बाघों के साथ भेदभाव; इंद्रावती को 3 साल में दिए सिर्फ 5 करोड़ और अचानकमार टाइगर रिजर्व को 115 करोड़
0 वन्यजीव प्रेमी ने लिखा वन मंत्री को पत्र, इंद्रावती के वन्य प्राणियों और वन की रक्षा की जावे
रायपुर, वन विभाग के अधिकारियों द्वारा इंद्रावती टाइगर रिजर्व की उपेक्षा किए जाने पर वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन मंत्री को पत्र लिखकर बताया है कि 2020 से 2023 के बीच, 2799 किलो मीटर में फैले प्रदेश के सबसे बड़े इंद्रावती टाइगर रिजर्व को मात्र रु 5 करोड 5 लाख का आवंटन किया गया है। यह आवंटित राशि भी पूरी खर्च नहीं की गई। इसमें से मात्र रु 3 करोड 66 लाख ही खर्चा किया गया। इसके लिए कैम्पा और विभाग की मद से कोई राशि नहीं दी गई। 2018 में यहाँ 3 बाघ थे और 2022 के एस्टीमेशन में सिर्फ 1 बाघ ही बचा हैं। वन मंत्री से निवेदन किया गया है कि इंद्रावती टाइगर रिजर्व के महत्त्व को समझते हुए वंहा पर वन और वन्य प्राणियों की रक्षा करने हेतु उचित बजट व्यवस्था करने हेतु निर्देश देने की कृपा करें।
अचानकमार टाइगर रिज़र्व को दिया 114 करोड 78 लाख
इंद्रावती टाइगर रिजर्व वन विभाग के उच्च अधिकारियों की नजर में किस कदर उपेक्षित है इसका प्रमाण देते हुए बताया गया कि 914 वर्ग किलोमीटर में फैले प्रदेश के *सबसे छोटे टाइगर रिजर्व अचानकमार टाइगर रिजर्व* को वर्ष 2019 से 2023 फरवरी तक विभागीय मद से रु 32 करोड 23 लाख, प्रोजेक्ट टाइगर मद से रु 13 करोड 15 लाख, और कैम्पा मद से रु 69 करोड 31 लाख की राशि कुल रु 114 करोड 78 लाख आवंटित की गई। 2018 में यहाँ 5 बाघ थे और 2022 के एस्टीमेशन में भी 5 बाघ हैं।
उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व को 5 करोड
1824 वर्ग किलोमीटर में फैले उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व को वर्ष 2019 से 2023 फरवरी तक विभागीय मद से रु 18 करोड 24 लाख, प्रोजेक्ट टाइगर मद से रु 7 करोड 89 लाख, और कैम्पा मद से रु 17 करोड 56 लाख की राशि कुल रु 43 करोड 69 लाख आवंटित की गई। 2018 में यहाँ 1 बाघ थे और 2022 के एस्टीमेशन में सिर्फ 1 बाघ हैं।
इन्द्रावती टाइगर रिज़र्व में है वनभैसे
पत्र में बताया गया है कि इंद्रावती टाइगर रिजर्व फारेस्ट ट्रैक के माध्यम से मध्यप्रदेश, महारास्ट्र और तेलेंगना राज्यों से जुड़ा हुआ है और छत्तीसगढ़ के ही दो अभ्यारण से भी फारेस्ट ट्रैक से जुड़ा हुआ अत्यंत महत्वपूर्ण टाइगर रिजर्व है। यहां पर दूसरे राज्यों से टाइगर और वन भैंसा इत्यादि आना-जाना करते हैं यहाँ तक कि यहाँ का बाघ कोरीडोर अचानकमार टाइगर रिज़र्व से भी जुड़ा हुआ है। वन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता का ही नतीजा है कि इस क्षेत्र के आजू-बाजू शिकार जारी है और बाघ तेंदुआ की खाल मिलना भी निरंतर जारी है। छत्तीसगढ़ वन विभाग की अधिकारिक वेबसाइट पर वन विभाग इन्द्रावती टाइगर रिज़र्व की चर्चा करना भी उचित नहीं समझता और यहाँ की कोई अधिकारिक वेब साईट भी नहीं है।