कानून व्यवस्था

SC; जस्टिस बीआर गवई आज लेंगे 52वें सीजेआई के रूप में शपथ, दे चुके हैं ये बड़े फैसले

शपथ

नईदिल्ली, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई आज देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ लेंगे। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में शपथ दिलाएंगी। जस्टिस गवई देश की न्यायपालिका के इतिहास में दलित समुदाय से आने वाले दूसरे मुख्य न्यायाधीश हैं। इससे पहले वर्ष 2007 से 2010 तक केजी बालकृष्णन इस पद पर रहे थे।

6 महीने का होगा कार्यकाल

जस्टिस गवई की नियुक्ति निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना के सेवानिवृत्त होने के बाद की जा रही है। वे 23 नवंबर, 2025 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहेंगे। जस्टिस गवई, प्रमुख अंबेडकरवादी नेता और पूर्व राज्यपाल आर.एस. गवई के पुत्र हैं। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से बीए एलएलबी की डिग्री लेने के बाद 1985 में वकालत शुरू की थी। वर्ष 2003 में वे बॉम्बे हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बनाए गए और 2005 में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त हुए। मई 2019 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया था।

कई ऐतिहासिक फैसलों में निभाई अहम भूमिका

जस्टिस गवई की न्यायिक यात्रा कई संवेदनशील और ऐतिहासिक मामलों से जुड़ी रही है। वे सुप्रीम कोर्ट की उस संविधान पीठ का हिस्सा रहे हैं, जिसने अनुच्छेद 370 को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। इसके अलावा वे चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित करने वाली पांच सदस्यीय पीठ में भी शामिल थे।

नोटबंदी को वैध ठहराया: जस्टिस गवई ने 2016 की नोटबंदी योजना को 4:1 बहुमत से वैध ठहराते हुए कहा था कि यह निर्णय आरबीआई और केंद्र सरकार के बीच विचार-विमर्श के बाद लिया गया था और यह असंवैधानिक नहीं था।

ईडी निदेशक के कार्यकाल को बताया अवैध: जुलाई 2023 में उन्होंने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा के तीसरे कार्यकाल को अवैध करार दिया और 31 जुलाई तक पद छोड़ने का आदेश दिया।

बुलडोजर कार्रवाई पर सख्त रुख: 2024 में, उन्होंने स्पष्ट किया कि आरोपी होने के आधार पर किसी की संपत्ति को ध्वस्त करना असंवैधानिक है और ऐसी कार्रवाई के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई: 2022 में उनकी पीठ ने 30 साल से जेल में बंद छह दोषियों को रिहा करने का आदेश दिया था, यह कहते हुए कि राज्यपाल ने तमिलनाडु सरकार की सिफारिश पर कार्रवाई नहीं की थी।

वणियार आरक्षण को असंवैधानिक करार: 2022 में तमिलनाडु सरकार द्वारा वणियार समुदाय को दिए गए विशेष आरक्षण को उन्होंने असंवैधानिक बताया था, क्योंकि इससे अन्य पिछड़ा वर्गों के साथ भेदभाव होता।

तीस्ता सीतलवाड़ को राहत: 2023 में उन्होंने तीस्ता सीतलवाड़ को नियमित जमानत दी, जो 2002 के गोधरा दंगों से संबंधित एक मामले में जेल में थीं।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर फैसला: वे उस संविधान पीठ का हिस्सा रहे, जिसने कहा कि मंत्रियों और सार्वजनिक अधिकारियों पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मामले में कोई अतिरिक्त प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस गवई का कार्यकाल न्यायपालिका में सामाजिक प्रतिनिधित्व, संविधान की रक्षा और जनहित के मामलों में संतुलित दृष्टिकोण के लिए एक अहम अध्याय साबित हो सकता है।

भारत के CJI को कितनी मिलती है सैलरी

भारत के मुख्य न्यायाधीश को हर महीने 2.80 लाख रुपए वेतन मिलता है। इनकी पेंशन 16.80 लाख रुपये प्रति वर्ष और साथ में महंगाई राहत और 20 लाख रुपए ग्रेच्युटी मिलती है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को वेतन के अलावा हर महीने 45,000 रुपए सत्कार भत्ता दिया जाता है। एक साथ 10 लाख रुपये फर्निशिंग अलाउंस के तौर पर भुगतान किया जाता है।

CJI को मिलती हैं ये सुविधाएं

सुविधाओं की बात करें तो भारत के CJI को ये सुविधाएं मिलती हैं-
—दिल्ली में सबसे उच्च श्रेणी यानी टाइप VIII का बंगला
—सरकारी गाड़ी और ड्राइवर की सुविधा
—बंगले पर 24 घंटे सुरक्षा, नौकर-चाकर और क्लर्क आदि रहते हैं
—गाड़ी के लिए हर महीने 200 लीटर तक ईंधन
—पीसीओ
—यात्रा भत्ता

जनता का भरोसा मांगने से नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत से कमाया जाता है- सीजेआई संजीव खन्ना

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने कल सुप्रीम कोर्ट में अपने सहयोगियों को भावुक विदाई दी. सेवानिवृत्ति के दिन उन्होंने न्यायमूर्ति बीआर गवई को अपनी जिम्मेदारी सौंपी. एक विशेष समारोह में उन्होंने कहा कि जनता का भरोसा मांगने से नहीं, बल्कि कड़ी मेहनत से कमाया जाता है, और सुप्रीम कोर्ट ने यह भरोसा हासिल किया है. अपने संबोधन में खन्ना ने कहा, “मेरे पास शब्द नहीं हैं. मैं अपने साथ ढेर सारी यादें लेकर जा रहा हूं. एक वकील हमेशा वकील ही रहता है.” उन्होंने जोर देकर कहा कि न्यायपालिका का मतलब केवल जज नहीं, बल्कि वकील और अदालत दोनों हैं. “वकील हमारी अंतरात्मा के रखवाले हैं,”

न्यायमूर्ति बीआर गवई की जमकर तारीफ

खन्ना ने अपने उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति बीआर गवई की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा, “न्यायमूर्ति गवई मेरा सबसे बड़ा सहारा रहे हैं. उनमें आपको एक शानदार मुख्य न्यायाधीश मिलेगा, जो मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा करेगा.” खन्ना ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट में जज अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं, और यह विविधता फैसलों को और बेहतर बनाती है. बाद में पत्रकारों से बात करते हुए खन्ना ने अपने चाचा, पूर्व न्यायमूर्ति एचआर खन्ना से तुलना को विनम्रता से खारिज किया. उन्होंने कहा, “उनका समय अलग था. वे असाधारण बुद्धि वाले व्यक्ति थे. मैं उनकी बराबरी नहीं कर सकता.” एचआर खन्ना ने 1971-1977 के चुनौतीपूर्ण दौर में सुप्रीम कोर्ट में सेवा दी थी.

खन्ना का 20 साल का न्यायिक करियर

खन्ना का 20 साल का न्यायिक करियर आज समाप्त हुआ. उन्होंने 2005 में दिल्ली हाई कोर्ट में अतिरिक्त जज के रूप में शुरुआत की थी. 2019 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के बाद उन्होंने अनुच्छेद 370, व्यभिचार को अपराधमुक्त करने, इलेक्टोरल बॉन्ड योजना और ईवीएम-वीवीपैट जैसे ऐतिहासिक फैसलों में हिस्सा लिया.

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