कानून व्यवस्था

बंगाल में खेतों में बन रहे बम की कीमत 250 रुपए; 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव की तैयारी, 8 मिनट में बम तैयार

कोलकाता , एजेंसी, आम के बगीचे से सटकर एक पगडंडी निकली है। इसके एक तरफ कच्चे आमों से लदे पेड़ हैं, दूसरी तरफ मक्का के खेत। इन्हीं खेतों में कुछ लड़के छिपकर बम बना रहे हैं। उम्र 22 से 25 साल। हाथ इतनी तेजी से चल रहे हैं कि 7 से 8 मिनट में एक बम बन जाता है। कीमत 250 रुपए। जगह है मुर्शिदाबाद जिले का सुती। ब्राउन, वाइट और ग्रे तीन रंग का बारूद, कांच के बारीक टुकड़े, सीसा, आलपिन, सुतली और कागज। कुछ में नट-बोल्ट और कीलें। इतने मैटीरियल में बम तैयार।

ये पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव की तैयारी है। चुनाव करीब आते ही ऑर्डर बढ़ रहे हैं, बम के रेट, बनाने वालों की कमाई और खतरा भी। बीते दो महीने में मुर्शिदाबाद, साउथ 24 परगना, बीरभूम, मालदा, पश्चिम मेदिनापुर और हुगली जिलों में पुलिस ने दो हजार से ज्यादा बम बरामद किए हैं। सिर्फ मुर्शिदाबाद में ही 800 बम मिले हैं। इसी की इन्वेस्टिगेशन करते हुए हम सुती पहुंचे थे।

आम के बाग में घने पेड़ों में छिपकर भी बना रहे थे बम
बम बनाने वालों तक पहुंचने के लिए हम पहले कोलकाता पहुंचे। यहां से करीब 265 किमी दूर सुती गांव है। सोर्स से पता चला था कि यहां बड़े पैमाने पर देसी बम बनाए जा रहे हैं। ये लोग सुती में रहकर बम तैयार करते हैं और बड़ा ऑर्डर मिलने पर दूसरे जिलों में भी जाते हैं।

उनसे मिलने हम बहरामपुर होते हुए सुती पहुंचे। बम बनाने वाले तीन अलग-अलग ग्रुप से कॉन्टैक्ट किया। सभी ने कहा- ‘कैमरे के सामने बात नहीं करेंगे। पुलिस का बहुत पहरा है। पकड़े गए तो जेल चले जाएंगे।’

दो दिन बात करने के बाद एक ग्रुप मिलने को तैयार हुआ। इसमें दो लोग बम बनाने में माहिर हैं। दोनों कुछ दिन पहले ही जेल से छूटकर आए हैं। पुलिस ने बम बनाने के आरोप में ही अरेस्ट किया था। तय हुआ कि नाम और चेहरा नहीं दिखाएंगे। उन्होंने हमें सुती में ही एक आम के बाग में बुलाया। हम अपने सोर्स के साथ पहुंचे। लोकल जर्नलिस्ट सुकुमार भी साथ थे।

बम में जितना माल, उतनी कीमत
लड़का हमें मक्के के खेत में ले गया। वहां कुछ लोग बमों पर सुतली बांध रहे थे। हमें इन्हीं लोगों से मिलना था। बातचीत शुरू हुई, सुतली बांधते-बांधते ही एक लड़के ने बताया, ‘एक बम 250 रुपए से 400 रुपए तक में तैयार हो जाता है। लागत बम के साइज से तय होती है। जितना ज्यादा माल भरेंगे, कीमत उतनी ही बढ़ती जाएगी। हमारे पास ऑर्डर आता है। उसी के हिसाब से बम तैयार करते हैं। हमने पूछा- एक बम बनाने में कितना टाइम लगता है? जवाब मिला- ‘5 से 8 मिनट।’ हमने जितनी देर बात की, उतने में दो बम बनकर तैयार भी हो गए।

इससे पहले पश्चिम बंगाल में 2018 में पंचायत चुनाव हुए थे। तब TMC को एकतरफा जीत मिली थी। पिछले चुनाव में भी हिंसा की वजह से अपोजिशन पार्टी के ज्यादातर कैंडिडेट्स नॉमिनेशन फाइल नहीं कर पाए थे। इससे TMC 34% सीटें निर्विरोध जीत गई थी, यानी इन सीटों पर चुनाव ही नहीं हुए। 

कार में बम, बाल्टी में बम, बम के धमाके, फायरिंग, घरों में तोड़फोड़, वाहनों में आग, पब्लिक के बीच कमर में पिस्टल फंसाकर घूम रहे नेता। ये माहौल पश्चिम बंगाल का है। चुनाव से पहले हिंसा होना रिवाज जैसा है। इस बार भी शुरुआत हो चुकी है। दक्षिण 24 परगना जिले के भांगड़ में इंडियन सेक्युलर पार्टी यानी ISF के कैंडिडेट महिउद्दीन मोल्ला पुलिस सिक्योरिटी में नॉमिनेशन फाइल करने जा रहे थे, तभी TMC समर्थकों ने फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग होते ही पुलिसवाले भाग गए। महिउद्दीन मोल्ला की मौके पर ही मौत हो गई।

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