
0 ट्रंप की नई नीति से भारतीयों पर संकट, H-1B वीजा धारकों के बच्चों पर खतरा,1.34 लाख भारतीय बच्चों पर असर
वाशिंगटन, एजेंसी, विकासशील और अविकसित देशों के नागरिक अमेरिका में सपना पूरा करने की चाहत रखते हैं. वे अपना और अपने आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुधारने की चाह रखते हैं. अपने पंख को उड़ान देने वाले लोगों की सपनों पर लगातार ट्रंप प्रशासन की कैंची चल रही है. एक तरफ जहां अवैध रूप से भारतीय लोगों को अमेरिका से निकालने का सिलसिला जारी है. अब 1 लाख से अधिक लोगों पर ट्रंप सरकार का चाबुक चलने वाला है. लोगों को डर सताने लगा है, उनका सपना चकनाचूर होते हुए दिख रहा है. एक वीजा का नाम सुना होगा आपने H-1B वीज़ा.
जी वहीं एक वीजा का नाम सुना होगा आपने H-1B वीज़ा. जी यहीं, वीजा जो अमेरिका में काम करने के लिए लोगों के लिए जरूरी होता है और लाखों लोगों का अमेरिका में नौकरी करने के लिए इसे पाना एक सपना होता है, जो उनको अमेरिका में वैध तरीके से घुसने में मदद करता है, फिर वे यहां काम करते करते बस जाने की सपना देखते हैं, भविष्य में उनके बीवी बच्चे अमेरिका के नागरिक हो जाते हैं. अब ट्रंप की सरकार ने उसी नियम को खत्म कर दिया है, जिससे लाखों लोगों पर डिपोर्ट या खुद से अपने वतन लौटने का खतरा मंडराने लगा है
H-1B वीजा वाले लोगों के बच्चों पर मंडराया खतरा
जी हां, सही पढ़ रहे हैं. वैध रूप से अमेरिका में रह लोगों की नागरिकता पर खतरा मंडराने लगी है. दरअसल, अमेरिका का H-1B वीज़ा, विदेशी नागरिकों को काम करने की अनुमति देता है. यह एक गैर-आप्रवासी वीजा है. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद से वीजा और प्रवासियों को लेकर नियमों में कई तरह के बदलाव किए गए हैं. इनके दूसरे कार्यकाल से पहले एक नियम हुआ करता था. इसके तहत अमेरिका में H-1B वीज़ा धारकों के बच्चों का आश्रित माना जाता था, या दूसरी भाषा में समझे तो अमेरिका की धरती पर जन्म लेने वाले बच्चे, नियमतः अमेरिका के नागरिक हो जाते थे. मगर ट्रंप ने आते ही यानी कि उन्हें NRI माता-पिता (H-4 वीजा धारकों) का आश्रित वाले प्रावधान को खत्म कर दिया है. अब उनको आश्रित नहीं माना जा सकता.
नियमों में हो गया बदलाव
दरअसल, अमेरिकी कानून के अनुसार, एनआरआई के आश्रितों को उनकी ‘आयु सीमा’ के बाद नया वीजा स्टेटस चुनने के लिए दो साल का समय दिया था. लेकिन हाल ही में आव्रजन नियमों और अदालती मामलों में हुए बदलावों ने उन्हें इस प्रावधान के खत्म होने की चिंता में डाल दिया है. अब उनको डर सताने लगा है कि भारत में ‘स्व-निर्वासन’ के लिए मजबूर होना पड़ेगा, एक ऐसा देश जिससे वे शायद ही परिचित हों या फिर उनको अमेरिका में ‘बाहरी’ के रूप में रहना पड़ सकता है.
1.34 लाख पर गिर सकता है गाज
आपको जानकार हैरानी होगी कि ऐसे लोगों की संख्या एक लाख से भी ज्यादा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2023 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 1.34 लाख भारतीय बच्चों के आश्रित वीजा स्टेटस की उम्र सीमा समाप्त होने से पहले उनके परिवारों को ग्रीन कार्ड मिलने की उम्मीद थी.
वर्क परमिट पर रोक
टेक्सास में हाल ही में एक अदालत के फैसले ने डिफर्ड एक्शन फॉर चाइल्डहुड अराइवल्स (DACA) के तहत नए आवेदकों को वर्क परमिट देने से रोक दिया है, जिससे लोगों के बीच डर का माहौल बन चुका है. DACA उन अप्रवासियों को निर्वासन से दो साल की अस्थायी सुरक्षा प्रदान करता है, जिनके पास कोई दस्तावेज़ नहीं है, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं, जो 21 वर्ष की आयु के बाद अपने माता-पिता के आश्रित के रूप में अपनी स्थिति के लिए अयोग्य हो जाते हैं. भारतीय युवाओं को डर है कि वे अनिश्चितता में फंस सकते हैं. समस्या को और भी जटिल बनाने वाली बात यह है कि माता-पिता ग्रीन कार्ड के लिए 12 साल से 100 साल तक के वेटिंग लिस्ट में है.