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वन अफसर ने अपने रिटायरमेंट के 3 दिन पहले कर दिया बहाल; विधानसभा में मंत्री ने की थी निलंबन की घोषणा

बिलासपुर, छत्तीसगढ के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में मनरेगा के कामकाज में बड़ा घोटाला फूटा था। पंचायत मंत्री ने विधानसभा सत्र के दौरान जनपद पंचायत के आला अफसर सहित 15 अधिकारियों व कर्मचारियों को निलंबित करने की घोषणा की थी। घोटाले में रनतपुर वन परिक्षेत्र के रेंजर गोपाल प्रसाद जांगड़े की संलिप्तता उजागर हुई थी। रेंजर की पहुंच कहें या फिर आला अफसरों की मेहरबानी, निलंबन के महज पांच महीने के भीतर ही विभाग ने बहाली आदेश जारी कर दिया। अचरज की बात यह कि गड़बड़ी के लिए विभागीय जांच का आदेश जारी कर दिया गया है। जांच आदेश के बीच में बहाली आदेश को लेकर अटकलबाजी का दौर भी जारी है। सदन में मंत्री की घोषणा को वन विभाग के आला अफसर झूठा साबित करने पर तूले हुए हैं।

गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के चर्चित मनरेगा घोटाले के आरोपी तत्कालीन रेंजर गोपाल प्रसाद जांगड़े को तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने अपने सेवानिवृत्ति से महज कुछ दिन पहले बहाल कर रतनपुर रेंज में पदस्थ कर दिया है। इसके साथ ही उसे बिलासपुर रेंज का अतिरिक्त प्रभार भी सौंप दिया है। मरवाही वन मंडल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत स्वीकृत कार्यों में गडबडी की गई थी। मार्च 2022 के बजट सत्र में विधायक गुलाब कमरो ने इस मामले को विधानसभा में उठाया था। मरवाही वन मंडल के ग्राम चुकतीपानी, ठाडपथरा, पकरिया, केंवची, पडवनिया व तराईगांव में मनरेगा के तहत स्वीकृत 33 स्टाप डेम एवं पुलिया निर्माण कराये बिना ही पैसे निकाल लिये गये। इससे शासन को छह करोड़ रुपये घोटाले की बात सामने आई थी।

सदन में तत्कालीन पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने 21 मार्च 2022 को जनपद पंचायत के तत्कालीन सीईओ समेत 15 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को निलंबित करने की घोषणा की थी। इसमे तत्कालीन गौरेला वन परीक्षेत्र के रेंजर गोपाल प्रसाद जांगड़े का नाम शामिल था। 22 अप्रैल 2022 को प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने वनक्षेत्रपाल गोपाल प्रसाद जांगडे को निलंबित कर दिया था। सेवानिवृत्ति के तीन दिन पहले प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने रेंजर को बहाल कर रतनपुर रेंज जैसे महत्वपूर्ण जगह पर पदस्थ कर दिया।

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