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ओडिसा में दस साल बाद शादी के लिए नहीं मिलेंगी लड़कियां; तेजी से घट रही कन्‍या जन्‍म दर,शिक्षित लोग भी करा रहे गर्भपात

 भुवनेश्वर, राज्य में लगातार कन्या जन्मदर कम होती जा रही है। अस्पतालों में प्रसव संख्या में इजाफा हो रहा है, बावजूद इसके लड़कियों की जन्म दर कम होना चिंताजनक है। भविष्य में यह एक गंंभीर समस्या हो सकती है। स्वयंसेवी संगठनों का कहना है कि शिक्षित लोग अपने पैर में खुद ही कुल्हाड़ी मार रहे हैं, जिससे आगे चलकर स्थिति और अधिक जटिल हो सकती है।

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, लड़कियों का जन्म अनुपात चिंताजनक है। देश में एक हजार लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या 929 है, जबकि ओडिशा में यह दर 894 है। ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक एक हजार लड़कों के अनुपात में 885 कन्या संतान का जन्म हो रहा है, शहरी क्षेत्र में यह अनुपात 950 है।

कानून का और सख्‍ती से पालन जरुरी

इसे ध्यान में रखकर 2036 तक देश में S*x ratio को सुधाकर कम से कम एक हजार लड़कों की तुलना में 953 लड़कियों के जन्म के लिए केन्द्र सरकार ने कदम उठाया है।जानकारी के मुताबिक, दिन-प्रतिदिन गर्भपात के बढ़ने एवं पीसीपीएनडीटी एक्ट का सही उपयोग नहीं होने से इस तरह की समस्या आने की बात कुछ सामाजिक कार्यकर्ता कर रहे हैं। भ्रूण की पहचान करने की प्रक्रिया में जो प्रतिबंध है, उसका और सख्ती से अनुपालन करना होगा।

पेट में बेटी होने का पता लगते ही करा रहे गर्भपात

ओडिशा के कटक जिले में जन्म लेने वाले प्रत्येक एक हजार बालक संतान की तुलना में कन्या संतान की संख्या 745 है। झारसुगुड़ा में यह संख्या 793, पुरी में 782, सुंदरगढ़ जिले में 809 तथा खुर्दा में 810 है। शहरी क्षेत्र में अधिकांश दंपत्ति एक ही संतान वह भी बेटा होने की मानसिकता रख रहे हैं। झारसुगुड़ा जिले में गर्भपात की संख्या पर नजर डाले, तो 2020-21 में 465 महिलाओं ने गर्भपात करवाया था।

भ्रूण का पता लगाने वाले अल्‍ट्रासाउंड क्‍लीनिक पर कड़ी कार्रवाई

इतना ही नहीं, 2021-22 में 574 एवं 2022-23 में यह संख्या बढ़कर 763 तक पहुंच गई है। इसे जिला स्वास्थ्य विभाग ने स्वीकार किया है। झारसुगुड़ा जिलाधीश ने एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाकर इस पर ध्यान देने का स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिया है। गैरकानूनी ढंग से चल रहे अल्ट्रासाउंड क्लीनिक पर कार्रवाई करने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिया है। इस तरह से लैंगिक असमानता ने बड़ी समस्या खड़ी कर दी है। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो आने वाले दस सालों में लड़कों को शादी के लिए लड़की मिलने में बड़ी परेशानी होगी।

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