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MBBS; प्रदेश में 22261 छात्र काऊंसिलिंग के लिए पात्र, अब पात्रता के बिना मेडिकल कालेज में दाखिला पर 1 करोड़ जुर्माना

काऊंसिलिंग

0 एनएमसी ने लिया सख्त फैसला- कालेज की मान्यता पड जाएगी खतेरे में

रायपुर, नीट यूजी का रिजल्ट 14 जून को आ गया है। प्रदेश के मेडिकल कालेज एवं डेंटल कालेजों में दाखिला के लिए अब  काऊंसिलिंग की तैयारी शुरू हो गई है। काउंसलिंग से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, अगस्त से काउंसलिंग शुरू होने की संभावना है, तब तक मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने का काम पूरा कर लिया जाएगा। इस बार नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने निजी मेडिकल कॉलेजों में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए कड़े नियम बनाए हैं। इसमें 1 करोड़ रु. जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

प्रदेश के 10 सरकारी व 5 निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 2130 सीटें हैं। इस बार सिम्स की 30 सीटें वापस मिल सकती हैं। दरअसल, पिछले साल जरूरी फैकल्टी व सुविधाओं की कमी के कारण एनएमसी ने 180 में 30 सीटें घटा दी थीं। इस साल प्रदेश से 22261 छात्र क्वालिफाइड हुए हैं। जबकि 45226 छात्रों ने नीट के लिए पंजीयन कराया था। इसमें 43718 छात्र नीट में शामिल हुए थे। इस बार नीट का पेपर काफी कठिन था इसलिए कट ऑफ पिछले साल की तरह ज्यादा हाई नहीं गया है। प्रदेश के 50.91 फीसदी यानी आधे छात्र एमबीबीएस व बीडीएस की काउंसलिंग में शामिल होने के लिए पात्र हैं। नीट यूजी क्वालिफाइड के बिना मेडिकल कॉलेजों की एमबीबीएस सीटों पर एडमिशन नहीं दिया जा सकेगा।

नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने निजी मेडिकल कॉलेजों में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सख्त कदम उठाना शुरू कर दिया है। इसके तहत कड़े नियम बनाए गए हैं। देश के कुछ कॉलेजों में ऐसी शिकायतें आती रही हैं कि बिना क्वालिफाइड छात्र को प्रवेश दे दिया गया। छत्तीसगढ़ में ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया है। जुर्माना एक करोड़ या संपूर्ण फीस से दोगुनी राशि होगी। वहीं, दूसरी बार दो करोड़ अथवा संपूर्ण फीस की दोगुनी राशि वसूल की जाएगी।कॉलेज द्वारा बार-बार ऐसी अनियमितता किए जाने पर मान्यता खत्म कर दी जाएगी। यही नहीं, छात्र को भी कॉलेज से बाहर कर दिया जाएगा। संबंधित कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटें भी घटा दी जाएंगी। सामान्यत: सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन में खेल कम होता है।

2013 में 86 छात्रों का दाखिला रद्द हुआ था

दुर्ग स्थित चंदूलाल चंद्राकर निजी मेडिकल कॉलेज ने 2013 में 86 छात्रों को नीट क्वालिफाइड किए बिना सीधे एडमिशन दे दिया था। इनमें मैनेजमेंट कोटे की 64 व एनआरआई कोटे की 22 सीटें शामिल थीं। डीएमई कार्यालय ने एडमिशन रद्द करने को कहा था, लेकिन प्रबंधन नहीं माना। छात्रों ने डीएमई के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सारी दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 86 छात्रों के एडमिशन को रद्द कर दिया था। इसके बाद छात्रों ने कॉलेज से फीस की मांग की। अब तक कई छात्रों की फीस लौटाई नहीं गई है। इस विवाद के बीच कॉलेज ही डूब गया। 2022 में राज्य सरकार ने इसे अधिग्रहण कर सरकारी कॉलेज का दर्जा दिया है। कॉलेज में एमबीबीएस की 200 सीटें हैं। जब कॉलेज निजी था, तब वहां 150 सीटें थीं।

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