कानून व्यवस्था

HC; हाईकोर्ट का फैसला- दुर्घटना में दो वाहन हो तो किसी पर भी कर सकते हैं दावा

फैसला

बिलासपुर, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दुर्घटना में वाहनों पर दावा करने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि दुर्घटना में दो वाहन होने एवं एक वाहन के नहीं मिलने पर घायल किसी भी वाहन पर मुआवजा का दावा कर सकता है। मामले की सुनवाई जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल के बेंच में हुई। कोर्ट ने दुर्घटना दावा आवेदन को खारिज करने के आदेश को निरस्त करते हुए अपील को आंशिक रूप से स्वीकार किया है।

बता दें, अभनपुर जिला रायपुर के ग्राम गोतियारडीह निवासी आवेदक त्रिभुवन निराला का पुत्र रजत कुमार उम्र 24 वर्ष 21 अप्रैल 2013 की शाम गांव के बिशेसर धृतलहरे के साथ उसकी मोटर साइकिल क्रमांक सीजी-04 केपी 3270 में पीछे बैठकर अभनपुर जा रहा था। रास्ते में अज्ञात वाहन के चालक ने ठोकर मार दिया। इससे मोटर साइकिल स्लीप होकर गिर गया। इससे रजत कुमार को गंभीर चोट आयी और 22 अप्रैल 2013 को उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। पुलिस ने अज्ञात वाहन चालक के खिलाफ जुर्म दर्ज किया।

अज्ञात वाहन का पता नहीं चलने पर पुलिस ने मामले को खात्मा के लिए भेज दिया। इस पर मृतक रजत के पिता त्रिभुवन एवं उसकी दो बहनों ने मोटर साइकिल चला रहे विशेसर धृतलहरे व मोटर साइकिल के मालिक उसके पिता जगत राम और बीमा कंपनी को पक्षकार बनाते हुए मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण में दावा पेश किया। अधिकरण ने अज्ञात वाहन जिसकी लापरवाही से दुर्घटना हुई और रजत की मौत हुई। उस वाहन को पक्षकार नहीं बनाने पर आवेदन खारिज कर दिया। इसके खिलाफ पिता ने हाईकोर्ट में अपील पेश की।

कोर्ट ने अपील को स्वीकार किया और अपने आदेश में कहा कि मोटरसाइकिल सड़क पर फिसलकर गिर गई और उसे गंभीर चोटें लगी और उसकी मृत्यु हो गई। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि यह एक दुर्घटना थी और इसमें दो गाड़िया शामिल है। इसलिए अन्य कोई हमलावर वाहन की पता नहीं लगा सका। लेकिन तथ्य यह है कि यह दो लोगों के बीच एक वाहन दुर्घटना थी। जब दो वाहन दुर्घटना में शामिल होते है तो दावेदार किसी भी वाहन से मुआवजे की राशि का दावा कर सकता है। मुआवजे के आवेदन को इस आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता कि दुर्घटना में शामिल दूसरा वाहन को पक्षकार नहीं बनाया गया है। सर्वोच्च न्यायालय की व्यवस्था के आधार पर फैसला सुनाया गया। कोर्ट ने मृतक के परिवार को 8 लाख 26 हजार रुपये देने का आदेश बीमा कंपनी को दिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button