हाई कोर्ट का आदेश- एसीबी अफसरों के खिलाफ जारी रहेगी जांच; इस मामले में हुई सुनवाई
बिलासपुर, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में एसीबी के अफसरों के ख़िललाफ़ दर्ज एफआइआर में आगे जांच जारी रखने का निर्देश दिया है। पूर्व में कोर्ट ने एसीबी के निलंबित अधिकारी की याचिका पर सुनवाई के बाद आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
9.मई 2023 को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एण्टी करप्शन ब्यूरो के पूर्व पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह एवं अन्य की याचिका रिट याचिका में सुनवाई के बाद आगे की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। इस मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई जे बाद कोर्ट ने पूर्व में पारित आदेश के तहत लगाई गई रोक को हटाते हुये जांच जारी रखने का आदेश दिया है। इस संबंध में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में शिकायतकर्ता पवन अग्रवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता किशोर भादुड़ी एवं अधिवक्ता श्रेयांश अग्रवाल ने पक्ष रखा।
बिलासपुर निवासी पवन कुमार अग्रवाल ने एसीबी के तत्कालीन चीफ मुकेश गुप्ता, एसीबी के एसपी रजनेश सिंह, ईओडब्ल्यू के एसपी अरविंद कुजुर,डीएसपी अशोक कुमार जोशी एवं अन्य अधिकारियों के विरूद्ध शासकीय दस्तावेजों में कूटरचना करके फर्जी दस्तावेज तैयार करने एवं एवं कम्प्यूटर से हु ब हू फर्जी दस्तावेज तैयार कर कार्यवाही करने के संबंध में सीजेएम के कोर्ट में परिवाद दायर किया था जिसमें सीजेएम ने 24 दिसम्बर.2019 को सिविल लाइन थाना बिलासपुर को दोषी अधिकारियों के विरूद्ध अपराध दर्ज करने के निर्देश दिया था।
न्यायालय के आदेश के परिपालन में सिविल लाइन थाना बिलासपुर ने भारतीय दण्ड संहिता की गंभीर धाराओं 120 (बी). 420, 467, 468, 471, 472, 213, 218, 166, 167, 382, 380 के तहत अपराध दर्ज कर विवेचना प्रारंभ की थी। इसी बीच एसीबी के निलंबित पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह एवं अन्य के द्वारा छत्तीसगढ़ है कोर्ट में याचिका दायर कर जांच पर रोक लगाने की मांग की थी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने पुलिस कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
वर्ष 2014-15 का है मामला
एसीबी के अधिकारियों ने खारंग संभाग बिलासपुर के कार्यपालन अभियंता आलोक कुमार अग्रवाल एवं अन्य अधिकारियों द्वारा जिन 15 टेंडर्स में करोड़ो रूपये की अनियमितता किये जाने एवं चहेते ठेकेदारों को टेंडर देने के संबंध में हुयी फर्जी शिकायत को सही ठहराकर वर्ष 2014-15 में झूठी कार्यवाही की गयी थी। सभी टेंडरों में आलोक अग्रवाल द्वारा कोई भी टेंडर स्वीकृत नहीं किया गया था। सभी टेंडर सही प्रक्रिया का पालन करते हुये मुख्य अभियंता एवं अधीक्षण अभियंता द्वारा निविदा में पात्र सही ठेकेदारों के टेंडर स्वीकृत किये जाने के संबंध में एसीबी के उपरोक्त अधिकारियों द्वारा स्वयं ही दिसंबर 2018 में किसी भी प्रकार का अपराध न पाये जाने का खात्मा रिपोर्ट तैयार कर दिया था। जिसे न्यायालय में प्रस्तुत भी कर दिया गया है। उन टेंडरों में परिवादी पवन कुमार अग्रवाल ने ना ही कभी भाग लिया था ना ही उनको कोई भी निविदा आबंटित की गई थी।
इस तरह की गड़बड़ी आई सामने
एसीबी के अधिकारियों द्वारा जिस एफआइआर के आधार पर कार्यवाही करना दिखाया गया था वैसी कोई भी एफआइआर एसीबी ईओडब्ल्यू रायपुर के थाने में संधारित वैध एफआइआर बुक के पन्नों में पंजीबद्ध ही नहीं है। बल्कि विधि प्रविधानों के विपरीत कम्प्यूटर से फर्जी कूटरचित एफआईआर तैयार करके कार्यवाही किये जाने के संबंध में दस्तावेजी सबूतों के साथ दायर परिवाद में एसीबी के तत्कालीन शीर्ष अधिकरियों के विरुद्ध अपराध दर्ज करने के न्यायालयीन आदेश पर अब पुनः जांच हो सकेगी।