कृषि

IGKV; सेवानिवृत प्राध्यापकों के पेंशन प्रकरण 12 माह बाद भी निर्धारित नहीं, बेवजह लगाई गई आपत्ति

रायपुर, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर से 2012 से 2024 तक सेवानिवृत हुए वैज्ञानिक /प्राध्यापकों का पेंशन निर्धारण सामान्य रुप से किया गया , परंतु सन 2024 के उपरांत अप्रैल के बाद सेवानिवृत हुए प्राध्यापक/वैज्ञानिकों का पेंशन निर्धारण में विश्वविद्यालय के लेखा नियंत्रक एवं संयुक्त संचालक ऑडिट द्वारा कुछ बातों के अनावश्यक आपत्ति ली गई है। इससे पेंशन निर्धारण में विलंब हो रहा है।

बताया गया है कि प्राध्यापक के अधिवार्षिक की आयु  62 वर्ष से 65 वर्ष कर दी गई है जो कि विश्वविद्यालय के अधिनियम और परनियम के तहत उचित है और इसका लाभ इसी अनुसार वैज्ञानिकों और प्राध्यापक को पूर्व दिया भी जा चुका है तो इस तरह की कोई आपत्ति लगाने की आवश्यकता नहीं है।
यह भी पता चला है कि 1986 के बाद जो प्राध्यापक जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा नियुक्त हुए थे तथा इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में समायोजित हुए, उनके पीएचडी प्रकरण को लेकर भी अनावश्यक आपत्ति लगाई जा रही है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में पीएचडी अध्ययन अवकाश का निर्माण 1991 में किया। ऐसी स्थिति में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से नियुक्त प्राध्यापकों के 5 वर्ष के भीतर के अध्ययन करने के अनिवार्यता स्वत: समाप्त हो जाती है। इसका एक कारण यह भी है कि 1987 में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा अपने प्रथम विज्ञापन में जिन वैज्ञानिकों का प्राध्यापकों की नियुक्ति की गई थी वह सभी बिना पीएचडी के थे और उनके नियुक्ति पत्र में पीएचडी की अनिवार्यता नहीं थी।                         बताया गया है कि 1989 में जिन सहायक प्राध्यापक/ वैज्ञानिकों की भर्ती की गई थी उनके सेवा शर्तों में प्रतियोगिता परीक्षा पास करने की कंडिका लिखी हुई थी जो कि भारतवर्ष में कहीं भी आयोजित नहीं की जा रही थी। इस कंडिका को पूर्व के बोर्ड में पहले ही निरस्त कर दिया गया है परंतु उसके बाद भी ऑडिट विभाग द्वारा आपत्ति लगाकर 89 बैच के प्राध्यापकों का भी पेंशन निर्धारण नहीं किया जा रहा है।

Related Articles

Back to top button