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भारतीय टेनिस का सफर………….

भारत में अंग्रेजो ने क्रिकेट और टेनिस खेल को लेकर आए थे।क्रिकेट में तो भारत ने पिछले तीन दशक से ऐसा खेल दिखाया है कि विश्व की सारी टीम को हार का  चेहरा देखना पड़ गया। टेनिस खेल में ऐसी उपलब्धि चारो ग्रैंड स्लैम के  सिंगल्स में नहीं मिली लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने पश्चिमी खिलाड़ियों के दमखम और फुर्ती को देख ये दिमाग लगाया कि टेनिस में केवल सिंगल्स ही नहीं होते बल्कि मेंस, विमेंस और  मिक्स डबल्स भी होते है। पिछले तीन दशक में भारत के टेनिस खिलाडियों ने देश विदेश के खिलाड़ियों के साथ मिलकर अभूतपूर्व सफलता हासिल किए है।इस नीति को बेहतर नीति कहा जा सकता है। कल 43साल के बोपन्ना ने सबसे अधिक उम्र के ग्रैंड स्लैम जीतने वाले खिलाड़ी बने।

भारत में रामनाथ कृष्णन से टेनिस युग की शुरुवात हुई थी  जो अब तक जारी है।

*रामानाथन कृष्णन

आजादी के एक दशक के बाद तक यानी साल 1960 तक भारतीय टेनिस का कारवां शुरू नहीं हुआ था और इसके बाद शुरू हुआ तो इसका पूरा श्रेय रामानाथन कृष्णन को जाता है। रामानाथन विंबलडन बॉयज़ एकल खिताब जीतने वाले पहले एशियाई खिलाड़ी थे। फाइनल में उन्होंने चार बार के ग्रैंड स्लैम चैंपियन एशले कूपर को शिकस्त दी थी।

रामानाथन सीनियर लेवल पर अपने इस प्रदर्शन को नहीं दोहरा सके लेकिन तमिलनाडु में जन्मे भारतीय टेनिस खिलाड़ी ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट में लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी थे।I इस खिलाड़ी ने दो बार साल 1960 और 1961 के विंबलडन ओपन के सेमीफाइनल में जगह बनाई। वहीं 1962 के फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में वह जगह बनाने में सफल रहे, इसके अलावा वह चार बार विंबलडन ओपन के क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे।

यही नहीं रामानाथन कई सालों तक डेविस कप में भारत के महत्वपूर्ण सदस्य थे, साल 1966 मे उन्होंने टीम को उपविजेता बनाने में अहम भूमिका निभाई। उनकी सबसे प्रसिद्ध जीत में 1959 के डेविस कप में महान रॉड लेवर और 1961 के विंबलडन क्वार्टर फाइनल में 12 बार के ग्रैंड स्लैम एकल चैंपियन रॉय एमर्सन को शिकस्त देना शामिल है। 1966 डेविस कप के फाइनल कप मे ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ रामानाथन ने अपने पार्टनर जयदीप मुखर्जी के साथ मिलकर विंबलडन के डबल्स चैंपियन जॉन न्यूकॉम्ब और टोनी रोशे को हराया था।

*विजय अमृतराज

विजय अमृतराज 70 और 80 के दशक में भारत के सबसे उभरते हुए सितारे थे। रामानाथन कृष्णन के रिटामेंट के बाद विजय अमृतराज ने ही भारत का नाम विश्व में रोशन किया। विजय अमृतराज चार बार ग्रैंड स्लैम सिंगल के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में सफल रहे, उन्होंने ये कारनामा दो बार विंबलडन ( साल 1973 और 1981) और दो बार यूएस ओपन ( 1973 और 1974) में किया।

सिंगल खिलाड़ी के तौर पर 15 बार एटीपी टूर का खिताब जीतने वाले इस खिलाड़ी ने कई बड़ी उपलब्धि हासिल की है। भारतीय खिलाड़ी ने 1984 के सिनसिनाटी मास्टर्स में टेनिस आइकन जॉन मैकेनरो को हराया तोर ब्योर्न बोर्ग के खिलाफ यूएस ओपन में जीत हासिल की। अपने भाई आनंद अमृतराज के साथ उन्होंने 13 एटीपी टाइटल जीते और 1976 के विंबलडन में वह सेमीफाइनल में पहुंचने में सफल रहे, सेमीफाइनल मुकाबले में उन्हें चैंपियन जोड़ी ब्रायन गॉटफ्रीड और राउल रामिरेज़ के हाथों हार झेलनी पड़ी। अमृतराज  बंधुओ ने भारत को 1974 और 1987 के डेविस कप के फाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।

*रमेश कृष्णन

रमेश कृष्णन को 1986 के विंबलडन से लोकप्रियता मिली। रामानाथन कृष्णन के बेटे रमेश भी अपने पिता के पदचिन्हों पर चले। जूनियर सर्किट पर उन्होंने 1979 विंबलडन बॉयज टाइटल के अलावा जूनियर लेवल पर फ्रेंच ओपन का खिताब अपने नाम किया। रमेश कृष्णन ने अपने करियर में आठ एटीपी सिंगल्स खिताब जीते तो वह तीन बार ग्रैंडस्लैम के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में सफल रहे। इस खिलाड़ी ने एक बार 1986 के विंबलडन में और दो बार (साल 1981 और 1987) यूएस ओपन के नॉकआउट में जगह बनाई।

यहीं नहीं भारतीय खिलाड़ी ने एक बहुत ही युवा आंद्रे अगासी को हराकर 1986 में अमेरिका के शेंक्टाडी में एटीपी चैलेंजर खिताब जीता। 1998 में पद्म श्री से सम्मानित होने वाले इस खिलाड़ी ने भारतीय टीम को 1987 के डेविस कप के फाइनल में पहुंचाया।

1992 में बार्सिलोना ओलंपिक में अपने रिटायरमेंट से ठीक एक साल पहले, रमेश कृष्णन ने एक बहुत ही युवा भारतीय टेनिस खिलाड़ी का नाम लिएंडर पेस के साथ जोड़ी बनाई और मेंस डबल्स के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। और यही से भारत को एक और सितारा मिल गया।

*लिएंडर पेस

1996 अटलांटा ओलंपिक में लिएंडर पेस का कांस्य पदक जीतना भारतीय टेनिस इतिहास के सबसे सुनहरे पलों में से एक है।

1996 अटलांटा ओलंपिक में लिएंडर पेस का कांस्य पदक जीतना भारतीय टेनिस इतिहास के सबसे सुनहरे पलों में से एक है।

लिएंडर पेस का 1996 के अटंलाटा ओलंपिक में कांस्य पदक जीतना भारत की सबसे बड़ी जीतों मे शुमार है।

जूनियर यूएस ओपन और विंबलडन ओपन चैंपियन ने साल 1991 में प्रोफेशनल खिलाड़ी के तौर पर टेनिस की दुनिया में कदम रखा।

पांच साल बाद, वह अटलांटा 1996 ओलंपिक खेलों में ब्राजील के खिलाड़ी फर्नांडो मेलिगेनी को हराकर एकल कांस्य पदक जीतने के बाद भारतीय टेनिस के पहले मेगास्टार के रूप में उभरे। 1952 में केडी जाधव के पदक जीतने के बाद समर ओलंपिक में भारत का यह पहला व्यक्तिगत पदक था।

इस खिलाड़ी का करियर भले ही एकल में बड़ी उपलब्धि के साथ शुरू हुआ लेकिन लिएंडर पेस ने युगल खिलाड़ी के रूप में टेनिस हॉल ऑफ फेम में अपनी जगह हासिल की। यहां तक की भारतीय खिलाड़ी ने वर्ल्ड के सबसे सफलतम खिलाड़ियों में अपनी जगह बनाई।

लिएंडर पेस ने 8 मेंस डबल्स खिताब अपने नाम किए हैं, जिनमें विंबलडन (1999), फ्रेंच ओपन (1999, 2001 और 2009), ऑस्ट्रेलियन ओपन (2012) और यूएस ओपन (2006, 2009 और 2013) शामिल है। इसके अलावा मिक्स्ड डबल्स में भी इस खिलाड़ी ने कई मेडल अपने नाम किए हैं। भारतीय खिलाड़ी ने 4 बार विंबलडन, तीन बार ऑस्ट्रेलियन ओपन और दो बार यूएस ओपन और एक बार फ्रेंच ओपन का खिताब जीता है। ये खिलाड़ी साल 1999 में दुनिया का नंबर वन डबल्स टेनिस खिलाड़ी बना और डेविस कप में सबसे अधिक युगल जीत का रिकॉर्ड भी इसी खिलाड़ी के नाम है।

*महेश भूपति

महेश भूपति भारत के पहले ऐसे खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ग्रैंडस्लैम टाइटल अपने नाम किया। शुरुआती में महेश भूपति ने लिएंडर पेस के साथ मिलकर कई मेडल्स जीते। हालांकि महेश भूपति ने अकेले भी भारत का नाम दुनिया में रोशन किया है। महेश भूपति जापान के रिका हीराकिन के साथ 1997 फ्रेंच ओपन मिक्स्ड डबल्स का खिताब जीतने के साथ ही ग्रैंड स्लैम जीतने वाले पहले भारतीय टेनिस खिलाड़ी  बने।

1999 से 2001 के बीच महेश भूपति ने पेस के साथ मिलकर तीन ग्रैंड स्लैम खिताब जीते लेकिन इसके बाद उन्होंने खुद को एक महान खिलाड़ी के रूप में साबित किया। उन्होंने मैक्स मिर्नी के साथ 2002 यूएस ओपन डबल्स का खिताब जीता और इसके साथ ही इस खिलाड़ी ने 8 बार मिक्स्ड डबल्स ग्रैंडस्लैम का खिताब जीता, भूपति ने हर खिताब 2-2 बार जीते हैं।

2004 में एथेंस ओलंपिक में भूपति के पास लिएंडर के पास कांस्य पदक जीतने का मौका था लेकिन भारतीय जोड़ी मारियो एंकिएव और इवान लजुबीसिएक की क्रोएशियाई जोड़ी से पार नहीं पार सकी। हालांकि इस जोड़ी ने बाद में 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में एक साथ कांस्य पदक अपने नाम किया।

*रोहन बोपन्ना

महेश भूपति और लिएंडर पेस के बाद रोहन बोपन्ना ने ही अन्य भारतीय ग्रैंडस्लैम विजेता हैं। उन्होंने 2017 फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल स्पर्धा में कनाडाई साथी गैब्रिएला डाब्रोवस्की के साथ जीत हासिल करते हुए यह उपलब्धि हासिल की थी।

बोपन्ना सात सालों के बाद मैथ्यू एब्डेन के साथ 2024 ऑस्ट्रेलियन ओपन में पुरुष युगल खिताब जीतने में सफल रहे। इस प्रक्रिया में 43 वर्षीय भारतीय शीर्ष खिलाड़ी, ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने वाले सबसे उम्रदराज खिलाड़ी बने। इसके साथ ही उन्होंने युगल में विश्व नंबर 1 स्थान पर जगह बनाने वाले सबसे उम्रदराज टेनिस खिलाड़ी की भी उपलब्धि हासिल की।।

बोपन्ना 2016 रियो ओलंपिक के मिक्स्ड डबल्स इवेंट में सानिया मिर्जा के पार्टनर थे, जहां इस जोड़ी न सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। इस भारतीय जोड़ी को कांस्य पदक के मैच में चेक जोड़ी लूसी हेराडेका और राडेक स्टेपनेक से हार झेलनी पड़ी।बोपन्ना एटीपी मास्टर्स 1000 खिताब जीतने वाले सबसे उम्रदराज टेनिस खिलाड़ी भी हैं। उन्होंने 43 साल की उम्र में एब्डेन के साथ 2023 इंडियन वेल्स मास्टर्स का खिताब जीता था।

* सानिया मिर्जा

सानिया मिर्जा को भारत में महिला टेनिस के बदलाव का श्रेय दिया जाता है। साल 1998 के ऑस्ट्रेलिया ओपन में निरुपमा संजीव भारत की तरफ से पहला ग्रैंडस्लैम मैच जीतने वाली पहली महिला था, इसके अलावा देश के पास महिला टेनिस की उपलब्धि गिनवाने का दूसरा अवसर नहीं था।

 जूनियर लेवल की विंबलडन गर्ल्स डबल्स चैंपियन सानिया मिर्जा भारत की पहली ऐसी महिला खिलाड़ी हैं, जिन्होंने डबल्यूटीए खिताब जीता है, सानिया ने ये कारनामा साल 2005 में हैदराबाद ओपन जीतकर किया था। अब तक ये कारनामा करने वाली सानिया इकलौती खिलाड़ी हैं।

चार साल बाद भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनी, जिन्होंने ग्रैंड स्लैम जीता हो, भारतीय स्टार ने महेश भूपति के साथ मिलकर 2009 ऑस्ट्रेलियन ओपन के मिक्सड डबल्स का खिताब जीता। दो साल बाद इस जोड़ी ने फ्रेंड ओपन में भी यही कारनामा किया। सानिया मिर्जा का तीसरा मिक्स्ड डबल्स स्लैम साल 2014 में आया, जब उन्होंने अपने ब्राजीली पार्टनर ब्रूनो सोरेस के साथ मिलकर यूएस ओपन का खिताब अपने नाम किया।

साल 2015 में सानिया ने स्विस लीजेंड मार्टिना हिंगिस के साथ जोड़ी बनाई, इस शानदार जोड़ी ने लगातार 44 मैच जीतने के साथ ही 3 लगातार ग्रैंड स्लैम खिताब जीते। जिनमें साल 2015 में विबंलडन ओपन और यूएस ओपन के साथ साथ साल 2016 का फ्रेंच ओपन भी शामिल है। इसी दौरान वह भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनीं, दो डबल्यूटीए डबल्स रैंकिंग में पहले स्थान पर काबिज हुई। ग्रैंडस्लैम खिताब के अलावा सानिया के नाम 43 डबल्यूटीए डबल्स टाइटल भी शामिल है।

इन सात भारतीय दिग्गज खिलाड़ियों के अलावा जीशान अली, सोमदेव देववर्मन, जसजीत सिंह, प्रेमजीत लाल, जयदीप मुखर्जी और गौस मोहम्मद जैसे खिलाड़ी भी भारतीय टेनिस में विशेष स्थान रखते हैं।सुमित नागल, रामकुमार रामनाथन, प्रजनेश गुणेश्वरन, अंकिता रैना भारत के टेनिस खेल में संभावनाएं है लेकिन ये लोग पुराने खिलाड़ियों के समान चारो ग्रैंड स्लैम स्पर्धा में सिंगल्स टूर्नामेंट जीत पाएंगे संभव नहीं दिखता है। विजय अमृत राज,लिएंडर पेस, महेश भूपति सानिया मिर्ज़ा और  रोहन बोपन्ना से सीख लेकर इन्हे डबल्स या मिक्स डबल्स में किस्मत आजमाना बेहतर होगा।

स्तंभकार-संजय दुबे

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