजीव लाल के यहां भी नही मिले है(वे भी नटेंगे कि उनको जानकारी नहीं है)। अब बात आयेगी संजीव लाल के यहां पंद्रह हजार मासिक वेतन पाने वाले घरेलू नौकर के यहां से तीस करोड़ कहां से आए। मजबूत कलेजा वाला नौकर होगा तो झूठ बोलेगा कि जब वह परिवार के साथ घर से बाहर गया था तो किसी ने फंसाने के लिए उसके घर में रख दिया(पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री की नजदीकी महिला का कथन याद हो तो) फिलहाल सच ये है कि परिस्थितियां खुद बोल रही है कि या तो पैसे ग्रामीण विकास मंत्रालय में हो रहे काम के एवज में ठेकेदारों/अधिकारियो से लिया गया कमीशन(रिश्वत) है या फिर लोकसभा चुनाव के लिए उगाही किया हुआ फंड है। ये बात बताने की जिम्मेदारी अभी तो उस नौकर की है जिसके घर से राशि जप्त हुई है।
बताया जाता है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय झारखंड में हो रहे बड़े पैमाने पर घोटाले की जानकारी केंद्र सरकार की जानकारी में था। केंद्र सरकार ने पत्र भेजकर आगाह भी किया था। कोई कार्यवाही नही किए परिणाम ये हुआ झारखंड के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम 2023में धरा गए ।यहां से ईडी बैंड बाजा बारात निकाल रही है। सोरेन सरकार उन विपक्षी सरकार की मानसिकता की रही जो ये मानते है कि उनकी राज्य में सरकार होने का मतलब उनके घोटालों पर राज्य कीजनता का भरोसा है। जनता ने उन्हे लूटने के लिए चुना है।
झारखंड, बिहार से अलग होने के बाद हर प्रकार के घोटाले का गढ़ बन चुका है। यहां का शराब घोटाला,खनिज घोटाला और जमीन घोटाला इतना व्यापक है और पड़ोसी राज्यों को प्रलोभन देने वाला है कि ऐसा करो तो खूब पैसा आएगा। छत्तीसगढ़ तो शराब और खनिज घोटाले की पाठशाला में जाकर सीखा भी था। झारखंड और छत्तीसगढ़ में कमोबेश दोनो घोटाले में आई ए एस अधिकारी जेल में है। झारखंड का पूर्व मुख्य मंत्री जेल में है छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य मंत्री मानसिकता बना कर रखे है।
छत्तीसगढ़ में एक बड़ा घोटाले पीएससी घोटाले पर सीबीआई की एंट्री हो चुकी है। टोमनसिंह सोनवानी(आई ए एस) मुख्य आरोपी है। ये महोदय भी चपरासी पद के लिए लोक सेवा आयोग से परीक्षा लिवाये थे।अब समझ में आ रहा है कि क्यों कराए थे। सोनवानी तो मानकर चल रहे थे कि सरकार रिपीट होगी फिर विभाग वार घोटाले की राशि रखने के लिए आदमी चाहिए था।