कानून व्यवस्था

ED केस में सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद ढेबर और निरंजन ने वापस ली याचिका; सुको ने कहा- जमानत मांगने की आदत ठीक नहीं

रायपुर, छत्तीसगढ़ के शराब घोटाला मामले में ED की कार्रवाई को चुनौती देने दायर की गई याचिका वापस लेनी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट में ये याचिकाएं कारोबारी अख्तर ढेबर और आबकारी विभाग के अधिकारी निरंजन दास की ओर से लगाई गइ थी। कोर्ट ने इस प्रथा की निंदा करते हुए, जमानत या कार्रवाई पर रोक की मांग करने वाली ऐसी याचिकाओं को ठीक नहीं बताया।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान, ढेबर की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने जमानत और अन्य राहत के लिए उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस लेने की मांग की। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की अवकाशकालीन पीठ ने मंगलवार को इसकी निंदा करते हुए कहा, अधिनियम को चुनौती देने वाली ऐसी याचिकाएं दायर करना, राहत की प्रक्रिया में अन्य उपलब्ध कानूनी उपायों को दरकिनार करना है।

कोर्ट ने कहा, पीएमएलए के अन्य प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली धारा 32 के तहत इस अदालत में रिट याचिकाएं दायर करना एक प्रवृत्ति बन गई है। जिन पर राहत भी दी गई है। लेकिन याचिकाकर्ता ऐसे मामलों के निपटारे के लिए उन मंचों से किनारा कर रहे हैं, जो उनके लिए खुले हैं। वे सीधे यहां आ रहे हैं।

पीठ ने टिप्पणी की कि शीर्ष अदालत एक वैकल्पिक मंच बनता जा रहा है। हाई कोर्ट जाने और वहां के कानून के प्रावधानों को चुनौती देने के बजाय आरोपी सुप्रीम कोर्ट में सम्मन का विरोध कर रहे हैं। मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इन याचिकाओं की विचारणीयता पर गंभीर आपत्ति जताई।

तुषार मेहता ने कहा कि एक कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने और फिर बिना किसी दंडात्मक कार्रवाई के आदेश प्राप्त करने का एक नया चलन है। यह एक तरह से वास्तव में एक अग्रिम जमानत मांगने जैसा है। एसजी ने कहा कि इसे बिना किसी अनिश्चित शब्दों के बहिष्कृत किया जाना चाहिए। लोगों से संपर्क किया जा रहा है कि वे अग्रिम जमानत मांगने के बजाय कानून के दायरे को चुनौती दें।

अतिरिक्त सालिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा, “इस तरह की दलीलों के साथ यहां आने की प्रथा को रोकने की जरूरत है। कुछ टिप्पणियों की जरूरत है। ऐसे में तो मुकदमेबाजी की बाढ़ आ जाएगी।”

जानिए जजों ने क्या कहा…
न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा- “हां, ये याचिकाएं ठीक नहीं हैं। क्या वरिष्ठ वकीलों की भी जिम्मेदारी नहीं है कि वे ऐसे मामलों में मार्गदर्शन करें? न्यायमूर्ति मिश्रा ने आगे कहा- “यह धारा 438 के तहत उच्च न्यायालय में जाने के बजाय एक वैकल्पिक मंच बन रहा है, और इसे वहां चुनौती देने के बजाय, आप यहां सर्वोच्च न्यायालय में समन को चुनौती देते हैं!” सुनवाई पूरी होने पर न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा, “इस अदालत में जिस तरह की प्रथा चल रही है, वह बहुत परेशान करने वाली है।”

जानिए पूरा मसला
कारोबारी अख्तर ढेबर, जेल में पहले से ही शराब घोटाला मामले में बंद कारोबारी अनवर के रिश्तेदार हैं। खबर है कि ED की जांच के रडार में अख्तर और आबकारी विभाग के अफसर निरंजन दास भी हैं। इसी वजह से राहत की मांग करने ये सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। मगर अब याचिका वापस लेकर ये हाईकोर्ट में जा सकते हैं। ईडी के समन, छापेमारी और गिरफ्तारी का अख्तर और निरंजन विरोध कर रहे हैं। कार्रवाई पर रोक चाहते हैं।

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