मध्य प्रदेश की वह एक लॉटरी, जो ले बैठी थी मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की कुर्सी
रायपुर, छत्तीसगढ में ऐन विधान सभा चुनाव के वक्त महादेव ऐप सट्टा का मुद्दा गरमा गया है, जिसमेंं प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 508 करोड रुपये देने का आरोप ईडी की रिपोर्ट में लगाया गया है। हालाकि इस पर जांच जारी रहने की बात कही गई है। लेकिन इसे लेकर विपक्ष ने सीएम बघेल से इस्तीफे की मांग भी की है। चुनाव के वक्त इस मुद्दे का कितना असर होगा? यह कहना अभी कठिन है। मगर इस बहाने कांग्रेस एवं भाजपा आमने -सामने हो गए है।
कुछ साल पहले अविभाजित मध्यप्रदेश में लॉटरी का एक ऐसा आयोजन हुआ था जो तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की कुर्सी ले बैठा था। हालांकि बाद में अर्जुन सिंह को कोर्ट से राहत मिल गई थी, लेकिन इसका असर उनके राजनीतिक जीवन पर रहा। बहरहाल छत्तीसगढ में महादेव सट्टा एप का असर मतगणना के बाद पता चलेगा। बेसहारा बच्चों के पुनर्वास के लिए चुरहट चिल्ड्रेन वेलफेयर सोसायटी की लाटरी ने तत्कालीन राजनीति में उथल-पुथल मचा दिया था।
चुरहट लॉटरी कांड
दरअसल, चुरहट जैसे आदिवासी क्षेत्र में दिव्यांग और बेसहारा बच्चों के पुनर्वास के लिए चुरहट चिल्ड्रेन वेलफेयर सोसायटी ने चलित चिकित्सा संस्था का गठन किया। इस संस्था द्वारा इन बच्चों की मदद के लिए लॉटरी के माध्यम से सहायता राशि भी जुटाई जाती थी। इसके लिए राज्य सरकार ने अनुमति भी ली गई थी। उस समय राज्य के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह थे।
बाद में लॉटरी की यह पूरी प्रक्रिया अनियमितता के फेर में उलझ गई और पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता कैलाश जोशी हाईकोर्ट पहुंच गए। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर आरोप लगाया कि लॉटरी के लिए बनाई गई संस्था के सदस्य अर्जुन सिंह के पारिवारिक सदस्य थे और उन्हें लॉटरी की आय से टैक्स में छूट दी गई।
अर्जुन सिंह को मिली क्लीनचीट
पत्रकार और लेखक दीपक तिवारी अपनी किताब ‘राजनीतिनामा मध्य प्रदेश 1956-2003 कांग्रेस युग’ में लिखते हैं कि उस समय यूनियन कार्बाइड द्वारा भी संस्था को चंदा देने का आरोप लगा था। इन आरोपों के बाद अर्जुन सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं जांच के लिए जस्टिस पी. भास्करन की अध्यक्षता में चुरहट बाल कल्याण समिति और लॉटरी जांच आयोग का गठन किया गया। जिन्होने अर्जुन सिंह को क्लीनचीट दी।
दीपक तिवारी के अनुसार जस्टिस पी. भास्करन ने अर्जुन सिन्ह को क्लीन चिट देते हुए लिखा कि ‘लॉटरी के संबंध में आयोजक एजेंट से सोसाइटी द्वारा एक करोड़ रुपये की राशि संग्रहित की गई। सोसाइटी ने ग्रामीणों द्वारा स्वेच्छा से दान में दी गई जमीनों पर चिकित्सालय के भवन निर्मित किए, जबकि कैलाश जोशी का कथन यह था कि ग्रामीणों को डरा-धमकाकर भूमि ली गई थी, लाभ के रूप में अर्जित धनराशि का उपयोग और शेष राशि बैंकों में सावधि जमा राशियों में तथा इंदिरा विकास पत्र में निवेशित की गई, इस बात का कोई भी साक्ष्य नहीं है कि सोसाइटी द्वारा अर्जित लाभ की राशियों का उपयोग अर्जुन सिंह द्वारा केरवा बांध वाले बंगले के निर्माण के लिए किया गया था।’