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शराब घोटाला

रायपुर, छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में फंसे पूर्व IAS अधिकारी अनिल टूटेजा को सुप्रीम कोर्ट से मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत मिल गई है। हालांकि, आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) के तहत दर्ज मामले में अभी उन्हें राहत नहीं मिली है, जिसके चलते फिलहाल उन्हें जेल में ही रहना होगा।

अनिल टूटेजा को 21 अप्रैल 2024 को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि आरोपियों और गवाहों की संख्या काफी अधिक है, जिससे ट्रायल जल्दी पूरा होना संभव नहीं है।कोर्ट ने इस बात पर भी ध्यान दिया कि ट्रायल की प्रक्रिया में लगने वाला लंबा समय आरोपी के मौलिक अधिकारों का हनन कर सकता है।

शराब घोटाले से जुड़े इस मामले में अब तक 20 आरोपी और 30 गवाह सामने आ चुके हैं। ED ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत का विरोध करते हुए कहा कि मामला बेहद गंभीर है। इससे राज्य को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है।फिलहाल टूटेजा को तब तक जेल में रहना होगा जब तक उन्हें EOW केस में भी जमानत नहीं मिल जाती।

वहीं ईडी की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एसवी राजू ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि टुटेजा एक वरिष्ठ नौकरशाह हैं, जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार में शामिल हैं। महाधिवक्ता राजू ने टुटेजा पर नागरिक पूर्ति निगम घोटाले में भी शामिल होने का आरोप लगाया और गवाहों को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए जमानत का विरोध किया। 

ये है मामला

अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और सीएम सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध वसूली का खेल चल रहा है, जिसमें रायपुर महापौर एजाज ढेबर का भाई अनवर अवैध वसूली करता है। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ईडी ने 18 नवंबर, 2022 को मामला दर्ज किया। आयकर विभाग से मिले दस्तावेज के आधार पर ईडी ने जांच, गिरफ्तार आरोपी से पूछताछ के बाद 2161 करोड़ के घोटाले का जिक्र कोर्ट में पेश चार्जशीट में किया है। 

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