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साइना नेहवाल औऱ आकर्षि कश्यप……………

भारत में महिला बैडमिंटन की सच्ची प्रवर्तक का नाम अगर सच्चे मन से लिया जाए तो देश के राष्ट्रपति से लेकर आम व्यक्ति एक ही खिलाड़ी का नाम लेगा – साइना नेहवाल का। पुरुष वर्ग में प्रकाश पादुकोण, सैयद मोदी और पुलेला गोपीचंद ने जरूर देश का नाम रोशन किया लेकिन 2000 से पहले एक भी महिला खिलाड़ी नही थी जो देश का नाम अंतरास्ट्रीय स्तर पर स्थापित कर पाई हो।

 1935 से राष्ट्रीय महिला बैडमिंटन चैंपियनशिप प्रारंभ हुई उसमें  नौ बार की विजेता अपर्णा पोपट, आठ बार की राष्ट्रीय विजेता मधुमिता विष्ठ, सात सात बार की विजेता अमि घिया, मीना शाह, ने कभी भी अंतराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी उपलब्धि हासिल  नही कर पाई जिससे लगता कि कोई महिला खिलाड़ी देश का नाम रोशन  की हो लेकिन फिजा अगर किसी ने बदला तो वह साइना नेहवाल ही थी।  2006 औऱ 2007 में राष्ट्रीय विजेता बनने के  बाद 2008 में साइना नेहवाल जूनियर  वर्ल्ड चैंपियन बन गई। इसी साल राष्ट्रमंडल खेल में उन्होंने बैडमिंटन खेल में  गोल्ड मेडल जीतने वाली प्रथम महिला बनी। 2010 औऱ 2018 में उनका ये स्वर्णिम प्रदर्शन जारी रहा। 2012 में ओलंपिक खेलों में ब्रॉन्ज  मैडल जीतकर साइना ने इतिहास रच दिया। 2015 में साइना वर्ल्ड चेम्पियनशिप में सिल्वर मेडल जीती। उबर कप 2014,2016 में ब्रॉन्ज मैडल उनके हिस्से में आया। अपने सक्रिय खेल जीवन मे 5 सुपर सीरीज प्रीमियर, 4 सुपर सीरीज, 7 ग्रेंड प्रिक्स औऱ गोल्ड स्पर्धा जीती।

उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने 2009 में अर्जुन पुरस्कार, 2010 में घ्यान चंद खेल रत्न पुरस्कार, 2010 में पद्मश्री औऱ 2015 में पद्मभूषण नागरिक अलंकरण पुरस्कार देकर सम्मानित किया है। माना जाता है कि अधिकांश खिलाड़ियों के खेल जीवन का स्वर्णिम काल 17-18 वर्ष से शुरू होकर 28 -30 तक रहता है। साइना नेहवाल भी इसी तरह की खिलाड़ी है। उन्होंने अपने 18 साल की आयु से लेकर 28 साल तक की आयु में विश्व की नंबर एक  खिलाड़ी बनी।

एक समाचार पढ़ने को मिला कि छत्तीसगढ़ की प्रतिभावान बैडमिंटन खिलाड़ी आकर्षि कश्यप ने साइना नेहवाल को पछाड़ कर  आगे बढ़ गयी है। इस समाचार को पढ़कर लगा कि किसी स्पर्धा में आकर्षि ने साइना नेहवाल को बैडमिंटन कोर्ट में पराजित कर दिया है। ये संभव भी है क्योंकि आकर्षि उदीयमान खिलाड़ी है लेकिन जब रैंकिंग में आगे पीछे होने की सच्चाई दिखी। आकर्षि औऱ साइना नेहवाल में भले ही विश्व रैंकिंग में 38 वे औऱ 55 वे क्रम में होने की बात सही है लेकिन जहां तक प्रदर्शन और सफलता के मापदंड की बात को ले तो आकर्षि को साइना नेहवाल की सफलता के बराबर सफलता मिलना कठिन दिखता है। 

आकर्षि 22 साल की हो चुकी है। अभी तक वे राष्ट्रीय चेम्पियनशिप जीत नही पाई है। 2023 में वे उपविजेता रही है। केन्या, मालदीव, बांग्लादेश में खेले गए चेलेंज औऱ फ्यूचर सीरीज में उन्हें स्वर्णिम सफलता मिली है । उन्हें अभी सुपर सीरीज प्रीमियर, सुपर सीरीज सहित ग्रेंड प्रिक्स सहित विश्व स्तरीय कोर्ट में विश्व के नामी गिरामी महिला खिलाड़ियों से हाथ चार करने के लिए आम खिलाड़ियों के समान 6 साल है। वे छत्तीसगढ़ का स्वाभिमान है।

राज्य का हर निवासी चाहेगा कि अंतरास्ट्रीय स्तर के बड़े स्पर्धा में आकर्षि, साइना नेहवाल के समान उपलब्धि हासिल करें लेकिन ये बैडमिंटन कोर्ट के भीतर हो। रैंकिंग तो किसी खिलाड़ी के न खेलने औऱ बेहतर प्रदर्शन के अभाव में पीछे हो जाती है। आकर्षि इस साल 20 टूर्नामेंट खेली है, साइना नेहवाल ने केवल 09  में भाग लिया है।स्वाभाविक है कि इस कारण उनकी रैंकिंग पीछे होगी। पी वी सिंधु को ही ले। ओलंपिक खेलों की सिल्वर औऱ ब्रॉन्ज मेडलिस्ट 14 वे क्रम पर है। खिलाड़ियों की रैंकिंग से भले ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिलता है लेकिन किसी टूर्नामेंट में हिस्सा लेना और सफलता पाने में जमीन आसमान का अंतर होता है।

स्तंभकार-संजय दुबे

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Narayan Bhoi

Narayan Bhoi is a veteran journalist with over 40 years of experience in print media. He has worked as a sub-editor in national print media and has also worked with the majority of news publishers in the state of Chhattisgarh. He is known for his unbiased reporting and integrity.

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