वायु प्रदूषण की वजह से बढ़ रहे श्वसन रोगी;बच्चों में भी बढ़ रहा अस्थमा, महिलाओं को भी फेफड़े संबंधी रोग
0 एम्स में देशभर के चिकित्सकों ने पल्मोनरी मेडिसिन में आ रहे बदलावों पर चर्चा की
रायपुर, देश के वरिष्ठ फेफड़ा रोग विशेषज्ञों ने वायु प्रदूषण और बदलती जीवन शैली के साथ बढ़ते ध्रूमपान की आदत की वजह से श्वसन संबंधी रोगों में बढ़ोत्तरी पर चिंता व्यक्त की है। चिकित्सकों का कहना है कि अस्थमा सहित कई फेफड़ा संबंधी रोग अब सभी आयुवर्ग में देखने को मिल रहे हैं। वायु प्रदूषण के कारण भी कफ और खांसी के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के पल्मोनरी विभाग द्वारा आयोजित ‘पल्मोनरी मेडिसिन अपडेड-2023’ में देश के प्रमुख फेफड़ा रोग विशेषज्ञ पद्मश्री प्रो. डी. बेहरा ने कहा कि देश में बढ़ते फेफड़ों संबंधी रोगियों के लिए अब विशेषज्ञ कोर्स संचालित करने की आवश्यकता है। पल्मोनरी मेडिसिन अब एक सुपर स्पेशियल्टी विभाग बनता जा रहा है। बढ़ते वायु प्रदूषण और ध्रूमपान की वजह से कई विशिष्ट बीमारियां फैल रही हैं जिनके इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की आवश्यकता है।
निदेशक प्रो. (डॉ.) नितिन एम. नागरकर ने कहा कि एम्स में पल्मोनरी मेडिसिन के सुपर स्पेशियल्टी कोर्स संचालित किए जा रहे हैं जिससे देश में फेफड़ों संबंधी रोगियों के इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध हो सके। टीबी, फेफड़ों के कैंसर और पोस्ट कोविड बीमारियों की वजह से अब पल्मोनरी मेडिसिन को सुपर स्पेशियल्टी विभाग के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस दिशा में और अधिक शोध और अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया।
संयोजक डॉ. अजॉय बेहरा ने कहा कि चतुर्थ सिम्पोजियम की मदद से देश के चिकित्सकों को पल्मोनरी मेडिसिन के विभिन्न विषयों पर संवाद के लिए एक मंच प्रदान किया जा रहा है। सिम्पोजियम के निष्कर्षों को देश के अन्य चिकित्सकों के साथ भी साझा किया जाएगा। डॉ. बेहरा ने बताया कि बदलती जीवन शैली और औद्योगिकीकरण की वजह से श्वसन रोग तेजी के साथ बढ़ रहे हैं। यह अब महिलाओं और बच्चों में भी हैं जिनका ध्रूमपान का कोई इतिहास नहीं है। ऐसे में इन रोगियों की समय पर पहचान कर उपचार करना चुनौतीपूर्ण है। इसके साथ ही वायु प्रदूषण के कारण कफ और खांसी के रोगी बढ़ रहे हैं। बच्चों में अस्थमा बढ़ रहा है। उन्होंने इस दिशा में और अधिक शोध की आवश्यकता बताई। उद्घाटन समारोह के अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. सजल डे ने धन्यवाद दिया।
सिम्पोजियम में दिल्ली, जोधपुर के एम्स और पीजीआई चंडीगढ़ के चिकित्सकों ने यूजुअल इंटरइसटिशियल न्यूमोनिया के लक्षण, दुष्प्रभाव और उपचार पर विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत किया।इस अवसर पर डॉ. रंगनाथ टीजी, डॉ. दिबाकर साहू, डॉ. सरोज पति, डॉ. उज्ज्वला गायकवाड़, डॉ. जॉयदीप सामंता, डॉ. राकेश गुप्ता, डॉ. विजय हड्डा और डॉ. नवीन दत्त ने भी पल्मोनरी मेडिसिन के क्षेत्र में आ रहे परिवर्तनों और उपचार विधियों पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।