GUIDELINES; चौतरफा दबाव के बाद सरकार झुकी, ओपी चौधरी बोले-जमीन की गाइडलाइन दरों में किये गये बड़े जनहितैषी सुधार

रायपुर, सांंसद बृजमोहन अग्रवाल के साथ कांग्रेस के विरोध के साथ चौतरफा दबाब के चलते छत्तीसगढ़ में जमीन की नई गाइडलाइन दरों पर सरकार ने सोमवार को एक बार फिर कई संशोधन किए हैं, जिन्हें तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा किमुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर पंजीयन प्रक्रिया को सरल एवं जन हितैषी बनाया जा रहा है। इसी दिशा में राज्य में 20 नवंबर को लागू नवीन गाइडलाइन दरों के संबंध में विभिन्न हितधारकों से सुझाव, ज्ञापन एवं प्रस्ताव प्राप्त हुए। जिन पर विचार कर रियल एस्टेट सेक्टर और आम नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए कई जन हितैषी सुधार के साथ महत्वपूर्ण फैसले लिए गए है।
भूखंडों के इंक्रीमेंटल आधार पर गणना का प्रावधान समाप्त
भाजपा कार्यालय एकात्म परिसर में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने बताया कि नगरीय क्षेत्र में 1400 वर्ग मीटर तक भूखंडों के इंक्रीमेंटल आधार पर गणना के प्रावधान को समाप्त करते हुए पूर्व प्रचलित उपबंध अनुसार नगर निगम क्षेत्र में 50 डेसिमल तक, नगर पालिका में 37.5 डेसिमल तक, और नगर पंचायत में 25 डेसिमल तक स्लैब दर से मूल्यांकन के प्रावधान को यथावत लागू किए जाने का निर्णय लिया गया। वहीं बहुमंजिला भवनों में फ्लैट, दुकान, कार्यालय अंतरण होने पर सुपर बिल्ट अप एरिया के आधार पर बाजार मूल्य की गणना के प्रावधान को विलोपित किए जाने का निर्णय लिया गया। अब इनमें बिल्ट अप एरिया के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा।

मध्यम वर्ग को किफायती दर पर फ्लैट मिलेंगे
यह प्रावधान मध्य प्रदेश के समय से चला आ रहा था और राज्य में वर्टिकल डेवलपमेंट के लिए इसकी मांग लंबे समय से आ रही थी। इससे नगर योजना में भूमि का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि बहुमंजिला भवन एवं कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में बेसमेंट एवं प्रथम तल पर 10 प्रतिशत कमी, द्वितीय तल एवं उससे ऊपर के तल पर 20 प्रतिशत कमी के साथ मूल्यांकन किया जाएगा। इससे मध्यम वर्ग को किफायती दर पर फ्लैट मिल पाएंगे।
31 दिसंबर तक गाइडलाइन दरों में पुनः पुनरीक्षण प्रस्ताव भेजें
वित्त मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में 20 मीटर पश्चात् स्थित संपति के लिए भूखंड की दर में 25 प्रतिशत कमी कर मूल्यांकन किया जाएगा। 20 मीटर दूरी की गणना कॉम्प्लेक्स के मुख्य मार्ग की ओर से निर्मित भाग से की जाएगी। जिला मूल्यांकन समिति द्वारा गाइडलाइन दरों के पुनरीक्षण के प्रस्ताव केन्द्रीय मूल्यांकन बोर्ड को भेजे जाते हैं जिनका विश्लेषण कर केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड नवीन गाइडलाइन दरें जारी करता है। जिला मूल्यांकन समिति को यह निर्देशित करने का निर्णय लिया गया कि हाल ही में हुई दरों में वृद्धि के पश्चात् प्राप्त ज्ञापनों, आपत्तियों एवं सुझावों का परिशीलन कर 31 दिसंबर तक गाइडलाइन दरों में पुनः पुनरीक्षण प्रस्ताव भेजें। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड के ये निर्णय दिनांक 8 दिसंबर से प्रभावशील हो गए हैं।
कुछ महत्वपूर्ण फैसले
1. नगरीय क्षेत्र में पहले नजूल, आबादी एवं परिवर्तित भूमि पर पूरी तरह वर्गमीटर दर लागू थी। अब कृषि भूमि के लिए लागू प्रावधान नजूल, आबादी एवं परिवर्तित भूमि पर भी लागू होंगे।
लाभः रायपुर में वार्ड क्रमांक 28 शहीद हेमू कल्याणी वार्ड में वर्ग मीटर दर रुपए 1,95,000 प्रति वर्ग मीटर एवं हेक्टेयर रेट रुपये 6 करोड़ प्रति हेक्टेयर निर्धारित है, इस क्षेत्र में 0.405 हेक्टेयर अर्थात एक एकड़ अथवा 4048 वर्ग मीटर भूमि का मूल्य पूर्व में रू 78 करोड़ रुपये होता अब नए उपबंध के अनुसार मूल्य रु 2.4 करोड़ रुपये होगा।
2. पहले ग्रामीण क्षेत्र में परिवर्तित भूमि के लिए सिंचित भूमि का ढाई गुना मूल्य लगता था, यह व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। लाभः बिलासपुर के सेंदरी ग्राम में रु 1.60 करोड़ रुपए प्रति एकड़ दर निर्धारित है, इस ग्राम में एक एकड़ भूमि विक्रय होने पर पहले मूल्य रु 4 करोड़ रुपये होता अब नए प्रावधान अनुसार रु 1.60 करोड़ ही होगा।
3. दो फसली भूमि पर बाजार मूल्य पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त जोड़ने का प्रावधान हटाया गया। लाभः मोतीपुर में 1 हेक्टेयर जमीन की दर 2 करोड़ 44 लाख रुपये है, जो दो फसली होने पर वास्तविक गाडलाइन मूल्य 3 करोड़ 5 लाख होता। नए प्रावधान अनुसार बाजार मूल्य 2 करोड़ 44 लाख रुपए ही होगा.
4. ट्यूबवेल, बोरवेल पर 85,000 रुपए और कुएं पर 70,000 रुपए अतिरिक्त जोड़ने की व्यवस्था समाप्त।
5. वाणिज्यिक फसलें जैसे केला, पपीता, गन्ना जैसी फसलों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त मूल्य जोड़ने का प्रावधान हटाया गया।
6. भूमि पर वृक्षों का मूल्य भूमि मूल्य में जोड़कर गणना करने की व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त किया गया।
लाभः उप पंजीयक कार्यालय कांकेर में 26/12/2024 को विक्रय पत्र का पंजीयन किया गया है जिसके विक्रय भूमि में लगभग 600 वृक्ष थे जिनका मूल्य 78 लाख रुपये था। नए प्रावधान अनुसार इस मूल्य को भूमि के मूल्य में नहीं जोड़ा गया है जिससे क्रेता को 78 लाख रुपये पर लगने वाले रजिस्ट्री शुल्क लगभग 8.58 लाख रुपये की राहत मिली। प्रायः शुल्क बचाने हेतु वृक्षों की कटाई की जाती थी, अब भूमि के दाम पेड़ों की संख्या से प्रभावित नहीं होंगे। जिससे पेड़ काटकर मूल्यांकन कम कराने की प्रवृत्ति समाप्त हुआ और पर्यावरण संरक्षण को सीधा प्रोत्साहन मिला।
7. शहर से लगे हुए गांवों में पहले 25-37.5 डिसमिल तक कृषि भूमि का मूल्यांकन वर्गमीटर दर से होता था, अब हेक्टेयर दर से ही मूल्यांकन होगा।
लाभः ग्राम बरौदा (रायपुर) में पूर्व प्रावधान अनुसार 37.5 डिसमिल कृषि भूमि विक्रय होने पर उसका मूल्य 26.75 लाख रुपये होता जो नए प्रावधान से इसका मूल्य सिर्फ 6.30 लाख रुपये होगा।
8. भूमि पर तालाब, मछली टैंक होने की स्थिति में भूमि दर का 1.5 गुना लेकर मूल्यांकन करने के नियम को हटाया गया।
9. ग्रामीण कृषि भूमि पर पहले तीन दर (मुख्य मार्ग, सिंचित, असिंचित) लगती थी । अब केवल दरें (मुख्य मार्ग और सिंचित) लागू साथ ही अब असिंचित भूमि का मूल्यांकन सिंचित दर से 20 प्रतिशत कम पर होगा।
10. बाउंड्री वॉल पर 400 रुपए रनिंग फुट और प्लिंथ लेवल पर 300 रुपए प्रति वर्गफुट जोड़ने का प्रावधान भी पूरी तरह से समाप्त किया गया।
11. पहले नगर निगम, नगर पालिका, नगर पंचायत में निर्मित संपत्तियों के लिए अलग-अलग 21 प्रकार की दरें लागू थी, अब केवल दो प्रकार की दरें ही लागू होंगी। अनेक दर होने के कारण आम जनों को अपने मकान की बाजार मूल्य की गणना करने में कठिनाई होती थी, अब केवल दो प्रकार की दर होने से गणना करना सरल व सहज हुआ है।
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