PENSION; देश के 78 लाख पेंशनरों को 1000 रु. से भी कम पेंशन,आंदोलन करते 10 साल में 3 लाख पेंशनर दम तोड चुके
पेंशन

रायपुर, हमारे देश में अनेक प्रकार की पेंशन योजनाएं चल रही हैं। सबसे ज्यादा पीडित EPS95 नामक पेंशनधारी हैं जो पिछले 10 वर्षों से देशव्यापी आंदोलन कर रहे हैं। इनकी मांग है कि न्यूनतम पेंशन 7500 के साथ महंगाई भत्ता एवं मेडिकल सुविधा दी जावे। अभी 10 सालों से इन्हें मात्र 1000 रु. प्रति माह दिया जा रहा है, कहीं कहीं 300 से 600 रु. ही दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय संघर्ष समिति के कमांडर अशोक राउत के नेतृत्व में 22 राज्यों में आंदोलन किया जाता रहा है। प्रथानमंत्री मोदी से दो बार और अनेक केंद्रीय मंत्रियों से अनेकों बार भेंट कर पेंशनरो की दुर्दिन स्थिति से अवगत कराया गया पर आश्वासन के सिवाय कुछ भी नहीं मिला।
राष्ट्रीय संघर्ष समिति रायपुर छत्तीसगढ़ के जिला अध्यक्ष अनिल नामदेव ने बताया कि देश के 78 लाख पेंशनरों के समक्ष इतनी कम पेंशन पर जीवन यापन करना दूभर हो चला है। आंदोलन के दौरान 3 लाख पेंशनर दिवंगत हो चुके हैं, कही कोई सुनवाई नहीं। 2014 के पूर्व सेवा निवृतों को भी सर्वोच्च न्यायालय के दो दो आदेशों के बाद भी उच्च पेंशन से वंचित कर दिया गया है।उन्होंने बताया कि EPS 95, निजी एवं केंद्रीय शासन के अधीन सार्वजनिक संस्थानों के कामगारों के लिये बनाई गई पेंशन योजना थी, जिसमें कर्मचारियों के हितों का लगातार अनदेखा किया गया है। मांगे पूर्ण नहीं होने की दिशा में राष्ट्रीय संघर्ष समिति आगे भी आंदोलन जारी रखने का विचार कर रही है।
राष्ट्रीय संघर्ष समिति रायपुर छत्तीसगढ़ के जिला अध्यक्ष अनिल नामदेव ने बताया कि अगर सरकार इन मांगों को पूरा करती है, तो यह पेंशनधारकों के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है। उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, और उन्हें वृद्धावस्था में बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
EPS95 पेंशन क्या है?
EPS-95, जिसे Employees’ Pension Scheme 1995 भी कहा जाता है, निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद वित्तीय सुरक्षा देने के लिए EPFO द्वारा चलाई जाती है। इस योजना के तहत नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का योगदान होता है। कर्मचारी योगदान: कर्मचारी के मूल वेतन का 12% EPF (कर्मचारी भविष्य निधि) में जमा होता है। नियोक्ता योगदान: 12% में से 8.33% EPS (पेंशन योजना) में और बाकी 3.67% EPF में जाता है। योजना का लाभ उठाने के लिए कर्मचारी को कम से कम 10 वर्षों का योगदान करना अनिवार्य है, और पेंशन की शुरुआत 58 वर्ष की आयु से होती है।