राज्यशासन

HC; डिवीजन बेंच ने कहा – हर मुक्तिधाम में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी

0 बदहाल मुक्तिधामों पर हाईकोर्ट में सुनवाई : सभी कलेक्टरों ने पेश की रिपोर्ट

 बिलासपुर, हाईकोर्ट ने प्रदेशभर के बदहाल मुक्तिधामों पर सभी जिलों के कलेक्टर से फोटोग्राफ सहित रिपोर्ट मांगा था। यह रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश कर दी गई है। अब कोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी को अपने आदेश का कंप्लायंस रिपोर्ट की मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही बिलासपुर निगम कमिश्नर को शपथ पत्र में जवाब पेश करने कहा गया है। अगली सुनवाई जनवरी में रखी गई है।

इधर शासन की ओर से कहा गया है कि मुक्तिधामों के रखरखाव के लिए विस्तृत दिशा- निर्देश जारी कर दिए हैं। इनमें साफ-सफाई, ग्रीन फेंसिंग या कंटीले तार से बाउंड्री, शेड की मरम्मत, बिजली, पानी और पुरुष-महिला के लिए अलग शौचालय जैसी सुविधाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। आज सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने कहा कि गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार संविधान के तहत जीने के अधिकार का हिस्सा है, इसलिए सरकार की जिम्मेदारी है कि हर मुक्तिधाम में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए।

दरअसल, हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा 29 सितंबर को बिल्हा के मुक्तिधाम पहुंचे थे, जहां उन्होंने चारों तरफ अव्यवस्था और गंदगी देखी। वे किसी न्यायिक अधिकारी के पिता के निधन पर पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने इस बदहाली पर संज्ञान लिया। पिछली सुनवाई में मुख्य सचिव, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के सचिव और कलेक्टर बिलासपुर ने इस मामले में अपने-अपने शपथपत्र (हलफनामा) प्रस्तुत किए थे। साथ ही पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग और शहरी प्रशासन विभाग ने 6 अक्टूबर और 8 अक्टूबर 2025 को इस संबंध में राज्यव्यापी निर्देश जारी किए थे। इस पर डिवीजन बेंच ने कहा कि केवल निर्देश जारी करने से काम नहीं चलेगा। ध्यान रहे कि चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा 29 सितंबर को रहंगी में एक अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने मुक्तिधाम की अव्यवस्था देखकर हैरानी जताई थी।

हाईकोर्ट के निर्देश पर रहंगी मुक्तिधाम में तुरंत हुआ सुधार कार्य

मुक्तिधाम में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं थी। यहां पहुंचने कोई रास्ता भी नहीं था। पानी, बैठने के कोई इंतजाम भी नहीं दिखे। इस पर हाईकोर्ट ने इस अव्यवस्था को जनहित याचिका मानकर राज्य सरकार, जिला प्रशासन और ग्राम पंचायत को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए थे। इसके बाद रहंगी मुक्तिधाम की दशा पर बिलासपुर कलेक्टर ने शपथ पत्र दिय, जिसमें बताया गया कि रहंगी मुक्तिधाम में तुरंत सुधार कार्य किया गया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने हॉल को खाली कर प्रतीक्षालय में बदला गया है। पीने के पानी की व्यवस्था की गई है और अंतिम संस्कार प्लेटफॉर्म की मरम्मत कराई गई है। इसके अलावा मुख्य सड़क से मुक्तिधाम तक सीसी रोड बनाने के लिए 10 लाख रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति भी दी गई है।

उच्च न्यायालय के आदेश के बाद बदलेगी मुक्तिधामों की सूरत – भगवानू

सामाजिक न्याय कार्यकर्ता अधिवक्ता भगवानू नायक ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा राज्य भर के मुक्तिधामों (शवदाह गृह) की बदहाल स्थिति पर दिए गए ऐतिहासिक निर्देशों एवं टिप्पणियों का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट करना कि “गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार संविधान के तहत जीने के अधिकार का हिस्सा है”, मानवीय दृष्टिकोण है। यह निर्णय मृतक के प्रति सम्मान एवं जीवित परिवारजनों की गरिमा को अनुच्छेद 21 के तहत संवैधानिक अधिकार प्रदान करता है।

नायक ने कहा कि राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के अधिकांश मुक्तिधाम बुनियादी सुविधाओं जैसे स्वच्छ पानी, बिजली, शौचालय, शेड, उचित बाउंड्री एवं पहुंच मार्ग से वंचित हैं। इस संदर्भ में, हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा  द्वारा बिलासपुर जिले के बिल्हा क्षेत्र के अंतर्गत रहँगी मुक्तिधाम की अव्यवस्था देखकर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई प्रारंभ करना न्यायपालिका की संवेदनशीलता, सक्रियता एवं जनहित के प्रति प्रतिबद्धता का उत्कृष्ट उदाहरण है।

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