राजनीति

POLITICS; उडीसा में नई पार्टी के गठन की हलचल के बीच राजनीति सरगर्म, बीजेडी को फर्क नहीं पडेगा

भुवनेश्वर. विजय महापात्रा और मोहम्मद मोकिम की मुलाकात के बाद उडीसा में नई पार्टी के गठन की हलचल के बीच राज्य की राजनीति सरगर्मी तेज हो गई है. इस बीच पूर्व मुख्य सचिव विजय पटनायक ने नई रीजनल पार्टी बनाने की अटकलों पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अगर नई पार्टी बनेगी, तो इसकी जानकारी मीडिया को दी जाएगी. हालांकि अब विजय पटनायक ने इस मुद्दे पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है.

गुरुवार को मोहम्मद मोकिम और विजय महापात्रा की मुलाकात के बाद सियासी हलचल और बढ़ गई है. मोहम्मद मोकिम ने भुवनेश्वर में विजय महापात्रा के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी. इससे पहले विजय महापात्रा एक सभा में नई पार्टी बनाने पर सहमति जता चुके हैं. हालांकि दोनों नेताओं का कहना है कि इस मुलाकात में कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई और यह पूरी तरह निजी बातचीत थी.

इस बीच बीजेडी ने नई रीजनल पार्टी को लेकर चल रही चर्चाओं पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. पार्टी का कहना है कि जो लोग नए राजनीतिक समीकरण बना रहे हैं, उन्हें खुद पता होगा कि वे कितने सफल होंगे और कितने असफल. बीजेडी ने साफ कहा कि ओडिशा में चाहे कोई भी नई पार्टी बने, उससे पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा. पार्टी के अनुसार, ओडिशा की जनता बीजू बाबू और नवीन बाबू से प्यार करती है. अगर लोग समर्थन देते हैं, तो समीकरण अपने आप बनते हैं. बीजेडी ने यह भी कहा कि पहले भी कई नेता पार्टी छोड़कर गए हैं और कई नए नेता पार्टी में आए हैं. पार्टी को इससे कोई दिक्कत नहीं है और न ही आगे होगी.

राज्य के कई युवा और वरिष्ठ नेता फिलहाल दुविधा में हैं. वे तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस पार्टी में जाएं. बीजेपी की सरकार बनने के बाद अलग-अलग दलों के कई नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में बीजेपी में जाने के इच्छुक नेताओं को भी यह संशय है कि उन्हें वहां कोई पद मिलेगा या नहीं. दूसरी ओर बीजेडी फिलहाल सत्ता में नहीं है, इसलिए कुछ नेता सोच रहे हैं कि विपक्ष में बैठी पार्टी में शामिल होने से उन्हें क्या लाभ होगा. वहीं कांग्रेस पिछले 25 सालों से सत्ता में वापसी नहीं कर पाई है, इसलिए कई नेता उस पर भी भरोसा नहीं कर पा रहे हैं.

ऐसे माहौल में अगर कोई नई रीजनल पार्टी बनती है, तो कुछ नेताओं को उम्मीद है कि बिखरे हुए नेताओं को एकजुट कर बीजेपी, बीजेडी और कांग्रेस के विकल्प के तौर पर एक नया राजनीतिक मंच खड़ा किया जा सकता है.

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