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साहिर लुधियानवी……जिनके लिखे गीत हम गुनगुनाते है…

हर व्यक्ति गायक नहीं होता है लेकिन कुछ गीत ऐसे होते है जो उसे गुनगुनाने पर मजबूर कर देते है। अधिकांश व्यक्ति फिल्मी गानों को जल्दी ही गाने की क्षमता रखता है क्योंकि सुर ताल सभी सधे रहते है। श्रोता को गाना ,गाने वालो के नाम, फिल्म का नाम और नायक नायिका का नाम पता होता है। ज्यादा हो गया तो संगीतकार का नाम जान जाते है लेकिन  गाना लिखने वाला अज्ञात रह जाता है। दरअसल गीतकार, कच्चा माल बेचने वाला होता है, जिसके माल की कई प्रोसेसिंग होती है,जैसे के सुर लगाना,संगीत देना,फिल्मांकन करना, इतना होने के बाद गाना बाजार में आता है। इस कारण शब्दो का ये किसान अज्ञात ही रह जाता है।गीतकार का नाम याद रहे ये कोशिश होनी चाहिए ,यही सोच कर साहिर लुधियानवी को याद आज किया जा रहा है, नियम से उनको 8मार्च को विशेष रूप से याद किया जाता है क्योंकि इसी दिन साहिर ने अब्दुल हई फजल मोहम्मद के रूप में जन्म लिया था।

अब्दुल हई के दिलो दिमाग में कविताएं बचपन से जन्म लेने लगी थी। पिता के  द्वारा उनकी मां को जन्म के छह माह बाद ही घर निकाला किए जाने के चलते अब्दुल हई को अपने नाम से एतराज होने लगा था  सो उनको ढूंढने में नाम मिला “साहिर”,इस नाम के साथ उन्होंने अपने शहर को जोड़ साहिर लुधियानवी बन गए। पढ़ने के लिए लाहौर गए तो अमृता प्रीतम से मुलाकात हुई। दोनो ही शब्दो के कारीगर थे सो मुलाकात प्रेम में बदला लेकिन संप्रदाय बीच में आ गया और दोनो के बीच  संबंध नही बंध पाया। साहिर, मां के अलगाव और दुख के चलते आगे नहीं बढ़ सके लेकिन एक पुरुष और स्त्री के आदर्श मित्रता के ज्वलंत उदाहरण आज भी है।

साहिर, फिल्मों की दुनियां में मुंबई आ गए और फिर गीत लेखन का सफर अनवरत चलते रहा। “नौजवान” फिल्म में पहला गाना ठंडी हवाएं लहरा के आए” के साथ साहिर के गीतों का सफर शुरू हुआ और फिर सैकड़ों गानों ने करोड़ो लोगो के मन मस्तिष्क पर राज किया।

*उड़े जब  जब जुल्फे तेरी, *अभी न जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं, 

*तजबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले, 

*जाने वो  कैसे लोग थे जिनको प्यार, प्यार से मिला, 

*हम आपकी आंखों में इस दिल को बसा दे,

 *जिंदगी भर नहीं भूलेगी ये बरसात की रात,

 *हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक, 

*किसी पत्थर की मूरत से, *बाबुल की दुआएं लेती जा, 

*चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनो, 

*कौन आया कि निगाहों में चमक जाग उठी,

 *आज की रात मुरादो की रात आई है,

*तुम अगर साथ देने का वादा करो,

 *मेरे दिल में आज क्या है तू  कहे तो

*कह दू  तुम्हे या चुप रहूं  

*तेरे चेहरे  से नजर नहीं  हटती नजारे

 *मैं पल दो पल का शायर हूं  पल दो पल मेरी हस्ती है

 ऐसे गीतों को साहिर लुधियानवी ने लिखा जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि साहिर के पास शब्दो का कितना मायाजाल था। वैसे साहिर का हिंदी मायने जादूगर ही होता है। 

साहिर के गीतों में अमृता प्रीतम कही न कही दिखती है, महसूस होती है क्योंकि साहिर मां के डर से भले ही कदम पीछे कर लिए थे लेकिन दिल तो अटका हुआ था। अपनी मां की बेबसी को भी उन्होंने एक गीत में बयां किया था”औरत ने जन्म दिया मर्दों को, मर्दों ने उन्हे बाजार दिया” यही वजह भी रही कि साहिर मां और प्रेमिका के बीच में ही रह गए।

इन सब से परे साहिर, प्यार लिखने वाले गीतकार है। उनके गीतों में एक प्रेमी का प्रेम बरसता है,……बस।

स्तंभकार- संजय दुबे

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