राज्यशासन

छत्तीसगढ की सियासत ‘कही-सुनी’

रवि भोई

क्या छत्तीसगढ़ में भाजपा रिकार्ड बनाएगी ?

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से लेकर भाजपा के हर नेता और कार्यकर्ता इस बार छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। राज्य बनने के बाद से भाजपा सभी 11 सीटें जीत नहीं पाई है। कभी एक की तो कभी दो की कमी, उसे सालती रही है। इस बार 11 की 11 सीटों के लिए भाजपा के नेता और कार्यकर्ता कमर कसे लगते हैं।अब भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की मेहनत क्या रंग लाती है, यह तो चार जून को ही पता चलेगा। इस बार मैदान में जहां पूरी भाजपा अपने प्रत्याशियों को जीताने में जी-जान से जुटी दिख रही है, वहीं कांग्रेस के प्रत्याशी ही योद्धा लग रहे हैं। विधानसभा चुनाव में हार से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव दिखाई पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भाजपा प्रत्याशियों को जीताने के लिए करीब-करीब हर लोकसभा में पहुंच रहे हैं, तो कांग्रेस के राज्य स्तर के बड़े नेता अपने लोकसभा क्षेत्र में बंधे दिख रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनांदगांव से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। वे अपने क्षेत्र संभालने में लग गए हैं, तो नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत कोरबा लोकसभा से प्रत्याशी हैं, इस कारण वे कोरबा में बंधे नजर आ रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज का प्रभाव बस्तर तक सीमित दिखाई पड़ रहा है। वहीं कांग्रेस के नेता पलायन की राह पर चल पड़े हैं। कुछ कांग्रेस में ही रहकर अपना भड़ास निकालने में लग गए हैं। इस वजह से कांग्रेस इस बार पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले कमजोर दिख रही है।

कांग्रेस ने भाजपा से मुकाबले के लिए अपने दिग्गजों को मैदान में उतारे हैं। दिग्गज कितना दम दिखाते हैं, इस पर नजर है। कांग्रेस के दिग्गजों की असल लड़ाई मोदी गारंटी से है। मैदान में भाजपा प्रत्याशियों से ज्यादा मोदी का नाम और गारंटी सिर चढ़कर बोल रहा है। 2019 में राज्य में कांग्रेस की सरकार रहने के बावजूद भाजपा 11 में से नौ सीटें जीतने में कामयाब रही थी। इस बार तो राज्य में भाजपा की सरकार है और मोदी की गारंटी जनता के जेहन में है। इस कारण भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं को सभी 11 सीटों में जीत की आस बंधी है।

भाजपा में संगठन ही बड़ा

कहते हैं कुछ भाजपा प्रत्याशी पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं के गले नहीं उतरे। चर्चा है कि नाम की घोषणा के बाद एक प्रत्याशी को कुछ नेता और कार्यकर्ताओं ने बधाई भी नहीं दी। एक महिला नेता प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने की जगह कंबल ओढ़कर बैठ गईं। कहा जा रहा है कि संगठन को इस बात की जानकारी मिलने पर उन्हें समझाइश दी, उन्हें कह दिया गया भाजपा में संगठन बड़ा है। यहां व्यक्ति मायने नहीं रखता। पार्टी का निर्णय न मानने पर उन्हें नुकसान हो सकता है। समझाइश काम कर गई और नाराज लोग अधिकृत प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार में जुट गए। नाराज महिला नेता हर काम में आगे हो गई। खबर है कि नाराज महिला नेता के हृदय परिवर्तन से कुछ बड़े नेताओं ने आश्चर्य भी व्यक्त किया।

जमीन पर उतरे जामवाल और साय

लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय संगठन महासचिव अजय जामवाल और प्रदेश संगठन महामंत्री पवन साय दोनों साथ-साथ मैदान में उतर गए हैं। कहते हैं विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के ये दोनों शिल्पकार थे। लोकसभा में भी जीत की नींव रखने के अभियान में लग गए हैं। नेताओं और कार्यकर्ताओं के गिले-शिकवे दूर करने की जगह उनमें उत्साह भरने का काम कर रहे हैं। भाजपा ने 2019 की तरह इस बार भी दो-तीन चर्चित चेहरे को छोड़कर जमीन से जुड़े नेताओं को लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। कुछ प्रत्याशियों के नाम पर पार्टी के लोग ही अचरज में पड़ गए।

चर्चा में चंद्राकर

कहते हैं पिछले दिनों बस्तर में छोटे आमाबाल की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुफ्तगू के बाद पूर्व मंत्री और कुरुद के भाजपा विधायक अजय चंद्राकर चर्चा में हैं। राज्य मंत्रिमंडल के आगामी फेरबदल में अजय चंद्राकर का नंबर लगने की बात होने लगी है। साय मंत्रिमंडल में अभी एक पद रिक्त है और बृजमोहन अग्रवाल के सांसद चुने जाने के बाद एक पद रिक्त होगा। अजय चंद्राकर बस्तर, कांकेर और महासमुंद के क्लस्टर प्रभारी हैं। खबर है कि प्रधानमंत्री ने अजय चंद्राकर से बस्तर, कांकेर और महासमुंद लोकसभा के बारे में चर्चा की।

बिना कोषाध्यक्ष के छत्तीसगढ़ कांग्रेस

छत्तीसगढ़ कांग्रेस महीनों से बिना कोषाध्यक्ष के चल रही है। बिना कोषाध्यक्ष के विधानसभा चुनाव निपट गया और अब लोकसभा चुनाव के वक्त भी कोषाध्यक्ष लापता हैं। राजनीतिक पार्टी में कोषाध्यक्ष की बड़ी भूमिका मानी जाती है। संभावना व्यक्त की जा रही थी कि दीपक बैज अपनी नई टीम के साथ नया कोषाध्यक्ष भी लाएंगे, पर अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। कांग्रेस के एक नेता ने लापता कोषाध्यक्ष पर गड़बड़ी का आरोप लगा दिया है, इस कारण मामला और भी सुर्ख़ियों में आ गया है। नेता और कार्यकर्ताओं के साथ लोगों को भी कांग्रेस में नए-पुराने कोषाध्यक्ष का इंतजार है।

वोट हासिल करने का नया ट्रेंड

सभी मानकर चल रहे हैं कि रायपुर लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल की जीत तय है। अब बृजमोहन अग्रवाल कितने मतों से जीत का रिकार्ड बनाते हैं, इसका लोगों को इंतजार है। बृजमोहन अग्रवाल ने रिकार्ड मतों से जीत का अंतर बनाने के लिए दांव चला है। बताते हैं बृजमोहन अग्रवाल ने उन्हें सर्वाधिक वोट दिलाने वाले बूथ और मंडल के भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को पुरस्कार देने की घोषणा की है। पुरस्कार की राशि से वे जश्न मना सकेंगे। रायपुर लोकसभा में करीब 2300 बूथ और 35 मंडल हैं। रायपुर लोकसभा में 23 लाख के करीब मतदाता हैं।

बोल-बोल में फंसे कवासी

नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत के बाद अब पूर्व मंत्री और बस्तर लोकसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी कवासी लखमा भी सुर्ख़ियों में आ गए हैं। कोंटा विधानसभा से लगातार छह बार चुनाव जीतने वाले कवासी लखमा को भले अक्षर ज्ञान न हो, पर उनकी वाक पटुता और ठेठ बस्तरिया अंदाज चर्चा में रहता है। लोकसभा चुनाव में मुर्गा लड़ाई जीतकर लोगों की जुबान पर चढ़े कवासी लखमा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में बोलकर फंस गए हैं। भाजपा ने कवासी के बोल को मुद्दा जो बना लिया। महंत ने माफ़ी मांगकर और चुप्पी साधकर मामले को ठंडा कर दिया। अब कवासी लखमा किस तरह वाकपटुता दिखाते हैं, लोगों को उसका इंतजार है। लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री पर टिप्पणी से कांग्रेस को नुकसान ही होता है। यह अब तक के चुनाव में ट्रेंड ही रहा है।

(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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