FUND;15वें वित्त आयोग का 244 करोड़ का फंड जारी,छत्तीसगढ की पंचायतों और ब्लॉक में होंगे विकास के काम
फंड जारी
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नईदिल्ली, केंद्र सरकार ने देश के 3 राज्यों छत्तीसगढ़, पंजाब और उत्तराखंड के ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 15वें वित्त आयोग अनुदान जारी कर दिया है. पंजाब को इस बार 225 करोड़ रुपये से अधिक दिए गए हैं जबकि छत्तीसगढ़ को 244 करोड़ रुपये और उत्तराखंड को ग्रामीण शासन को मजबूत करने के लिए 93 करोड़ रुपये से अधिक की राशि दी गई है.
पंचायती राज संस्थाओं (Panchayati Raj Institutions, PRI) या ग्रामीण स्थानीय निकायों (Rural Local Bodies, RLB) को दिए जाने वाले ये अनुदान जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं.
स्थानीय निकायों के लिए पहली किस्त
छत्तीसगढ़ में ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान 15वें वित्त आयोग अनुदान के जरिए 2024-25 के वित्तीय वर्ष में अनटाइड अनुदानों की दूसरी किस्त 237.1393 करोड़ रुपये के साथ-साथ वित्तीय वर्ष 2024-25 के अनटाइड अनुदानों की पहली किस्त की रोकी गई राशि 6.9714 करोड़ रुपये भी जारी किए गए हैं.
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ये धनराशि छत्तीसगढ़ की 11,548 पात्र ग्राम पंचायतों, सभी पात्र 146 ब्लॉक पंचायतों और सभी पात्र 27 जिला पंचायतों के लिए है. इसी तरह उत्तराखंड में भी ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अनटाइड अनुदानों की पहली किस्त जारी की गई है.
भारत सरकार, पंचायती राज मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय (पेयजल और स्वच्छता विभाग) के माध्यम से ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिए राज्यों को 15वें वित्त आयोग अनुदान दिए जाने की सिफारिश करती है, जिसे बाद में वित्त मंत्रालय की ओर से जारी किया जाता है. आवंटित अनुदानों की सिफारिश की जाती है और इसे एक वित्तीय वर्ष में 2 किस्तों में जारी किया जाता है.
सैलरी और अन्य स्थापना लागतों को छोड़कर, संविधान की 11वीं अनुसूची में शामिल 29 विषयों के तहत स्थान-विशिष्ट महसूस की जाने वाली जरूरतों के लिए पंचायती राज संस्थाओं या ग्रामीण स्थानीय निकायों द्वारा अनबंधित अनुदानों का उपयोग किया जाएगा. इन तय अनुदानों का उपयोग स्वच्छता और ओडीएफ स्थिति के रखरखाव की बुनियादी सेवाओं के लिए किया जा सकता है, साथ ही विशेष रूप से घरेलू कचरे का प्रबंधन और उपचार, के साथ-साथ मानव मल और मल कीचड़ प्रबंधन के लिए करना है. इसके अलावा पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) और जल पुनर्चक्रण (Water Recycling) भी इसमें शामिल होना चाहिए.