मामा राजनांदगांव से तो भांजा खैरागढ से; रमन बोले- परिवारवाद एवं रिश्तेदार में अंतर
रायपुर, भाजपा के 21 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद प्रदेश में यह सवाल हर किसी की जुबान पर है कि- पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह चुनाव लड़ेंगे या नहीं? पहली सूची में कई कद्दावर नेताओं के साथ उनका भी नाम नहीं है। इस बारे में खुद डा. रमन ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वे विधानसभा चुनाव इस बार भी लड़ेंगे और राजनांदगांव से ही उतरेंगे।
भाजपा की दूसरी सूची पर उन्होंने कहा कि अभी इसमें करीब 10 दिन और लगेंगे। इस सूची में 20-22 सीटों पर निर्णय हो सकता है। भाजपा की हर बड़ी बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री की मौजूदगी बयां कर रही है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में उनका कद बढ़ रहा है। पार्टी भी उन्हें किनारे करके मैदान में उतरना नहीं चाहती है। उन्होंने कहा कि चुनाव से दो महीने पहले भाजपा आधी सीटों पर प्रत्याशी उतार चुकी होगी। पहले प्रत्याशी उतारने का पार्टी को बड़ा फायदा होने वाला है।
अपने भांजे विक्रांत सिंह को खैरागढ़ से टिकट दिए जाने पर उन्होंने कहा कि परिवारवाद और रिश्तेदारी में बड़ा अंतर होता है। वह 20 साल से राजनीति में सक्रिय था, इसलिए उन्हें टिकट दी गई। कुछ सीटों पर चल रहे विरोध पर रमन बोले- समय रहते सब सही हो जाएगा। अब टिकट बदलने का कोई सवाल ही नहीं उठता। भाजपा की पहली सूची में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के भांजे विक्रांत सिंह को भी खैरागढ़ से टिकट दी गई है। सूची जारी होने के बाद से कांग्रेस भाजपा को परिवारवाद के नाम से घेरने में जुटी हुई है। ऐसे में रमन सिंह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि विक्रांत को टिकट उनके भांजे होने की वजह से नहीं मिली है। विक्रांत पिछले 20 साल सक्रिय थे और कार्यकर्ताओं के पसंद थे, इसलिए उन्हें चुनावी मैदान में उतारा गया। इसे परिवारवाद से जोड़ना गलत है। वे रिश्तेदार हैं। दोनों में अंतर होता है।