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 रामायण, रामायण………………..

छत्तीसगढ़ की धरा पर आगामी तीन दिन भांचा राम के स्तुति का दिन रहेगा। देश विदेश के कलाकारों  के द्वारा मानस गान से लेकर नाट्य प्रस्तुति होगी। 6 व्यक्तित्व  भांचा राम के प्रति अपने विचार साझा करेंगे। अपने आप मे राम के अरण्य काल को जनमानस में लाने की ये परंपरा विशिष्ट है। हिन्दू धर्म मे तुलसीदास सनातन  व्यक्तित्व रहे जिन्होंने आदिकवि वाल्मीकि द्वारा 24 हज़ार संस्कृत के श्लोक वाले रामायण को  अवधि भाषा मे12800 पंक्ति, 27 श्लोक, 1073 दोहे 4608चौपाई, 207  सोरठा औऱ 86 छंदों में संकलित कर जनमानस के लिए इतना सहज बना दिया कि बिना पढ़े स्तुत प्रक्रिया से साधारण मनुष्य भी राम की कथा वैसा कह सकता है जैसा तुलसीदास कह गये।

 सनातन संस्कृति के पुरोधा वाल्मीकि की  रामायण  राम+ आरण्य याने  राम की जीवन यात्रा का संस्कृत भाषा मे महाग्रंथ  है। संस्कृत , आम व्यक्ति की भाषा न होकर विशिष्ट लोगो की भाषा है।  आत्मा राम दुबे औऱ हुलसीदेवी के पुत्र रामबोला जो आगे चलकर तुलसीदास बने उन्होंने अवधि में रामायण लिख कर समूची दुनियां में राम को इतना अधिक विस्तार दे दिया है कि हर व्यक्ति सुख और दुख में राम राम ही कहता है।

 राम के चरित को बाल कांड से लेकर उत्तर कांड  के यात्रा में छत्तीसगढ़ अरण्य कांड में अद्भुद होता है। कौशल्या के भाई का निवास यहां होने के नाते मामा भांजा का रिश्ता अन्य  पर रिश्तों में मानदान का रिश्ता है। यहां मामा भांजो में  भगवान राम का स्वरूप देखते है। इस कारण बड़े के पैर छूने की परंपरा में एक परन्तुक लगता है और उम्र से बड़ा रिश्ता हो जाता है।

 अयोध्या से लेकर रामेश्वरम की यात्रा में राम जहां से गुजरे वह राममय हो गया। चित्रकूट से दंडकारण्य की यात्रा के मध्य आज का छत्तीसगढ़ भी है। विषिश्टाद्वैत याने विविधता में एकता के पुरोहा तुलसीदास के रामचरित मानस के राम तीन दिन छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में गूंजेंगे, मंचित होंगे, मुखारबिंद से अद्भुद होंगे। राममय होना जीवन को दर्शन देता है मर्यादित होने का औऱ पुरुषो में उत्तम होने का। मंगल भवन अमंगल हारी……………….,

स्तंभकार-संजयदुबे

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