कानून व्यवस्था

हाई कोर्ट ने की पारदर्शिता की पहल-अपराध की जानकारी छुपाने वालों की रद्द होगी जमानत

बिलासपुर, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल के विनोद कुजूर ने अधिसूचना जारी कर कहा है कि सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर किए जाने वाले जमानत आवेदन के साथ आवेदक या अभियुक्त के आपराधिक इतिहास की जानकारी देनी होगी। हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जमानत आवेदनों के शीघ्र निपटारे के लिए यह व्यवस्था की गई है। आमतौर पर होता यह है कि जमानत आवेदनों की सुनवाई के बाद कोर्ट द्वारा आपराधिक इतिहास के बारे में जानकारी मांगी जाती है। तब पुलिस को नोटिस जारी कर इस संबंध में रिकार्ड मंगाए जाते हैं। इसमें अनावश्यक विलंब होता है। नई व्यवस्था के तहत अब ऐसा नहीं होगा।

रजिस्ट्रार जनरल ज्यूडिशियल ने नोटिफिकेशन में इस बात की भी जानकारी दी है कि शर्तों का पालन नहीं करने पर जमानत आवेदन को डिफाल्ट में डाल दिया जाएगा। रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के बाद सात अक्टूबर 2023 को एक आदेश पारित किया कि आवेदक या अभियुक्त के आपराधिक इतिहास के संबंध में जमानत आवेदनों के निस्तारण में देरी से बचने के लिए सीआरपीसी की धारा 439 के तहत दायर जमानत आवेदनों में इसका उल्लेख करना आवश्यक है। लिहाजा सीआरपीसी की धारा 439 के तहत जमानत आवेदन दाखिल करते समय हाई कोर्ट के उपरोक्त आदेश का अनुपालन सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

अधिसूचना की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रजिस्ट्रार जनरल ने अतिरिक्त रजिस्ट्रार सेंट्रल फाइलिंग अनुभाग हाई कोर्ट को कड़ाई से अनुपालन हेतु नोटिस की एक प्रति सेंट्रल फाइलिंग काउंटर के नोटिस बोर्ड पर चस्पा करने का निर्देश जारी किया है। इसके अलावा वाद सूची अनुभाग,आपराधिक अनुभाग व ओआइसी-एनआइसी, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट को इसे हाई कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड करने कहा गया है।

जमानत आवेदन लगाने वाले याचिकाकर्ताओं की शिकायत रहती है कि याचिका की सुनवाई में विलंब होता है। हाई कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद कोर्ट द्वारा पुलिस से केस के अलावा याचिकाकर्ता की क्राइम हिस्ट्री मंगाई जाती है। संबंधित पुलिस थाने के निरीक्षक के द्वारा निर्धारित समय में जवाब पेश ना करने के कारण सुनवाई में अनावश्यक विलंब होता है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद इस तरह की व्यवस्था लागू कर दी है। पारदर्शिता के साथ ही तय समय सीमा में जमानत आवेदनों पर हाई कोर्ट का फैसला भी आएगा। इससे याचिकाकर्ताओं को राहत मिलेगी।

Related Articles

Back to top button